कबीर की साखियाँ

Question
CBSEENHN8000765

ईश्वर की भक्ति हेतु कवि ने मन के बारे में क्या कहा है?
  • मन को चारों और घुमाना चाहिए। 
  • मन की बातों पर विचार नहीं करना चाहिए।
  • मन करे तो भक्ति करो. मन न करे तो नहीं। 
  • मन की एकाग्रचित्त करके भक्ति करनी चाहिए।

Solution

D.

मन की एकाग्रचित्त करके भक्ति करनी चाहिए।

Some More Questions From कबीर की साखियाँ Chapter

आपके विचार में आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में क्या कोई अंतर हो सकता है? स्पष्ट करें।

सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर एकसमान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते हैं, एकसमान होने के लिए आवश्यक क्या है? लिखिए।

कबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है? ज्ञात कीजिए।

बोलचाल की क्षेत्रीय विशेषताओं के कारण शब्दों के उच्चारण में परिवर्तन होता है जैसे वाणी शब्द बानी बन जाता है। मन से मनवा, मनुवा आदि हो जाता है। उच्चारण के परिवर्तन से वर्तनी भी बदल जाती हैं। नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं उनका वह रूप लिखिए जिससे आपका परिचय हो।
ग्यान, जीभि, पाऊँ. तलि, आँखि, बरी।

साधु की जाति क्यों नहीं पूछनी चाहिए?

क्या हमें पलटकर किसी को गाली देनी चाहिए? यदि नहीं तो क्यों?

कबीर ने अपनी साखी में भक्ति के मार्ग पर पाखंडों का विरोध क्यों और कैसे किया है?

कबीर के अनुसार समाज में कभी किसी को कमजोर क्यों नहीं समझना चाहिए?

कबीर की साखियाँ क्या संदेश देती हैं?

‘साखियाँ’ शब्द क्या अर्थ देता है?