Sponsor Area
गुरुदेव ने शांतिनिकेतन को छोड़ कहीं ओर रहने का मन क्यों बनाया?
गुरुदेव ने शांतिनिकेतन को छोड़ कहीं ओर रहने का मन इसलिए बनाया क्योंकि उनका स्वास्थ्य अच्छा न था। वे स्वास्थय लाभ लेने के लिए श्रीनिकेतन चले गए। उन्हें आराम और शांति चाहिए थी, मिलने वाले लोगो की वजह से जो सम्भव नहीं हो रहा था।
मूक प्राणी मनुष्य से कम संवेदनशील नहीं होते। पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
मूक प्राणी भी संवेदनशील होते हैं, उन्हें भी स्नेह की अनुभूति होती है। पाठ में रविन्द्रनाथ जी के कुत्ते के कुछ प्रसंगों से यह बात स्पष्ट हो जाती है -
1. गुरुदेव के स्पर्श को कुत्ता आँखें बंद करके अनुभव करता है, तब ऐसा लगता है मानों उसके अतृप्त मन को उस स्पर्श ने तृप्ति मिल गई हो।
2. गुरुदेव की मृत्यु के उपरांत कुत्ता अस्थिकलश के पास कुछ देर तक उदास बैठा रहता है। वह भी अन्य लोगों की तरह शोक प्रकट करता है ।
गुरुदेव द्वारा मैना को लक्ष्य करके लिखी कविता के मर्म को लेखक कब समझ पाया?
गुरुदेव द्वारा मैना को लक्ष्य करके लिखी कविता के मर्म को लेखक तब समझ पाए जब रविन्द्रनाथ के कहने पर लेखक ने मैना को ध्यानपूर्वक देखा।
प्रस्तुत पाठ एक निबंध है। निबंध गद्य-साहित्य की उत्कृष्ट विधा है, जिसमें लेखक अपने भावों और विचारों को कलात्मक और लालित्यपूर्ण शैली में अभिव्यक्त करता है। इस निबंध में उपर्युक्त विशेषताएँ कहाँ झलकती हैं ? किन्हीं चार का उल्लेख कीजिए।
(1) आश्रम के अधिकांश लोग बाहर चले गए, एक दिन हमने सपरिवार उनके 'दर्शन' की ठानी।
(2) प्रतिदिन प्रात:काल यह भक्त कुत्ता स्तब्ध होकर आसन के पास तब तक बैठा रहता है, जब तक अपने हाथों के स्पर्श से मैं इसका संग स्वीकार नहीं करता। इतनी सी स्वीकृति पाकर ही उसके अंग-अंग में आनंद का प्रवाह बह उठता है।
(3) उस समय लँगड़ी मैना फुदक रही थी। गुरुदेव ने कहा ''देखते हो, यह यूथभ्रष्ट है। रोज फुदकती है, ठीक यही आकर मुझे इसकी चाल में एक करुण भाव दिखाई देता है।''
(4) उस समय भी न जाने किस सहज बोध के बल पर वह कुत्ता आश्रम के द्वार तक आया और चिताभस्म के साथ गंभीर भाव से उत्तरायण तक गया।
आशय स्पष्ट कीजिए -
इस प्रकार कवि की मर्मभेदी दृष्टि ने इस भाषाहीन प्राणी की करूण दृष्टि के भीतर उस विशाल मानव-सत्य को देखा है, जो मनुष्य के अंदर भी नहीं देख पता।
आज बदलते समय के साथ मनुष्य के विचारों में भी बदलाव आ गया है। आज मनुष्य पहले कि अपेक्षा अधिक आत्मकेंद्रित हो गया है। आज मनुष्य, मनुष्य के भाव को नहीं समझ पाता है। ऐसे में कवि ने एक मूक पशु की भावनाओं का अनुभव कर लिया। कवि कहते है - गुरुदेव के स्पर्श को कुत्ता आँखें बंद करके अनुभव करता है, तब ऐसा लगता है मानों उसके अतृप्त मन को उस स्पर्श ने तृप्ति मिल गई हो।
पशु-पक्षियों से प्रेम इस पाठ की मूल संवेदना है। अपने अनुभव के आधार ऐसे किसी प्रसंग से जुड़ी रोचक घटना को कलात्मक शैली में लिखिए।
छात्र स्वयं अपने अनुभव के आधार पर इस प्रश्न का उत्तर दे। जैसे:-
एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके पास दो बैल थे। वह अपने बैलों को बच्चों की तरह स्नेह करता था। वह उन्हें अपनी आँखों से दूर नहीं करना चाहता था। उन्हें खाना खिलाकर ही खुद खाता था। एक बार एक बैल बीमार हो गया उसने खाना पीना छोड़ दिया। इस वजह से किसान ने भी खाना -पीना छोड़ दिया। किसान का प्यार देखकर बैल की आँखों से आँसू बहने लगे। इससे पता चलता है कि किसान अपने पशुओं से मानवीय व्यवहार करते हैं। किसान पशुओं को घर के सदस्य की भांति प्रेम करते रहे हैं और पशु अपने स्वामी के लिए जी-जान देने को तैयार रहते हैं।
• गुरुदेव ज़रा मुस्करा दिए।
• मैं जब यह कविता पढ़ता हूँ।
ऊपर दिए गए वाक्यों में एक वाक्य में अकर्मक क्रिया है और दूसरे में सकर्मक। इस पाठ को ध्यान से पढ़कर सकर्मक और अकर्मक क्रिया वाले चार-चार वाक्य छाँटिए।
निम्नलिखित वाक्यों में कर्म के आधार पर क्रिया-भेद बताइए ।
मीना कहानी सुनाती है।
सकर्मक क्रिया।
निम्नलिखित वाक्यों में कर्म के आधार पर क्रिया-भेद बताइए ।
मोहन ने भाई को गेंद दी।
सकर्मक क्रिया।
नीचे पाठ में से शब्द-युग्मों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं; जैसे -
समय - असमय, अवस्था-अनवस्था
इन शब्दों में 'अ' उपसर्ग लगाकर नया शब्द बनाया गया है।
पाठ में से कुछ शब्द चुनिए और उनमे 'अ' एवं 'अन्' उपसर्ग लगाकर नए शब्द बनाइए।
'अ' उपसर्ग लगाने से बने शब्द:-
(1) शांत - अशांत
(2) भाव - अभाव
(3) मूल्य - अमूल्य
(4) कारण - अकारण
(5) विश्वास - अविश्वास
'अन्' उपसर्ग लगाने से बने शब्द:-
(1) उपस्थित - अनुपस्थित
(२) उद्देश्य - अनुद्देश्य
(३) अवस्था - अनावस्था
(4) उपयोग - अनुपयोग
Sponsor Area
Sponsor Area