Vasant Bhag 3 Chapter 9 कबीर की साखियाँ
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    NCERT Solution For Class 8 Hindi Vasant Bhag 3

    कबीर की साखियाँ Here is the CBSE Hindi Chapter 9 for Class 8 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 8 Hindi कबीर की साखियाँ Chapter 9 NCERT Solutions for Class 8 Hindi कबीर की साखियाँ Chapter 9 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 8 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN8000748

    तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं’-उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।

    Solution
    ‘तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं’ इस उदाहरण से कबीर कहना चाहते हैं कि महत्त्व सदा मुख्य वस्तु का होता है जैसे हम तलवार लेना चाहें तो उसकी धार देखकर उसका मोल भाव करेंगे उसका म्यान कितना भी सुंदर क्यों न हो उसकी ओर हम ध्यान नहीं देते। ठीक वैस ही जैसे साधु-संतों के ज्ञान की महत्ता होती है उनकी जाति से किसी को कोई सरोकार नहीं होता।
    Question 2
    CBSEENHN8000749

    पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति है ‘मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिर, यह तो सुमिरन नाहिं’ के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?

    Solution
    ‘मनुवाँ तो दहूँ दिसि फिरै, यह तौ सुमिरन नाहिं’ इस पंक्ति के माध्यम से कबीर ने कहना चाहा है कि हमारा मन भक्ति के समय यदि दसों दिशाओं की ओर घूमता रहता हैं, ईश्वर के स्मरण मैं एकाग्रचित्त नहीं होता तो ऐसी भक्ति व्यर्थ है।
    Question 3
    CBSEENHN8000750

    कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

    Solution
    कबीर के दोहे में घास का विशेष अर्थ है क्योंकि इसमें उन्होंने पैरों के नीचे रौंदी जाने वाली घास के बारे में कहा है कि हमें कभी उसे निर्बल या कमजोर नहीं समझना चाहिए क्योंकि उसका छोटा-सा तिनका भी यदि आँख में पड जाए तो कष्टकर होता है। इस घास का वास्तविक संदेश यह है कि हमें समाज में रहने वाले छोटे से छोटे व्यक्ति काे भी कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए, क्योंकि यदि वह शक्ति प्राप्त कर ले तो हमें गहरा आघात पहुंचा सकता है।
    Question 4
    CBSEENHN8000751

    मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेनेवाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है?

    Solution
    जग में बैरी कोइ नहीं, जो मन सीतल होय। 
    या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।।
    Question 5
    CBSEENHN8000752

    “ या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।”
    “ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।”
    इन दोनों पक्तियों में ‘आपा’ को छोड़ देने या खो देने की बात की गई है। ‘आपा’ किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है? क्या ‘आपा’ स्वार्थ के निकट का अर्थ देता है या घमंड का?

    Solution
    “या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।”
    “ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।”
    इन दोनों पंक्तियों में ‘आपा’ शब्द का प्रयोग घमंड अर्थात् अंहकार के लिए प्रयुक्त हुआ है।
    पहली पंक्ति में कबीर का कहना है कि मनुष्य को अपने स्वभाव से अहंकार को त्याग देना चाहिए ताकि सभी उस पर कृपाभाव रखें।
    दूसरी पंक्ति में कबीर का कहना है कि अपने मन के अहंकार को त्याग कर हम ऐसी मीठी वाणी बोलनी चाहिए कि सभी हमारी ओर आकर्षित हो जाएं।
    Question 6
    CBSEENHN8000753

    आपके विचार में आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में क्या कोई अंतर हो सकता है? स्पष्ट करें।

    Solution

    आपा और आत्मविश्वास-आपा का अर्थ है अहंकार जबकि आत्मविश्वास का अर्थ है अपने ऊपर विश्वास, जिसके बल पर मनुष्य बड़ी-से-बड़ी मुश्किल पर भी काबू पा जाता है।
    आपा और उत्साह-आपा का अर्थ है अहंकार जबकि उत्साह का अर्थ है किसी काम को करने का जोश; उमंग या खुशी व साहस से आगे बढ़ने की इच्छा।

    Question 7
    CBSEENHN8000754

    सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर एकसमान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते हैं, एकसमान होने के लिए आवश्यक क्या है? लिखिए।

    Solution
    कबीर की निम्न साखी समाज में सभी को समान मानने का उपदेश देती है-
    कबीर घास न नींदिए, जो पाऊँ तलि होइ।
    उड़ि पड़ै जब आँखि मैं, खरी दुहेली होइ।।
    एक समान होने के लिए आवश्यक है कि समाज के अमीर-गरीब, ऊँच-नीच, जातीय व वर्गो के आधार पर बने भेदभाव सब समाप्त हो जाएँ। सभी धर्मो को समान महत्त्व दिया जाएँ। सभी केवल अपने स्वार्थ पूर्ति हेतु नहीं बल्कि परोपकार की भावना से जीवन व्यतीत करें।
    Question 8
    CBSEENHN8000755

    कबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है? ज्ञात कीजिए।

    Solution
    कबीर के दोहों को साखी कहा जाता है क्योंकि ‘साखी’ शब्द का एक अर्थ है ‘प्रत्यक्ष रूप से ‘अर्थात् उन्हींने समाज में जैसा देखा वैसा ही कहा। वे समाज में फैली कुरीतियों, जातीय भावनाओं और बाह्य आडंबरों को समाप्त करना चाहते थे इसीलिए अपने दोहों मे भी कबीर ने यही सीख देनी चाही है कि हमें साधु के ज्ञान को प्राप्त करना चाहिए, उनके जातीय स्वरूप को जानने की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। यदि कोई अपशब्द कहे तो मौन रहना चाहिए क्यौंकि हमारे द्वार भी अपशब्द कहे जाने पर उनकी संख्या बढ़ेगी। ईश्वर प्राप्ति हेतु एकाग्रचित्त होकर भक्ति करनी चाहिए। किसी को निर्बल नहीं समझना चाहिए एव हमें अपने स्वभाव को निर्मल और शांत बनाना चाहिए।
    Question 10
    CBSEENHN8000757

    साधु की जाति क्यों नहीं पूछनी चाहिए?

    Solution
    साधु की जाति इसलिए नहीं पूछनी चाहिए क्योकि हमें उनसे ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। ज्ञानवान मनुष्य तो किसी भी जाति का हो सकता है और उसकी दृष्टि में सभी समान महत्त्व रखते हैं।
    Question 11
    CBSEENHN8000758

    क्या हमें पलटकर किसी को गाली देनी चाहिए? यदि नहीं तो क्यों?

    Solution
    हमें पलटकर किसी को भी गाली नहीं देनी चाहिए क्याेंकि यदि हम गाली का उत्तर गाली में देते हैं तो गाँलिया एक से अनेक हो जाएँगी अर्थात् अधिक अपशब्द बोले जाएँगे और यदि मौन रहकर जवाब देगें तो गालियों की संख्या बढ़ेगी नहीं।
    Question 12
    CBSEENHN8000759

    कबीर ने अपनी साखी में भक्ति के मार्ग पर पाखंडों का विरोध क्यों और कैसे किया है?

    Solution
    कबीर का यह कहना है कि माला हाथ में और जीभ मुँह में ईश्वर के नाम से घूमती है लेकिन मन दसों दिशाओं में भटक रहा हो तो ऐसी भक्ति का कोई लाभ नहीं। भक्ति तो होती है मन की एकाग्रचित्तता से। बाहरी पाखंडों से कभी ईश्वर प्राप्त नहीं होते।
    Question 13
    CBSEENHN8000760

    कबीर के अनुसार समाज में कभी किसी को कमजोर क्यों नहीं समझना चाहिए?

    Solution
    कबीर के अनुसार समाज में रहने वाले सभी लोगों से समान व्यवहार करना चाहिए किसी को छोटा, बड़ा या कमजोर नहीं समझना चाहिए? क्योंकि यदि हम असमानता का भाव रखते हैं तो कई बार हमें मुँह की खानी पड़ती है। जैसे कवि मे अपनी साखी में स्पष्ट रूप से कहा है कि पैर के नीचे दबने वाली घास को भी कम नहीं समझना चाहिए क्योंकि यदि उसका तिनका भी उड़कर आँख में पड़ जाए तो बड़ा कष्टकारी होता है वैसे ही समाज में जिसे हम छोटा समझते हैं, यदि वह शक्ति पा जाए तो हमें दुख दे सकता है।
    Question 14
    CBSEENHN8000761

    कबीर की साखियाँ क्या संदेश देती हैं?

    Solution
    कबीर की साखियाँ यह संदेश देती हैं कि हमें साधु-संतों की जाति न पूछकर उनसे ज्ञान प्राप्त करने की चेष्टा करनी चाहिए। किसी को अपशब्द नहीं कहने चाहिए। मन को एकाग्र करके ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए पाखंड़ों का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए। समाज में सभी को समान भाव से देखना चाहिए व अपना स्वभाव निर्मल व शांत रखना चाहिए ताकि सभी हम पर कृपा दृष्टि बनाए रखें।

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