Aroh Bhag Ii Chapter 16 रजिया सज्जाद जहीर
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    NCERT Solution For Class 12 Hindi Aroh Bhag Ii

    रजिया सज्जाद जहीर Here is the CBSE Hindi Chapter 16 for Class 12 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 12 Hindi रजिया सज्जाद जहीर Chapter 16 NCERT Solutions for Class 12 Hindi रजिया सज्जाद जहीर Chapter 16 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 12 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN12026604

    रजिया सज्जाद जहीर के जीवन एवं साहित्य का परिचय दीजिए।

    Solution

    जीवन-परिचय: रजिया सज्जाद जहीर का जन्म 15 फरवरी, सन् 1917 को अजमेर (राजस्थान) में हुआ था। रजिया सज्जाद जहीर मूलत: उर्दू की कहानी लेखिका हैं। उन्होंने बी. ए. तक की शिक्षा घर पर रहकर ही प्राप्त की। विवाह के बाद उन्होंने इलाहाबाद से उर्दू में एम. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। सन् 1947 में वे अजमेर से लखनऊ आईं और वहाँ करामत हुसैन गर्ल्स कॉलेज में पढाने लगीं। सन् 1965 में उनकी नियुक्ति सोवियत सूचना विभाग में हुई। उनका निधन 18 दिसबर, 1979 को हुआ।

    आधुनिक उर्दू कथा-साहित्य में उनका महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने कहानी और उपन्यास दोनों लिखे हैं। उन्होंने उर्दू में बाल-साहित्य की रचना भी की है। मौलिक सर्जन के साथ-साथ उन्होंने कई अन्य भाषाओं से उर्दू में कुछ पुस्तकों के अनुवाद भी किए हैं। रजिया जी की भाषा सहज, सरल व मुहावरेदार है। उनकी कुछ कहानियाँ देवनागरी में भी लिप्यंतरित हो चुकी हैं।

    रजिया सज्जाद जहीर की कहानियो में सामाजिक सद्भाव, धार्मिक सहिष्णुता और आधुनिक संदर्भो में बदलते हुए पारिवारिक मूल्यों को उभारने का सफल प्रयास मिलता है। सामाजिक यथार्थ और मानवीय गुणों का सहज सामंजस्य उनकी कहानियों की विशेषता है। उनकी कहानियों की मात्रा सहज सरल और मुहावरेदार है।

    प्रमुख रचनाएँ: जर्द गुलाब (उर्दू कहानी संग्रह)।

    सम्मान: सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार, उर्दू अकादमी, उत्तर प्रदेश, अखिल भारतीय लेखिका संघ अवार्ड।

    Question 2
    CBSEENHN12026606

    उन सिख बीबी को देखकर साफिया हैरान रह गई थी, किस कदर वह उसकी माँ से मिलती थी। वही भारी भरकम जिस्म, छोटी-छोटी चमकदार आँखें, जिनमें नेकी, मुहब्बत और रहमदिली की रोशनी जगमगाया करती थी। चेहरा जैसे कोई खुली हुई किताब। वैसा ही सफेद बारीक मलमल का दुपट्टा जैसा उसकी अम्मा मुहर्रम में ओढ़ा करती थी।

    जब साफिया ने कई बार उनकी तरफ मुहब्बत से देखा तो उन्होंने भी उसके बारे में घर की बहू से पूछा। उन्हें बताया गया कि ये मुसलमान हैं। कल ही सुबह लाहोर जा रही हैं अपने भाइयों से मिलने, जिन्हें इन्होंने कई साल से नहीं देखा। लाहौर का नाम सुनकर वे उठकर साफिया के पास आ बैठीं और उसे बताने लगीं कि उनका लाहौर कितना प्यारा शहर है। वहाँ के लोग कैसे खूबसूरत होते हैं, उम्दा खाने और नफीस कपड़ों के शौकीन, सैर-सपाटे के रसिया, जिंदादिली की तसवीर।

    Solution
    Question 3
    CBSEENHN12026607

    जब साफिया ने कई बार उनकी तरफ मुहब्बत से देखा तो उन्होंने भी उसके बारे में घर की बहू से पूछा। उन्हें बताया गया कि वे मुसलमान हैं। कल ही सुबह लाहौर जा रही हैं अपने भाइयों से मिलने, जिन्हें इन्होंने कई साल से नहीं देखा। लाहौर का नाम सुनकर वे उठकर साफिया के पास आ बैठीं और उसे बताने लगीं कि उनका लाहौर कितना प्यारा है। वहाँ के लोग कैसे खूबसूरत होते हैं, उम्दा खाने और नफीस कपड़ों के शौकीन, सैर-सपाटे के रसिया, जिंदादिली की तस्वीर। कीर्तन होता रहा। वे आहिस्ता-आहिस्ता बातें करती रही। साफिया ने दो-एक बार बीच में पूछा भी, “माता जी, आपको तो यहाँ आए बहुत साल हो गए होंगे।” “हों बेटी! जब हिंदुस्तान बना था तभी आए थे। वैसे तो अब यहाँ भी कोठी बन गई है। बिजनेस है, सब ठीक ही है, पर लाहौर याद आता है। हमारा वतन तो जी लाहौर ही है।”

    Solution
    Question 4
    CBSEENHN12026609

    पंद्रह दिन यों गुजरे कि पता ही नहीं चला। जिमखाना की शामें, दोस्तों की मुहब्बत, भाइयों की खातिरदारियाँ-उनका बस न चलता था कि बिछुड़ी हुई परदेसी बहिन के लिए क्या कुछ न कर दें! दोस्तों, अजीजों की यह हालत है कि कोई कुछ लिए आ रहा है, कोई कुछ। कहाँ रखें, कैसे पैक करें, क्यों कर ले जाएँ-एक समस्या थी। सबसे बड़ी समस्या थी बादामी कागज की एक पुड़िया की जिसमें कोई सेर भर लाहौरी नमक था।

    साफिया का भाई एक बहुत बड़ा पुलिस अफसर था। उसने सोचा कि वह ठीक राय दे सकेगा।

    चुपके से पूछने लगी, “क्यों भैया, नमक ले जा सकते हैं?”

    वह हैरान होकर बोला, “नमक? तो नहीं ले जा सकते, गैरकानूनी है और... और नमक का आप क्या करेंगी? आप लोगों के हिस्से में तो हमसे बहुत ज्यादा नमक आया है।”

    वह झुँझला गई, “मैं हिस्से-बखरे की बात नहीं कर रही हूँ, आया होगा। मुझे तो लाहौर का नमक चाहिए, मेरी माँ ने यही मँगवाया है।”

    Solution
    Question 5
    CBSEENHN12026613

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
    अब तक साफिया का गुस्सा उतर चुका था। भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी। नमक की पुड़िया ले तो जानी है, पर कैसे? अच्छा, अगर इसे हाथ में ले लें और कस्टमवालों के समाने सबसे पहले इसी को रख दें? लेकिन अगर कस्टमवालों ने न जाने दिया! तो मजबूरी है, छोंड़ देंगे। लेकिन फिर उस वायदे का क्या होगा जो हमने अपनी माँ से किया था? हम अपने को सैयद कहते हैं। फिर वायदा करके झुठलाने के क्या मायने? जान देकर भी वायदा पूरा करना होगा। मगर कैसे? अच्छा, अगर इसे कीनुओं की टोकरी में सबसे नीचे रख लिया जाए तो इतने कीनुओं के ढेर में भला कौन इसे देखेगा? और अगर देख लिया? नहीं जी, फलों की टोकरियाँ तो आते वक्त भी नहीं देखी जा रही थीं। उधर से केले, इधर से कीनू सब ही ला रहे थे, ले जा रहे थे। यही ठीक है, फिर देखा जाएगा।

    1. साफिया पर गुस्सा क्यों चढ़ा था?
    2. अब क्या स्थिति हो गई?
    3. किसने, किससे क्या वायदा किया था? वायदे के प्रति उसका क्या दृष्टिकोण है?
    4. साफिया ने किस चीज को कहाँ दिखाया?





    Solution

    1. साफिया पर गुस्सा इसलिए चढ़ा था क्योंकि उसके भाई ने लाहौरी नमक की पुड़िया को भारत ले जाने से मना कर दिया था। इससे उनकी बदनामी होने की संभावना थी। साफिया कानूनी अडचन जानकर गुस्सा हो गई थी।
    2. कुछ देर बाद साफिया का गुस्सा उतर गया। तब उस पर भावना की जगह बुद्धि हावी हो गई। भाई के सम्मुख उस पर भावना हावी थी। अब वह बुद्धि से वह उपाय सोचने लगी कि नमक की पुड़िया को किस तरह ले जाया जाए। वह दो उपायों पर विचार करने लगी कि कस्टम वालों को बताकर ले जाए या टोकरी में छिपाकर ले जाए।
    3. साफिया ने सिख बीबी से यह वायदा किया था कि वह उनके लिए लाहौरी नमक लेकर आएगी। वह बीबी को माँ मानती है और स्वयं को सैयद कहती है अत: वह हर हालत में वायदा पूरा करके ही रहेगी।
    4. साफिया ने नमक की पुड़िया को टोकरी में कीनुओं के ढेर के नीचे छिपाया। उसने सोचा कि कीनुओं के ढेर में इसे भला कौन देख पाएगा। फलों की टोकरी की विशेष जाँच भी नहीं होती।

     

    Question 6
    CBSEENHN12026614

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
    वह चलने लगी तो वे भी खड़े हो गए और कहने लगे, “जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहिएगा और उन खातून को यह नमक देते वक्त मेरी तरफ से कहिएगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा, तो बाकी सब रफ्ता-रफ्ता ठीक हो जाएगा।”
    साफिया कस्टम के जंगले से निकलकर दूसरे प्लेटफार्म पर आ गई और वे वहीं खड़े रहे।
    प्लेटफार्म पर उसके बहुत-से दोस्त, भाई रिश्तेदार थे, हसरत भरी नजरों, बहते हुए आँसुओं, ठंडी साँसों और भिचे हुए होठों को बीच में से काटती हुई रेल सरहद की तरफ बड़ी। अटारी में पाकिस्तान पुलिस उतरी, हिंदुस्तानी पुलिस सवार हुई। कुछ समझ में नहीं आता था कि कहाँ से लाहौर खत्म हुआ और किस जगह से अमृतसर शुरू हो गया। एक जमीन थी, एक जबान थी, एक-सी सूरतें और लिबास, एक-सा लबोलहजा और अंदाज थे, गालियाँ भी एक ही-सी थीं जिनसे दोनों बड़े प्यार से एक-दूसरे को नवाज रहे थे। बस मुश्किल सिर्फ इतनी थी कि भरी हुई बंदूकें दोनों के हाथों में थीं।

    1. किसके चलने पर कौन खड़े हो गए? उन्होने क्या कहा?
    2. प्लेटफार्म पर क्या दृश्य था?
    3. लेखिका की समझ में क्या बात नहीं आती थी?
    4.  इस गद्याशं में क्या बात उभर कर आती है?






    Solution

    1. साफिया के चलने पर अटारी के कस्टम ऑफिसर खड़े हो गए। उन्होंने नमक की पुड़िया को लौटाते हुए कहा कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहिएगा और उन खातून (महिला) को यह नमक देते हुए मेरी तरफ से यह कहना कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा। बाकी सब धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा।
    2. प्लेटफार्म पर साफिया के बहुत से दोस्त, भाई और रिश्तेदार जमा थे। वे साफिया को हरसत भरी नजरों से देख रहे थे, उनकी आँखों में आँसू थे तथा ठंडी साँसें ले-छोड़ रहे थे। रेल सरहद की ओर बढ़ रही थी। अटारी में पुलिस की अदला-बदला हुई।
    3. लेखिका की समझ में यह बात नहीं आती लाहौर कब खत्म हो जाता है और कब अमृतसर शुरू हो गया। एक जमीन, एक भाषा, एक-सी सूरतें, एक-सी वेशभूषा सभी कुछ समान था फिर देश कैसे बदल जाता है? लोगों के बोलने का अंदाज भी एक समान था।
    4. इस गद्यांश से यह बात उभर कर आती है कि राजनीति ने लोगो को सीमाओं मे बाँधकर बाँट दिया है जबकि उनकी सभी बातें समान हैं। यह बँटवारा कृत्रिम है। लोगों के दिलों को नहीं बाँटा जा सकता।

    Question 7
    CBSEENHN12026616

    जब उसका सामान कस्टम पर जाँच के लिए बाहर निकाला जाने लगा तो उसे एक झिरझिरी-सी आई और एकदम से उसने फैसला किया कि मुहब्बत का यह तोहफा चोरी से नहीं जाएगा, नमक कस्टमवालों को दिखाएगी वह। उसने जल्दी से पुड़िया निकाली और हैंडबैग में रख ली, जिसमें उसका पैसों का पर्स और पासपोर्ट आदि थे। जब सामान कस्टम से होकर रेल की तरफ चला तो वह एक कस्टम अफसर की तरफ बड़ी। ज्यादातर मेजें खाली हो चुकी थीं। एक-दो पर इक्का-दुक्का सामान रखा था। वहीं एक साहब खड़े थे-लंबा कद, दुबला-पतला जिस्म, खिचड़ी बाल, आँखों पर ऐनक। वे कस्टम अफसर की वर्दी पहने तो थे मगर उन पर वह कुछ जँच नहीं रही थी। साफिया कुछ हिचकिचाकर बोली, “मैं आपसे कुछ पूछना चाहती हूँ।”

    उन्होंने नजर भरकर उसे गौर से देखा। बोले, “फरमाइए।”

    उनके लहजे ने साफिया की हिम्मत बढ़ा दी, “आप..आप कहाँ के रहने वाले हैं?”

    उन्होंने कुछ हैरान होकर उसे फिर गौर से देखा, “मेरा वतन देहली है, आप भी तो हमारी ही तरफ की मालूम होती हैं, अपने अजीजों से मिलने आई होंगी?”

    “जी हाँ। मैं लखनऊ की हूँ। अपने भाइयों से मिलने आई थी। वे लोग इधर आ गए हैं। आपको भी तो शायद इधर आए?”

    “जी, जब पाकिस्तान बना था तभी आए थे, मगर हमारा वतन तो देहली ही है।”

    Solution
    Question 8
    CBSEENHN12026618

    साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?

    Solution

    साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया भारत ले जाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि यह गैरकानूनी था। पाकिस्तान से लाहौरी नमक भारत ले जाना प्रतिबंधित था। उसके अनुसार नमक की पुड़िया निकल आने पर बाकी सामान की भी चिंदी-चिंदी बिखेर दी जाएगी। नमक की पुड़िया तो जा नहीं पाएगी, ऊपर से उनकी बदनामी मुफ्त में हो जाएगी।

    Question 9
    CBSEENHN12026619

    नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में साफिया के मन में क्या द्वंद्व था?

    Solution

    नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में साफिया के मन में यह द्वंद्व था कि वह इस नमक की पुड़िया को चोरी से छिपाकर ले जाए या कहकर दिखाकर ले जाए। पहले वह नमक की पुड़िया को कीनुओं के नीचे छिपाकर टोकरी में रख देती है। तब उसने सोचा इस पर भला किसकी निगाह जाएगी। इसे तो सिर्फ वही जानती है। पर जब कस्टम की जाँच के लिए उसका सामान बाहर निकाला जाने लगा तब उसने अचानक फैसला किया कि वह मुहब्बत का यह तोहफा चोरी से नहीं ले जाएगी। वह नमक की पुड़िया को कस्टमवालों को दिखाएगी। उसने किया भी ऐसा ही।

    Question 10
    CBSEENHN12026620

    जब साफिया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे?

    Solution

    साफिया जब अमृतसर पुल पर चढ़कर दूसरी तरफ जा रही थी तब कस्टम आफिसर पुल की सबसे निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे। उन्हें उस समय अपना वतन ढाका याद आ रहा था। वे यह अनुभव करने की कोशिश कर रहे थे कि अपने वतन में आकर कैसा लगता है। अपने वतन की चीजों का मजा ही कुछ और होता है।

    Question 11
    CBSEENHN12026622

    ‘लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा या मेरा वतन ढाका है’ जैसे उद्गार किस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं?

    Solution

    इस प्रकार के उद्गार इस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं कि विस्थापन का दर्द व्यक्ति को जीवन भर सालता है। राजनैतिक कारणो से बँटवारे की खींची गई रेखाओं का अभी तक लोगों का अंतर्मन स्वीकार नहीं कर पाया है।

    यह यथार्थ प्राकृतिक न होकर परिस्थितिवश आरोपित किया गया है। प्राकृतिक बात को व्यक्ति का मन स्वीकार कर लेता है पर आरोपित बात उसे स्वीकार्य नहीं हो पाती है। लोगों का मन अपनी पुरानी जगहों में ही भटकता रहता है।

    Question 12
    CBSEENHN12026623

    नमक ले जाने के बारे में साफिया के मन में उठे द्वंद्वों के आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    सिख बीबी के लिए लाहौर से नमक ले जाने के बारे में साफिया के मन में द्वंद्व उठता है। इस द्वंद्व से उसकी कई चारित्रिक विशेषताएँ उभरती हैं:

    - साफिया अपने वायदे की पक्की है। वह सैयद है और सैयद कभी वायदा करके झुठलाते नहीं। वह जान देकर भी वायदा पूरा करने के प्रति संकलित है।

    - अब प्रश्न उठता है कि वह नमक की पुड़िया को लाहौर से भारत कैसे ले जाए? वह पहले नमक को छिपाकर ले जाने का विचार करती है पर यह विचार उसे जँचता नहीं और वह कस्टम वालों को नमक की पुड़िया दिखा देती है। इससे पता चलता है कि वह लुका-छिपाकर काम करने में विश्वास नहीं करती।

    - वह मानवीय रिश्तों में विश्वास करने वाली है। यही तर्क देकर वह अपने भाई को चुप कर देती है। इन्हीं रिश्तों की दुहाई देकर वह अटारी तथा अमृतसर में कस्टम अफसरों को अपने तर्कों से अपने पक्ष में करने में सफल हो जाती है।

    Question 13
    CBSEENHN12026625

    ‘मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से जमीन और जनता बँट जाती है’ -उचित तर्कों व उदाहरणो के जरिए इसकी पुष्टि करें।

    Solution

    राजनैतिक कारणों से मानचित्र पर एक लकीर खींचकर एक देश को दो भागों में बाँट दिया जाता है। नेता कहते हैं कि इससे जमीन और जनता का बँटवारा हो गया पर उनका यह कथन झूठ का पुलिंदा मात्र है। मानचित्र पर लकीर खींच देने मात्र से जमीन और जनता नहीं बँट जाती। मानचित्र पर खींची गई इस लकीर को लोगों ने अंतर्मन से स्वीकार नहीं किया। राजनैतिक यथार्थ के स्तर पर उनके वतन की पहचान भले ही बदल गई हो किंतु यह उनका हार्दिक यथार्थ नहीं बन पाया। एक बाध्यता ने उन्हें विस्थापित भले ही कर दिया हो, पर वह उनके दिलों पर कब्जा नहीं कर पाई है। जनता के दिल न आज तक बँटे हैं और न बँटेगे। लोगों के रिश्तेदार, भाई-बंद दोनों देशों में रहते हैं। सभी का अपने दिलों में जन्म स्थली के प्रति गहरा लगाव है। मानचित्र पर खींची गई लकीर लोगों के दिलों को नहीं बाँट सकती। यही इस कहानी का संदेश भी है।

    Question 14
    CBSEENHN12026626

    नमक कहानी में भारत व पाक की जनता के आरोपित भेदभावों के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद खुला हुआ है, कैसे?

    Solution

    भारत-पाक का विभाजन एक त्रासदी था। राजनैतिक इच्छाओं का दुष्परिणाम जनता को भोगना पड़ा था। जनता के ऊपर भेदभाव आरोपित कर दिए गए थे, जबकि दोनों देशों की जनता के बीच मुहब्बत का जज्बा था। अभी भी यह नमकीन स्वाद उनकी रगों में घुला हुआ है। नमकीन स्वाद मीठे से भी अधिक असरदार होता है। नमक का फर्ज जिम्मेदारी और निष्ठा को दर्शाता है। इस स्वाद में अपनापन होता है। यहाँ लाहौरी नमक को माध्यम बनाकर इस मुहब्बत की भावना को उजागर किया गया है। दोनों देशों के लोग अभी भी मुहब्बत की नजर से एक-दूसरे को देखते हैं।

    Question 15
    CBSEENHN12026628

    क्या सब कानून हकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते?

    Solution

    जब लेखिका के भाई ने लाहौर का नमक भारत ले जाने के बारे में कानून की मनाही के बारे में बताया तब लेखिका बिगड़ गई। उसका तर्क था कि हकूमत के बनाए कानून ही सब कुछ नहीं होते। कुछ कानून समाज भी बनाता है। समाज के बनाए कानून इंसानी रिश्तों, प्यार पर निर्भर होते हैं। इन कानूनों का भी महत्व होता है।

    Question 16
    CBSEENHN12026631

    भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे हावी हो रही थी।

    Solution

    भाई के सामने तर्क करते समय साफिया पर भावना हावी थी। वह भावना में बहकर मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत की बातें कह रही थी। उस समय वह गुस्से में थी। जब उसका गुस्सा उतर गया तब भावना के स्थान पर बुद्धि उस पर हावी होती चली गई। वह नमक की पुड़िया को सही सलामत ले जाने का उपाय सोचने लगी। उसके सामने कई विकल्प थे-वह कस्टम वालों के सामने नमक की पुड़िया को रख दे अगर उन्होंने इसे न ले जाने दिया तो उसके द्वारा बीबी को किए गए वायदे का क्या होगा। फिर उसने बुद्धि का प्रयोग कर विचार किया कि इसे कीनुओं की टोकरी में नीचे रख ले। कीनुओं के ढेर में भला इसे कौन देख पाएगा। उसने बुद्धि का प्रयोग कर ऐसा ही किया।

    Question 17
    CBSEENHN12026633

    मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।

    Solution

    साफिया नमक की पुड़िया पाकिस्तान के कस्टम आफिसर के सामने रख देती है। वह ऑफिसर देहली को अपना वतन बताता है और लेखिका स्वयं लखनऊ की है। वह सारी बात समझकर नमक की पुड़िया को साफिया के बैग में रखते हुए उपर्युक्त वाक्य कहता है। इस वाक्य के द्वारा वह मुहब्बत और कानून का अंतर स्पष्ट करता है।

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    Question 18
    CBSEENHN12026635

    हमारी जमीन, हमारे पानी का मजा ही कुछ और है।

    Solution

    यह बात अमृतसर के कस्टम विभाग में तैनात सुनीलदास गुप्त द्वारा साफिया के सम्मुख अपने वतन ढाका के बारे में कही गई।

    उस ऑफिसर को अमृतसर में रहकर भी ढाका का ढाभ, ढाका की जमीन और ढाका का पानी याद आता है। इन्हें याद करके वह भावुक हो उठता है। यही भावना अपने जन्म स्थान के प्रति लगाव को दर्शाती है। यह जीवन भर बनी रहती है।

    Question 19
    CBSEENHN12026638

    फिर पलकों से कुछ सितारे टूटकर दूधिया आँचल में समा जाते हैं।

    Solution

    आँखों की कल्पनाएँ वास्तविकता की दुनिया में गुम हो जाती हैं। व्यक्ति अतीत की सुखद यादों का स्मरण कर उन्हीं में खो जाता है। उन्हें भूल नहीं पाता।

    Question 20
    CBSEENHN12026640

    किसका वतन कहाँ है-वह जो कस्टम के इस तरफ है या उस तरफ।

    Solution

    वतन तो सभी का एक ही है। दिल तो वतन है, पर राजनीति ने लोगों के वतन को हिस्सो में बाँट दिया है। कस्टम आफिस का स्थापन इस बँटवारे को चिन्हित कर देता है। यदि कस्टम का बंधन न हो तो यह देश एक ही है।

    Question 21
    CBSEENHN12026644

    ‘नमक’ कहानी में हिंदुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं को उभारा गया है। वर्तमान संदर्भ में इन संवेदनाओं की स्थिति को तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    ‘नमक’ कहानी में हिंदुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं को उभारा गया है।

    वर्तमान संदर्भ में भी ये इसी प्रकार बनी हुई हैं। संवेदनाएँ मानवीय रिश्तों पर आधारित होती हैं। इनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं होता। अभी भी दोनों देशों के लोग एक-दूसरे के यहाँ जाने के लिए लालायित रहते हैं। कलाकार एक-दूसरे के देश में जाते रहते हैं। पाकिस्तान के कई बच्चों का भारत में सफल ऑपरेशन हुआ है। विवाह की भी अनेक घटनाएँ हुई हैं। रेल और बस में भी यात्री भरकर चलते हैं। ये सभी बातें इस तथ्य को प्रकट करती हैं कि दोनों देशों के लोगों की संवेदनाओं में समानता है।

    Question 22
    CBSEENHN12026646

    साफिया की मनःस्थिति को कहानी में एक विशिष्ट संदर्भ में अलग तरह से स्पष्ट किया गया है। अगर आप साफिया की जगह होते तो क्या आपकी मनःस्थिति भी वैसी ही होती? स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    हाँ हमारी मन:स्थिति भी वैसी ही होती जैसी साफिया की थी। साफिया सरकारी कानून के ऊपर इंसानी, मानवीय, प्रेम-प्यार के बंधन को मानती है। अंतत: उसे इसमें सफलता भी मिलती है। हम भी साफिया के समान अपने वायदे को अवश्य पूरा करते। उसके लिए तरह-तरह के उपाय सोचते। हमारे ऊपर भी कभी भावना तो कभी बुद्धि हावी होती।

    Question 23
    CBSEENHN12026647

    भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने के लिए दोनों सरकारें प्रयासरत हैं। व्यक्तिगत तौर पर आप इसमें क्या योगदान ने सकते हैं?

    Solution

    यह सही है कि भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने के लिए दोनों सरकारें प्रयासरत हैं। समय-समय पर अनेक उपायों की घोषणा की जाती रहती है। 13 अप्रैल, 2006 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने भारत के युद्धबंदियों से उनके परिवारों को मिलने की छूट दी। कभी-कभी इन प्रयासों में बाधा भी आ जाती है।

    व्यक्तिगत तौर पर हम इसमें यह योगदान दे सकते हैं कि पाकिस्तान के लोगों के साथ मित्रता के संबंध बनाएँ। वहाँ से आने वाले कलाकारों का स्वागत-सत्कार करें। हम भी पाकिस्तान की यात्रा करें, वहाँ खेलने जाएँ। वहाँ के खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाएँ। यदि हम भी चाहें तो दोनों देशों के संबंधों को मधुर बना सकते हैं। हम गीत-संगीत के कार्यक्रमों में हिस्सेदारी कर सकते हैं।

    Question 24
    CBSEENHN12026649

    लेखिका ने विभाजन से उपजी विस्थापन की समस्या का चित्रण करते हुए साफिया व सिख बीबी के माध्यम से यह भी परोक्ष रूप से संकेत किया है कि इसमें भी विवाह की रीति के कारण स्त्री सबसे अधिक विस्थापित है। क्या आप इससे सहमत हैं?

    Solution

    यह बिल्कुल सही है कि विवाह के परिणामस्वरूप स्त्री को ही विस्थापित होना पड़ता है। विवाह के बाद स्त्री या तो दूसरे शहर में जाकर बसती हैं अथवा उसे दूसरे देश में जाकर रहना पड़ता है। पर इस विस्थापन और देश छोड्कर हुए विस्थापन में काफी अंतर होता है। विवाह के बाद का विस्थापन उतना नहीं सालता जितना देश-विभाजन के कारण हुआ विस्थापन।

    Question 25
    CBSEENHN12026650

    विभाजन के अनेक स्वरूपों में बँटी जनता को मिलाने की अनेक भूमियाँ हो सकती हैं-रक्त सबंध, विज्ञान, साहित्य व कला इनमें से कौन सब से ताकतवर है और क्यों?

    Solution

    विभाजन के अनेक स्वरूप में बँटी जनता को मिलाने के अनेक रूप और उपाय हो सकते हैं। इनमें साहित्य और कला का माध्यम सबसे ताकतवर रूप में जाना जा सकता है। साहित्य और कला में वह क्षमता है जो विभिन्न देशों की जनता के मध्य पारस्परिक सौहार्द की भावना बढ़ाती है। सच्चे साहित्य में पारस्परिक भेदभाव, घृणा और हिंसा को मिटाने की क्षमता है। इससे दूरियाँ मिटती हैं। साहित्य और कला का संबंध हमारे हृदय से होता है।

     

    Question 26
    CBSEENHN12026652

    मान लीजिए आप अपने मित्र के पास विदेश जा रहे/रही हैं। आप सौगात के तौर पर भारत की कौन-सी चीज ले जाना पसंद करेंगे/करेंगी और क्यों?

    Solution

    हम भारत की निम्नलिखित वस्तुएँ सौगात के तौर पर विदेशी मित्र को ले जाना चाहेंगे-

    - ताजमहल की प्रतिकृति

    - दस्तकारी की चीजें

    - रामनामी चादर

    - नटराज की मूर्ति

    उपर्युक्त सभी चीजें भारतीय कला एवं संस्कृति से जुड़ी है।

    Question 27
    CBSEENHN12026657

    नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए-

    (क) हमारा वतन तो जी लाहौर ही है।

    (ख) क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं?

    सामान्यत: ‘ही’ निपात का प्रयोग किसी बात पर बल देने के लिए किया जाता है। ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में ‘ही’ के प्रयोग से अर्थ में क्या परिवर्तन आया है? स्पष्ट कीजिए। ‘ही’ का प्रयोग करते हुए दोनों तरह के अर्थ वाले पाँच-पाँच वाक्य बनाइए।

    Solution

    (क) इसमें लाहौर पर बल है अर्थात् केवल लाहौर ही है।

    (ख) यहाँ विरोधी अर्थ की प्रतीति होती है-सभी कानून हकूमत के ही नहीं होते।

    पाँच-पाँच वाक्य

    1. हमारा खाना तो दाल-रोटी ही है।

    2. उसका घर तो उधर ही है।

    3. मेरा जन्मस्थान बंगलूर ही है।

    4. यह गीता की ही पुस्तक है।

    5. उसकी कार काली ही है।

    1. क्या तुम सब बातें मेरी ही मानते हो?

    2. क्या रमेश अंग्रेजी ही पड़ता है?

    3. क्या गेंद लड़के ही खेलते हैं?

    4. क्या नृत्य में सभी लड़कियाँ ही भाग लेंगी?

    5. क्या समाज के नियम प्रभावी होते ही नहीं?

    Question 28
    CBSEENHN12026658

    नीचे दिए गए शब्दों के हिंदी रूप लिखिए-

    मुरौवत, आदमियत, अदीब, साडा, मायने, सरहद, अक्सर, लबोलहाजा, नफीस

    Solution

    मुरौवत = संकोच

    आदमियत = मनुष्यता

    अदीब = साहित्य

    साडा = हमारा

    मायने = अर्थ

    सरहद = सीमा

    अक्स = प्रभाव, प्रतिच्छाया

    लबोलहजा = बोलचाल का ढंग

    नफीस = सुरुचिपूर्ण

    Question 29
    CBSEENHN12026659

    पंद्रह दिन यों गुजरे कि पता ही नहीं चला-वाक्य को ध्यान से पढ़िए और इसी प्रकार के (यों, कि, ही के पाँच वाक्य बनाइए)।

    Solution

    1. दो वर्ष यों बीत गए कि पता ही न चला।

    2. रात यों गुजर गई कि दिन निकलने का पता न चला।

    3. वह यों चला गया कि पता ही नहीं चला।

    4. वसंत ऋतु यों निकल गई कि पता ही न चला।

    5. दीपावली का पर्व यों आया और कब चला गया कि पता ही न चला।

     

    Question 30
    CBSEENHN12026660

    ‘नमक’ कहानी को लेखक ने अपने नजरिए से अन्य पुरुष शैली में लिखा है। आप साफिया की नजर से/उत्तर पुरुष शैली में इस कहानी को अपने शब्दों में कहें।

    Solution

    मैं एक सिख बीबी के यहाँ कीर्तन में गई हुई थी। बीबी लाहौर की रहने वाली थी और अब तक लाहौर को ही अपना वतन बताती थीं। जब उन्हें पता चला कि मैं कल लाहौर जाने वाली हूँ तो उन्होंने लाहौरी नमक की फरमाइश कर दी। मैंने इसका उनसे वायदा कर दिया। लाहौर पहुँचने पर मेरा प्रेमपूर्वक स्वागत हुआ। मेरा भाई वहाँ की पुलिस में है। मैंने उसे लाहौरी नमक की पुड़िया दिखाकर उसे भारत ले जाने की बात कही तो उसने साफ इनकार कर दिया। उसने इस काम को गैरकानूनी बताया, पर मैं तो नमक ले जाने पर तुली थी। मैंने कीनुओं की टोकरी में नमक की पुड़िया को छिपा लिया। पर मेरे मन में द्वंद्व था। मैं कोई भी काम चोरी-छिपे करने के विरुद्ध हूँ अत: मैंने अटारी में कस्टम आफिसर को नमक दिखाकर सारी बात बता दी। वह देहली का रहने वाला था और देहली को ही अपना वतन मानता था अत: उसने मुझे नमक ले जाने की इजाजत दे दी। मेरी गाड़ी अमृतसर जा पहुँची। वहाँ का कस्टम आफिसर ढाका का रहने वाला था और ढाका को ही अपना वतन मानता था। वह भी सहृदय निकला और उसने नमक लाने पर आपत्ति नहीं की। इस प्रकार मैं लाहौरी नमक भारत लाने में सफल हो गई। यह इंसानी रिश्तों की जीत थी।

    Question 31
    CBSEENHN12026663

    साफिया लाहौर में कितने दिन रुकी? वहाँ उसका क्या सम्मान हुआ? उसके सामने क्या समस्या आई?

    Solution

    साफिया लाहौर में 15 दिन रुकी। पंद्रह दिन यों गुजरे कि पता ही नही चला। जिमखाना की शामें दोस्तों की मुहब्बत, भाइयों की खातिरदारियाँ-उनका बस न चलता था कि बिछुड़ी हुई परदेसी बहिन के लिए क्या कुछ न कर दें! दोस्तों, अजीजों की यह हालत कि कोई कुछ लिए आ रहा है कोई कुछ। कहाँ रखें, कैसे पैक करें, क्योंकर ले जाएँ-एक समस्या थी। सबसे बड़ी समस्या थी बादामी कागज की एक पुड़िया की जिसमें कोई सेर भर लाहौरी नमक था।

    Question 32
    CBSEENHN12026664

    साफिया ने नमक की पुड़िया कहाँ और किस प्रकार छिपाई? उस समय वह क्या सोच रही थी?

    Solution

    साफिया ने कीनू कालीन पर उलट दिए। टोकरी खाली की और नमक की पुड़िया उठाकर टोकरी की तह में रख दी। एक बार झाँककर उसने पुड़िया को देखा और उसे ऐसा महसूस हुआ मानो उसने अपने किसी प्यारे को कब्र की गहराई में उतार दिया हो! कुछ देर उकडूँ बैठी वह पुड़िया को तकती रही और उन कहानियों को याद करती रही जिन्हें वह अपने बचपन में अम्मा से सुना करती थी, जिनमें शहजादा अपनी रान चीरकर हीरा छिपा लेता था और देवों, खौफनाक भूतों तथा राक्षसों के सामने से होता सरहदों से गुजर जाता था। इस जमाने में ऐसी कोई तरकीब नहीं हो सकती थी वरना वह अपना दिल चीरकर उसमें यह नमक छिपा लेती। उसने एक आह भरी।

    Question 33
    CBSEENHN12026667

    साफिया और उसके भाई के विचारों में क्या अंतर था? ‘नमक’ पाठ के आधार पर बताइए।

    Solution

    साफिया हृदय प्रधान थी, उसका भाई विचार प्रधान।

    साफिया के लिए इंसान से बढ्कर कुछ नहीं था जबकि भाई जिम्मेदारी को निभाने से बढ्कर कुछ नहीं मानता था।

     साफिया को इंसानियत पर विश्वास था जबकि उसका भाई कस्टम अधिकारियों की जिम्मेदारी पर।
    साफिया का भाई कोई भी गैर कानूनी काम करने में विश्वास नहीं रखता था। यही कारण है कि वह अपनी बहन साफिया को लाहौरी नमक भारत ले जाने से रोक रहा था। साफिया अपना वायदा निभाने को अधिक महत्त्व देती थी।

    Question 34
    CBSEENHN12026671

    सिख बीबी ने साफिया को अपने बारे में क्या बताया?

    Solution

    सिख बीबी ने अपने बारे में साफिया को बताया कि वह लाहौर की रहने वाली है। जब विभाजन हुआ तब वे यहाँ आ गए। अब यहाँ कोठी है, व्यवसाय है। इसके बावजूद लाहौर की याद अब भी आती है। वह बार-बार घूम-फिर कर उसी जगह पर आ जाती है- ‘साडा लाहौर’। वह कहती है कि हमारा वतन तो लाहौर ही है।

    Question 35
    CBSEENHN12026673

    इस कहानी में किस बात को उभारा गया है?

    Solution

    ‘नमक’ कहानी में हिंदुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं को उभारा गया है।

    वर्तमान संदर्भ में भी ये इसी प्रकार बनी हुई हैं। संवेदनाएँ मानवीय रिश्तो पर आधारित होती हैं। इनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं होता। अभी भी दोनों देशों के लोग एक-दूसरे के यहाँ जाने के लिए लालायित रहते हैं। कलाकार एक-दूसरे के देश में जाते रहते हैं। पाकिस्तान के कई बच्चों का भारत में सफल ऑपरेशन हुआ है। विवाह की भी अनेक घटनाएँ हुई हैं। रेल और बस में भी यात्री भरकर चलते हैं। ये सभी बातें इस तथ्य को प्रकट करती हैं कि दोनों देशों के लोगों की संवेदनाओं में समानता है।

    Question 36
    CBSEENHN12026677

    साफिया ने रात के वातावरण का वर्णन किस प्रकार किया है? लाहौर में उसका कौन-कौन था?

    Solution

    लेखिका ने रात के वातावरण का वर्णन करते हुए बताया है-

    रात को तकरीबन डेढ़ बजे थे। मार्च की सुहानी हवा खिड़की की जाली से आ रही थी। बाहर चाँदनी साफ और ठंडी थी। खिड़की के करीब लगा चंपा का एक घना दरख्त सामने की दीवार पर पत्तियाँ के अक्स लहका रहा था। कभी किसी तरफ से किसी की दबी हुई खाँसी की आहट। दूर से किसी कुत्ते के भौंकने या रोने की आवाज, चौकीदार की सीटी और फिर सन्नाटा! यह पाकिस्तान था। यहाँ उसके तीन सगे भाई थे, बेशुमार चाहने वाले दोस्त थे, बाप की कब्र थी, नन्हे-मुन्ने भतीजे-भतीजियाँ थीं जो उससे बड़ी मासूमियत से पूछते ‘फूफीजान, आप हिंदुस्तान में क्यों रहती हैं, जहाँ हम लोग नहीं आ सकते।’ उन सबके और साफिया के बीच में एक सरहद थी और बहुत ही नोकदार लोहे की छड़ों का जंगला, जो कस्टम कहलाता था।

    Question 37
    CBSEENHN12026679

    साफिया ने भाई से क्या पूछा और उसने क्या उत्तर दिया?

    Solution

    साफिया ने भाई से पूछा-”क्यों भैया, मैं नमक ले जा सकती हूँ?” भाई हैरान होकर बोला, “नमक? नमक तो नहीं ले जा सकते, गैर कानूनी है और.. और नमक का आप क्या करेंगी? आप लोगों के हिस्से में तो हमसे बहुत ज्यादा नमक आया है।” साफिया झुँझला गई, “मैं हिस्से-बखरे की बात नहीं कर रही हूँ, आया होगा। मुझे तो लाहौर का नमक चाहिए, मेरी माँ ने यही मँगवाया है।”

    भाई की समझ में कुछ नहीं आया। माँ का क्यों जिक्र था, वे तो बँटवारे से पहले ही मर चुकी थी। जरा नरमी से समझाने के अंदाज में बोला, “देखिए बाजी! आपको कस्टम से गुजरना है और अगर एक भी ऐसी-वैसी वस्तु निकल आई तो आपके सामान की चिंदी-चिंदी बिखेर देंगे कस्टम वाले।”

    Question 38
    CBSEENHN12026680

    भाई ने अदीबों (साहित्यकारों) पर क्या व्यंग्य किया और साफिया ने क्या जवाब दिया?

    Solution

    साफिया के भाई ने अदीबों पर व्यंग्य करते हुए कहा-”अब आपसे कौन बहस करे। आप अदीब ठहरीं और सभी अदीबों का दिमाग थोड़ा-सा तो जरूर ही घूमा हुआ होता है। वैसे मैं आपको बताए देता हूँ कि आप ले नहीं जा पाएँगी और बदनामी मुफ्त में हम सबकी भी होगी। आखिर आप कस्टमवालों को कितना जानती हैं?”

    साफिया ने गुस्से से जवाब दिया, “ कस्टमवालों की जानें या न जानें, पर हम इंसानों को थोड़ा-सा जरूर जानते हैं और रही दिमाग की बात सो अगर सभी लोगों का दिमाग हम अदीबों की तरह घूमा हुआ होता तो यह दुनिया कुछ बेहतर ही जगह हो जाती, भैया।”

    Question 39
    CBSEENHN12026681

    अमृतसर में साफिया को जो कस्टम अफसर मिला वह कहाँ का रहने वाला था? उसने किताब दिखाकर क्या बात बताई?

    Solution

    अमृतसर में साफिया को जो कस्टम अफसर मिला वह ढाका का रहने वाला सुनील दास गुप्त था। उसे 1946 में उसके दोस्त शमसुलइ सलाम ने एक किताब प्यार के साथ भेंट की थी। गुप्त ने जो बात बताई वह यह थी-”जब डिवीजन हुआ तभी आए, मगर हमारा वतन ढाका है, मैं तो कोई बारह--तेरह साल का था। पर नजरुल और टैगोर को तो हम लोग बचपन से पड़ते थे। जिस दिन हम रात यहाँ आ रहे थे उसके ठीक एक वर्ष पहले मेरे सबसे पुराने, सबसे प्यारे, बचपन के दोस्त ने मुझे यह किताब दी थी। उस दिन मेरी सालगिरह थी-फिर हम कलकत्ता (कोलकाता) रहे, पढ़े, नौकरी भी मिल गई, पर हम वतन आते-जाते थे।”

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    Question 40
    CBSEENHN12026682

    ‘नमक’ कहानी में भारत व पाक की जनता के आरोपित भेदभावों के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है, कैसे?

    Solution

    भारत-पाक का विभाजन एक त्रासदी था। राजनैतिक इच्छाओं का दुष्परिणाम जनता को भोगना पड़ा था। जनता के ऊपर भेदभाव आरोपित कर दिए गए थे, जबकि दोनों देशों की जनता के बीच मुहब्बत का जज्बा था। अभी भी यह नमकीन स्वाद उनकी रगों में घुला हुआ है। नमकीन स्वाद मीठे से भी अधिक असरदार होता है। नमक का फर्ज जिम्मेदारी और निष्ठा को दर्शाता है। इस स्वाद में अपनापन होता है। यहाँ लाहौरी नमक को माध्यम बनाकर इस मुहब्बत की भावना को उजागर किया गया है। दोनों देशों के लोग अभी भी मुहब्बत की नजर से एक-दूसरे को देखते हैं।

    Question 41
    CBSEENHN12026683

    ‘नमक’ कहानी का प्रतिपाद्य क्या है?

    Solution

    रजिया सज्जाद जहीन की ‘नमक’ शीर्षक कहानी भारत-पाक विभाजन के बाद सरहद के दोनों-तरफ के विस्थापित-पुनर्वासित जनों के दिलों को टटोलती एक मार्मिक कहानी है।

    Question 42
    CBSEENHN12026684

    साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?

    Solution

    साफिया का भाई पाकिस्तान में पुलिस अफसर था। साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया भारत ले जाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि यह गैरकानूनी था। पाकिस्तान से लाहौरी नमक भारत ले जाना प्रतिबंधित था। उसके अनुसार नमक की पुड़िया निकल आने पर बाकी सामान की भी चिंदी-चिंदी बिखेर दी जाएगी। नमक की पुड़िया तो जा नहीं पाएगी, ऊपर से उनकी बदनामी मुफ्त में हो जाएगी।

    Question 43
    CBSEENHN12026685

    साफिया को अटारी में समझ में नहीं आया कि कहाँ लाहौर खत्म हुआ और किस जगह अमृतसर शुरू हो गया, ऐसा क्यों?

    Solution

    साफिया को लाहौर और अमृतसर में कोई विशेष अंतर प्रतीत नहीं हुआ। इसका कारण यह था कि दोनों शहरों की जमीन, बोली, पहनावा, बात करने का ढंग एक जैसा था। दोनों तरफ के लोग एक ही प्रकार से मिल-जुलकर बतिया रहे थे। लेखिका को कहीं कोई अंतर नहीं लगा।

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