Vasant Bhag 3 Chapter 17 बाज और साँप
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    NCERT Solution For Class 8 Hindi Vasant Bhag 3

    बाज और साँप Here is the CBSE Hindi Chapter 17 for Class 8 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 8 Hindi बाज और साँप Chapter 17 NCERT Solutions for Class 8 Hindi बाज और साँप Chapter 17 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 8 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN8001178

    लेखक ने इस कहानी का शीर्षक कहानी के दो पात्रों के आधार पर रखा है। लेखक ने बाज और साँप को ही क्यों चुना होगा? आपस में चर्चा कीजिए।

    Solution

    इस कहानी में दो नायक हैं साँप और बाज। इन दोनों नायकों का लेखक ने कुशलता से चुनाव किया है। आकाश असीम है और बाज उस असीम का प्रतीक है जो स्वतंत्र भाव से आकाश की ऊँचाइयों को पा जाना चाहता है। दूसरी और साँप है जो अपनी ही बनाई सीमाओं में बंद है, उसने स्वयं ही अपने लिए परतंत्रता का दायरा कायम किया है। साथ ही लेखक ने यह भी दर्शाया है कि बाज वीर है घायल होने पर भी लंबी उड़ान की चाह रखता है जबकि साँप कायर है जो गुफा से बाहर निकलना ही नहीं चाहता।
    इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि लेखक ने इन दोनों नायकों के माध्यम से स्वतंत्रता-परतंत्रता एवं वीरता-कायरता के भावों को प्रकट करना चाहा है।
    यही कहानी बंदर और मगरमच्छ के द्वारा भी प्रस्तुत की जा सकती है क्योंकि बंदर स्वतंत्र व निरंतर विचरण करने वाला प्राणी है। उसके लिए कोई सीमा रेखा नहीं जबकि मगरमच्छ अपने सीमित दायरे में कभी धरती व कभी पानी में जीवन व्यतीत करता है, आलसी व धीमी गति से चलने वाला प्राणी है।

    Question 2
    CBSEENHN8001179

    घायल होने के बाद भी बाज ने यह क्यों कहा, “मुझे कोई शिकायत नहीं है।” विचार प्रकट कीजिए।

    Solution
    बाज को अपने जीवन में विस्तार और वीरता में ही आनंद की प्राप्ति हुई थी इसीलिए तो घायल अवस्था में साँप की गुफा में गिरने पर उसने यही कहा कि भले ही मेरी मृत्यु पास है परंतु मुझे अपने जीवन से कोई शिकायत नहीं। मैंने जिंदगी को जी भरकर जिया है। दूर-दूर तक उड़ानें भरी हैं, आकाश की असीम ऊँचाइयों को छुआ है। इस प्रकार उसने व्याख्यान दिया कि जीवन भर उसने असीम सुख भोगा है जबकि साँप ने अँधेरी व सीलनभरी गुफा में ही सारा जीवन व्यतीत किया है।
    Question 3
    CBSEENHN8001180

    बाज ज़िंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा फिर घायल होने के बाद भी वह उड़ना क्यों चाहता था?

    Solution
    बाज ज़िंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा, फिर घायल होने के बाद भी वह उड़ना चाहता था क्योंकि अपने अतीत की ऊँची उड़ान भरने के सुख को वह मरने तक भूलना नहीं चाहता था। इसलिए जीवन के अंतिम क्षणों में भी उसकी उड़ने की इच्छा बलवती थी, वह आकाश के असीम विस्तार को पाना चाहता था।
    Question 4
    CBSEENHN8001181

    साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था। फिर उसने उड़ने की कोशिश क्यों की?

    Solution

    साँप अपने सीमित दायरे में केवल रेंगते हुए ही संतुष्ट था। आकाश की ऊँचाइयाँ व बाहर की स्वच्छंदता से उसे कुछ लेना-देना न था। वह उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता है और सोचता है कि उड़ने और रेंगने के बीच कौन-सा बड़ा अंतर है। सबके भाग्य में तो एक न एक दिन मरना लिखा है और मरकर सभी को मिट्टी मे ही मिल जाना है।
    जब वह बाज के घायल होने पर भी उसकी उड़ने की असीम चाह देखता है तो उसके मन में भी इच्छा जागृत होती है कि वह भी देखे कि आकाश में ऐसा क्या है, जिसके वियोग में बाज इतना व्याकुल होकर छटपटा रहा है। तब उसने भी उड़ने की कोशिश की।

    Question 5
    CBSEENHN8001182

    बाज के लिए लहरों ने गीत क्यों गाया था?

    Solution
    बाज ने शत्रुओं से लड़ते हुए अपना कीमती रक्त बहाया था और मरते दम तक वह आकाश की ऊँचाइयों को पाना चाहता था। वह साहसी और सकारात्मक विचारधारा का था तभी तो उसे अपने जीवन से किसी प्रकार की कोई शिकायत न थी। लहरों ने उसकी इसी वीरता और बहादुरी से प्रभावित होकर गीत गाया।
    Question 6
    CBSEENHN8001183

    घायल बाज को देखकर साँप खुश क्यों हुआ होगा?

    Solution
    घायल बाज को देखकर साँप खुश हुआ होगा क्योंकि घायल बाज उसे किसी प्रकार का आघात नहीं पहुँचा सकता था।
    Question 7
    CBSEENHN8001184

    कहानी में से वे पंक्तियाँ चुनकर लिखिए जिनसे स्वतंत्रता की प्रेरणा मिलती हो।

    Solution

    1. यदि तुम्हें स्वतंत्रता प्यारी है तो इस चट्टान के किनारे से ऊपर क्यों नहीं उड़ जाने की कौशिश करते।
    2. साँप सोचने लगा कि बाज अभागा था जिसने आकाश की आजादी की प्राप्त करने हेतु अपने प्राणों की बाजी लगा दी।
    3. तुम्हारे खून की एक-एक बूँद जिंदगी के अंधेरे में प्रकाश फैलाएगी और साहसी बहादुर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी।

    Question 8
    CBSEENHN8001185

    लहरों का गीत सुनने के बाद साँप ने क्या सोचा होगा? क्या उसने फिर से उड़ने की कोशिश की होगी? अपनी कल्पना से आगे की कहानी पूरी कीजिए।

    Solution

    लहरें बाज की वीरता और साहस के कार्यो के गीत गा रही थीं। जिसे सुनकर साँप के मन में भी अपनी कायरता के प्रति ग्लानि का भाव उत्पन्न हुआ होगा। अवश्य ही उसके मन में उड़ने की इच्छा जागृत हुई होगी।
    साँप ने निश्चय ही गुफा से निकलकर असीम आकाश की ऊँचाइयों को पाने हेतु उड़ने का प्रयास किया होगा। अनेक बार असफल होकर अंत में सफलता पाई होगी। इसी प्रकार संसार में एक नए व कम मिलने वाले प्राणी उड़ने वाले साँप का जन्म हुआ होगा।

     
    Question 9
    CBSEENHN8001186

    क्या पक्षियों को उड़ते समय सचमुच आनंद का अनुभव होता होगा या स्वाभाविक कार्य में आनंद का अनुभव होता ही नहीं? विचार प्रकट कीजिए।

    Solution

    प्रकृति ने पक्षियों को पंख इसलिए दिए ताकि वे हवा में उड़ते हुए आकाश के विस्तार को देख सकें व उसकी ऊँचाइयों को पा सकें। पक्षी चहचहाते हुए, कलरव करते हुए जब उड़ते हैं तो उन्हें बहुत आनंद आता है। जबकि पंख होते हुए भी कुछ पक्षी जैसे बतख, शतुरमुर्ग आदि अधिक उड़ान नहीं भर पाते। उनका सुख व आनंद नाममात्र ही होता है।
    सभी पक्षी स्वाभाविक क्रियाओं को भी आनंदपूर्वक ही पूरा करते हैं जैसे चिड़िया घोंसला बनाते हुए तिनका-तिनका एकत्रित करने में भी आनंदित होती है। पक्षी अपने बच्चों को दाना खिलाने व सुरक्षित स्थान देने में भी आनंद का ही अनुभव करते हैं।
    इस प्रकार हम कह सकते हैं कि पक्षी भले ही लंबी उड़ान भरने में अधिक आनंदित होते हों लेकिन स्वाभाविक क्रियाएँ भी उन्हे आनंद प्रदान करती हैं।

    Question 10
    CBSEENHN8001187

    मानव ने भी हमेशा पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा की है। आज मनुष्य उड़ने की इच्छा किन साधनों से पूरी करता है?

    Solution
    मानव ने भी हमेशा पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा मन में रखी है। मनुष्य की इस इच्छा का परिणाम यह हुआ कि उसने भी आकाश में उड़ने वाले कई यातायात के साधन निर्मित कर डाले, जिनसे दूर-दराज की दूरियाँ कम हो गई। आज मनुष्य हेलीकॉप्टर, वायुयान, रॉकेट, ग्लाइडर आदि द्रुत गति से चलने वाले वाहनों से अपनी उड़ने की इच्छा पूरी करता है।
    Question 11
    CBSEENHN8001188

    यदि स कहानी के पात्र बाज और साँप न होकर कोई और होते तब कहानी कैसी होती? अपनी कल्पना से लिखिए।

    Solution

    यदि इस कहानी के नायक बंदर और मगरमच्छ होते तो कहानी निम्न संकेत बिंदुओं कै आधार पर होती-
    ● बंदर का एक बरगद के पेड़ पर रहना।
    ● मगरमच्छ का तालाब के किनारे निवास।
    ● बंदर का पेड़ों की डालियाँ फाँदना, लंबी छलाँगे मारना, अपने मन से दूर जंगलों में घूमकर आना, मन चाहे व मनभावन फल खाना।
    ● मगरमच्छ का घंटों एक ही स्थान पर पड़े रहना, छोटा-मोटा शिकार करना, कभी-कभार तालाब में जाना, सीमित दायरे में रहना।
    ● एक दिन बंदर का लंगूर द्वारा घायल हो जाना, बिल्कुल चल न पाना, थककर एक पेड़ के नीचे बैठ जाना।
    ● मगरमच्छ का वहीं पर बैठे होना। बंदर को देखकर सहानुभूति दिखाना व लंबी छलाँगों को बेकार बताना।
    ● बंदर का उसकी बातें सुनकर परेशान हो जाना व हर संभव प्रयत्न करना कि वहाँ से किसी तरह भागे और पेड़ों की डालियों पर जाकर बैठे।
    ● बंदर का जोर से पेड़ की डाली की ओर छलाँग लगाना।
    ● धप्प से नदी में गिर जाना।
    ● नदी की लहरों द्वारा आखों से ओझल हो जाना।
    ● मगरमच्छ का उस पर हैरान होना व उसे मूर्ख बताना, लेकिन यह सोचना कि पेड़ों की स्वच्छता कैसी होगी?
    ● मगरमच्छ द्वारा छलाँग लगाने का प्रयास लेकिन भारी शरीर का ऊपर न उठना और चोट खाकर गिरना।
    ● अपने सीमित दायरे को बेहतर कहना।
    ● नदी द्वारा बंदर की प्रशंसा का गीत गूँजना।
    ● मगरमच्छ का अपना-सा मुँह लेकर रह जाना।

    Question 12
    CBSEENHN8001189

    कहानी में से अपनी पसंद के पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

    Solution

    1. वृद्ध की आखिरी घड़ी पास थी।
    2. जंगल में गरमी के कारण कई जानवर अंतिम साँसें गिन रहे थे।
    3. आकाश में टूटता तारा देखते ही देखते औखों से ओझल हो गया।
    4. कम ज्ञान रखने वाले मनुष्य डींगें अधिक हाँकते हैं।
    5. पिताजी द्वारा कीमती खिलौना लाने पर मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा।

    Question 14
    CBSEENHN8001191

    साँप का निवास कहाँ था? वह अपने जीवन से संतुष्ट था या नहीं यदि था तो क्यों?

    Solution
    साँप का निवास अँधेरी और सीलनभरी गुफा में था। वह अपने जीवन से संतुष्ट था क्योंकि उसका मानना था कि अपनी गुफा में वह सुखी और सुरक्षित है कोई उसे दुख नहीं दे सकता, वह अपनी गुफा का स्वामी है। दुनिया की छीना-झपटी से दूर, उसे किसी से कुछ लेना देना नहीं है।
    Question 15
    CBSEENHN8001192

    साँप किसका प्रतीक है?

    Solution
    साँप मुख्य रूप से कायरता का प्रतीक है क्योंकि इतनी बड़ी धरती व उसकी गुफा के आसपास सुंदर वातावरण होने पर भी उसके मन में किसी प्रकार की कोई चाह नहीं, जीवन का कोई लक्ष्य नहीं। अपने द्वारा ही बनाए गए सीमित दायरे में रहकर परतंत्रता का जीवन जीने पर भी अपने आपको सुखी व खुश मानता है।
    Question 16
    CBSEENHN8001193

    साँप के विचारों में दार्शनिकता कब झलकती है?

    Solution
    साँप केवल रेंगने में ही संतुष्ट है जबकि बाज उड़ने को ही जीवन मानता है। साँप को बाज की यह इच्छा मूर्खतापूर्ण लगती है। क्योंकि वह सोचता है कि गुफा में जीवन सुरक्षित है, तभी उसका यह कहना कि सबके भाग्य में मरना लिखा है, यह शरीर मिट्टी का है और मिट्टी में ही मिल जाना है। अर्थात् सभी का अस्तित्व एक न एक दिन समाप्त हो जाना है, दर्शाता है कि साँप के विचार दार्शनिक हैं।
    Question 17
    CBSEENHN8001194

    साँप ने बाज को उत्साहित कैसे किया?

    Solution
    साँप ने बाज के उड़ने की इच्छा देखते हुए उसे उत्साहित करने हेतु कहा कि यदि तुम स्वतंत्र रूप से खुले आकाश में उड़ना चाहते हो तो हिम्मत करके चट्टान के किनारे पर जाकर उड़ने का प्रयास करो शायद तुम्हारे पंखों में इतनी ताकत बाकी हो कि तुम आकाश में उड़ सको। तुम्हें प्रयास अवश्य करना चाहिए।

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    Question 18
    CBSEENHN8001195

    लहरों ने बाज का स्वागत क्यों किया?

    Solution
    बाज ने वीरतापूर्ण अपना जीवन जिया था। मन में सदा स्वतंत्रता की चाह रखी थी इसलिए लहरों ने उसका स्वागत किया।
    Question 19
    CBSEENHN8001196

    बाज किसका प्रतीक है?

    Solution
    बाज वीरता व स्वतंत्रता का प्रतीक है। मरते दम तक उसके मन में स्वछंदता से उस आकाश की ऊँचाइयों को पाने की चाह है जिस हेतु वह वीरता से आगे बढ़ता है। लहरों का भी यह मानना है कि उसने शत्रुओं का मुकाबला वीरता से किया।
    Question 20
    CBSEENHN8001197

    इस कहानी से क्या संदेश मिलता है?

    Solution
    मनुष्य को बहादुर और साहसी बनकर जीवन में स्वतंत्रता और प्रकाश हेतु संघर्ष करना चाहिए। साँप की तरह कायर न बनकर बाज की तरह वीर बनने का प्रयास करना चाहिए।
    Question 26
    CBSEENHN8001203

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    अपनी गुफा में बैठा हुआ साँप सब कुछ देखा करता-लहरों का गर्जन, आकाश में छिपती हुई पहाड़ियाँ, टेढ़ी- मेढ़ी बल खाती हुई नदी की गुस्से से भरी आवाजें। वह मन ही मन खुश होता था कि इस गर्जन-तर्जन के होते हुए भी वह सुखी और सुरक्षित है। कोई उसे दुख नहीं दे सकता। सबसे अलग. सबसे दूर, वह अपनी गुफा का स्वामी है। न किसी से लेना, न किसी से देना। दुनिया की भाग-दौड़, छीना-झपटी से वह दूर है। साँप के लिए यही सबसे बड़ा सुख था।

    साँप गुफा में बैठा-बैठा क्या करता था?

    • लहरों का गर्जन, आकाश में छिपती हुई पहाड़ियाँ, टेढ़ी-मेढ़ी चाल से नदी की तेज आवाज सुनता था।
    • नदी की तेज लहरों को निहारता था।
    • गुफा में आराम करता था।
    • हरदम किसी-न-किसी के आने का इंतजार करता था।

    Solution

    A.

    लहरों का गर्जन, आकाश में छिपती हुई पहाड़ियाँ, टेढ़ी-मेढ़ी चाल से नदी की तेज आवाज सुनता था।
    Question 27
    CBSEENHN8001204

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    अपनी गुफा में बैठा हुआ साँप सब कुछ देखा करता-लहरों का गर्जन, आकाश में छिपती हुई पहाड़ियाँ, टेढ़ी- मेढ़ी बल खाती हुई नदी की गुस्से से भरी आवाजें। वह मन ही मन खुश होता था कि इस गर्जन-तर्जन के होते हुए भी वह सुखी और सुरक्षित है। कोई उसे दुख नहीं दे सकता। सबसे अलग. सबसे दूर, वह अपनी गुफा का स्वामी है। न किसी से लेना, न किसी से देना। दुनिया की भाग-दौड़, छीना-झपटी से वह दूर है। साँप के लिए यही सबसे बड़ा सुख था।

    वह मन ही मन खुश क्यों होता था?
    • गुफा के आसपास तेज गर्जन-तर्जन के होते हुए भी वह पूर्णतया सुरक्षित था।
    • उसे कोई दुख नहीं दे सकता था।
    • वह अपनी गुफा का स्वामी था।
    • दिए गए सभी।

    Solution

    D.

    दिए गए सभी।
    Question 28
    CBSEENHN8001205

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    अपनी गुफा में बैठा हुआ साँप सब कुछ देखा करता-लहरों का गर्जन, आकाश में छिपती हुई पहाड़ियाँ, टेढ़ी- मेढ़ी बल खाती हुई नदी की गुस्से से भरी आवाजें। वह मन ही मन खुश होता था कि इस गर्जन-तर्जन के होते हुए भी वह सुखी और सुरक्षित है। कोई उसे दुख नहीं दे सकता। सबसे अलग. सबसे दूर, वह अपनी गुफा का स्वामी है। न किसी से लेना, न किसी से देना। दुनिया की भाग-दौड़, छीना-झपटी से वह दूर है। साँप के लिए यही सबसे बड़ा सुख था।

    साँप का जीवन कैसा बीत रहा था?

    • एकदम शांत
    • दुनिया की भाग-दौड़ और छीना झपटी से दूर
    • अकेलेपन से 
    • इनमें से कोई नहीं।

    Solution

    B.

    दुनिया की भाग-दौड़ और छीना झपटी से दूर
    Question 29
    CBSEENHN8001206

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    अपनी गुफा में बैठा हुआ साँप सब कुछ देखा करता-लहरों का गर्जन, आकाश में छिपती हुई पहाड़ियाँ, टेढ़ी- मेढ़ी बल खाती हुई नदी की गुस्से से भरी आवाजें। वह मन ही मन खुश होता था कि इस गर्जन-तर्जन के होते हुए भी वह सुखी और सुरक्षित है। कोई उसे दुख नहीं दे सकता। सबसे अलग. सबसे दूर, वह अपनी गुफा का स्वामी है। न किसी से लेना, न किसी से देना। दुनिया की भाग-दौड़, छीना-झपटी से वह दूर है। साँप के लिए यही सबसे बड़ा सुख था।

    साँप का गुफा में रहते हुए किस-किस से सबंध था?
    • बाज से
    • अपने सगे संबंधियों से
    • नदी की लहरों से
    • किसी से भी नहीं

    Solution

    D.

    किसी से भी नहीं
    Question 30
    CBSEENHN8001207
    Question 31
    CBSEENHN8001208

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    आकाश में उड़ता हुआ खून से लथपथ एक बाज साँप की उस गुफा में आ गिरा। उसकी छाती पर कितने ही ज़ख्मों के निशान थे, पंख खून से सने थे और वह अधमरा-सा जोर-शोर से हाँफ रहा था। ज़मीन पर गिरते ही उसने एक दर्द भरी चीख मारी और पंखों को फड़फड़ाता हुआ धरती पर लाेटने लगा। डर से साँप अपने कोने में सिकुड़ गया। किंतु दूसरे ही क्षण उसने भाँप लिया कि बाज जीवन की अंतिम साँसें गिन रहा है और उससे डरना बेकार है। यह सोचकर उसकी हिम्मत बँधी और वह रेंगता हुआ उस घायल पक्षी के पास जा पहुँचा। उसकी तरफ़ कुछ देर तक देखता रहा, फिर मन ही मन खुश होता हुआ बोला- 'क्यों भाई, इतनी जल्दी मरने की तैयारी कर ली?”

    आकाश में उड़ता हुआ बाज कहा गिरा?

    • साँप की गुफा में
    • नदी में
    • गुफा के बाहर
    • ऊंची चट्टान पर

    Solution

    A.

    साँप की गुफा में
    Question 32
    CBSEENHN8001209

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    आकाश में उड़ता हुआ खून से लथपथ एक बाज साँप की उस गुफा में आ गिरा। उसकी छाती पर कितने ही ज़ख्मों के निशान थे, पंख खून से सने थे और वह अधमरा-सा जोर-शोर से हाँफ रहा था। ज़मीन पर गिरते ही उसने एक दर्द भरी चीख मारी और पंखों को फड़फड़ाता हुआ धरती पर लाेटने लगा। डर से साँप अपने कोने में सिकुड़ गया। किंतु दूसरे ही क्षण उसने भाँप लिया कि बाज जीवन की अंतिम साँसें गिन रहा है और उससे डरना बेकार है। यह सोचकर उसकी हिम्मत बँधी और वह रेंगता हुआ उस घायल पक्षी के पास जा पहुँचा। उसकी तरफ़ कुछ देर तक देखता रहा, फिर मन ही मन खुश होता हुआ बोला- 'क्यों भाई, इतनी जल्दी मरने की तैयारी कर ली?”

    बाज जब गिरा तो किस स्थिति में था?
    • घायल
    • स्वस्थ
    • बेहोश
    • मृत

    Solution

    A.

    घायल
    Question 33
    CBSEENHN8001210

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    आकाश में उड़ता हुआ खून से लथपथ एक बाज साँप की उस गुफा में आ गिरा। उसकी छाती पर कितने ही ज़ख्मों के निशान थे, पंख खून से सने थे और वह अधमरा-सा जोर-शोर से हाँफ रहा था। ज़मीन पर गिरते ही उसने एक दर्द भरी चीख मारी और पंखों को फड़फड़ाता हुआ धरती पर लाेटने लगा। डर से साँप अपने कोने में सिकुड़ गया। किंतु दूसरे ही क्षण उसने भाँप लिया कि बाज जीवन की अंतिम साँसें गिन रहा है और उससे डरना बेकार है। यह सोचकर उसकी हिम्मत बँधी और वह रेंगता हुआ उस घायल पक्षी के पास जा पहुँचा। उसकी तरफ़ कुछ देर तक देखता रहा, फिर मन ही मन खुश होता हुआ बोला- 'क्यों भाई, इतनी जल्दी मरने की तैयारी कर ली?”

    साँप कोने में क्यों सिकुड़ा?
    • बाज से डरकर 
    • ठंड के कारण
    • गुफा के टूटने के कारण
    • वर्षा की बौछारों के कारण

    Solution

    A.

    बाज से डरकर 
    Question 34
    CBSEENHN8001211

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    आकाश में उड़ता हुआ खून से लथपथ एक बाज साँप की उस गुफा में आ गिरा। उसकी छाती पर कितने ही ज़ख्मों के निशान थे, पंख खून से सने थे और वह अधमरा-सा जोर-शोर से हाँफ रहा था। ज़मीन पर गिरते ही उसने एक दर्द भरी चीख मारी और पंखों को फड़फड़ाता हुआ धरती पर लाेटने लगा। डर से साँप अपने कोने में सिकुड़ गया। किंतु दूसरे ही क्षण उसने भाँप लिया कि बाज जीवन की अंतिम साँसें गिन रहा है और उससे डरना बेकार है। यह सोचकर उसकी हिम्मत बँधी और वह रेंगता हुआ उस घायल पक्षी के पास जा पहुँचा। उसकी तरफ़ कुछ देर तक देखता रहा, फिर मन ही मन खुश होता हुआ बोला- 'क्यों भाई, इतनी जल्दी मरने की तैयारी कर ली?”

    बाज की हालत कैसी थी?
    • बिल्कुल मरने वाली
    • छाती पर जख्मो के निशान, पंख खून से सने हुए और अधमरी अवस्था में
    • एकदम भयभीत
    • एकदम तीरों से छलनी

    Solution

    B.

    छाती पर जख्मो के निशान, पंख खून से सने हुए और अधमरी अवस्था में
    Question 35
    CBSEENHN8001212

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    आकाश में उड़ता हुआ खून से लथपथ एक बाज साँप की उस गुफा में आ गिरा। उसकी छाती पर कितने ही ज़ख्मों के निशान थे, पंख खून से सने थे और वह अधमरा-सा जोर-शोर से हाँफ रहा था। ज़मीन पर गिरते ही उसने एक दर्द भरी चीख मारी और पंखों को फड़फड़ाता हुआ धरती पर लाेटने लगा। डर से साँप अपने कोने में सिकुड़ गया। किंतु दूसरे ही क्षण उसने भाँप लिया कि बाज जीवन की अंतिम साँसें गिन रहा है और उससे डरना बेकार है। यह सोचकर उसकी हिम्मत बँधी और वह रेंगता हुआ उस घायल पक्षी के पास जा पहुँचा। उसकी तरफ़ कुछ देर तक देखता रहा, फिर मन ही मन खुश होता हुआ बोला- 'क्यों भाई, इतनी जल्दी मरने की तैयारी कर ली?”

    साँप की हिम्मत कैसे बंधी, उसने बाज से क्या कहा?
    • जब उसे पता चला कि बाज मरने वाला है तो उसने उससे कहा कि इतनी जल्दी मरने की तैयारी कर ली।
    • जब बाज ने उसे मित्र कहा तो उसने बाज को अपने पास बैठाने काे कहा
    • जब बाज ने उसे सहायता के लिए कहा तो साँप ने उसे नदी में अपने घाव धोने को कहा
    • इनमें से कोई नहीं

    Solution

    A.

    जब उसे पता चला कि बाज मरने वाला है तो उसने उससे कहा कि इतनी जल्दी मरने की तैयारी कर ली।
    Question 38
    CBSEENHN8001215

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मेरी ज़िंदगी भी खूब रही भाई, जी भरकर उसे भीगा है। जब तक शरीर में ताकत रही, कोई सुख ऐसा नहीं बचा जिसे न भीगा हो। दूर-दूर तक उड़ानें भरी हैं, आकाश की असीम ऊँचाइयों को अपने पंखों से नाप आया हूँ। तुम्हारा बड़ा दुर्भाग्य है कि तुम जिंदगी भर आकाश में उड़ने का आनंद कभी नहीं उठा पाओगे।

    बाज साँप को दुर्भाग्यशाली क्यों कहता है?
    • क्योंकि साँप एक बंद कोठरी में अपने-आप कायम की गई पराधीनता में कैद था।
    • क्योंकि साँप डरपोक बन गया था।
    • साँप ने जीवन में किसी से संपर्क नहीं रखा था।
    • साँप ने गुफा से बाहर की दुनिया को न परखा था।

    Solution

    A.

    क्योंकि साँप एक बंद कोठरी में अपने-आप कायम की गई पराधीनता में कैद था।
    Question 39
    CBSEENHN8001216

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मेरी ज़िंदगी भी खूब रही भाई, जी भरकर उसे भीगा है। जब तक शरीर में ताकत रही, कोई सुख ऐसा नहीं बचा जिसे न भीगा हो। दूर-दूर तक उड़ानें भरी हैं, आकाश की असीम ऊँचाइयों को अपने पंखों से नाप आया हूँ। तुम्हारा बड़ा दुर्भाग्य है कि तुम जिंदगी भर आकाश में उड़ने का आनंद कभी नहीं उठा पाओगे।

    साँप उड़ने में असमर्थ क्यों है?
    • उसकी गुफा में बाहर जाने का रास्ता ही न था।
    • न तौ उसके मन में उड़ने की चाह थी और न उसे ईश्वर ने पंख दिए थे।
    • साँप को नदी के जल से डर लगता था।
    • साँप में गुफा से बाहर जाने की शक्ति न थी।

    Solution

    B.

    न तौ उसके मन में उड़ने की चाह थी और न उसे ईश्वर ने पंख दिए थे।

    Sponsor Area

    Question 41
    CBSEENHN8001218

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    बाज की ऐसी करुण चीख सुनकर साँप कुछ सिटपिटा-सा गया। एक क्षण के लिए उसके मन में उस आकाश के प्रति इच्छा पैदा हो गई जिसके वियोग में बाज इतना व्याकुल होकर छटपटा रहा था। उसने बाज से कहा-”यदि तुम्हें स्वतंत्रता इतनी प्यारी है तो इस चट्टान के किनारे से ऊपर क्यों नहीं उड़ जाने की कोशिश करते। हो सकता है कि तुम्हारे पैरों में अभी इतनी ताकत बाकी हो कि तुम आकाश में उड़ सकी। कोशिश करने में क्या हर्ज है?”
    बाज में एक नयी आशा जग उठी। वह दूने उत्साह से अपने घायल शरीर की घसीटता हुआ चट्टान के किनारे तक खींच लाया। खुले आकाश को देखकर उसकी आँखें चमक उठीं। उसने एक गहरी, लंबी साँस ली और अपने पंख फैलाकर हवा में कूद पड़ा।

    बाज की करुण चीख क्यों फूटी थी?

    • साँप ने उसके घाव देखने चाहे।
    • उसे बहुत दर्द हो रहा था
    • घायल बाज जब उड़ न पाया तो उसकी करुण चीख फूटी।
    • इनमें से कोई नहीं।

    Solution

    B.

    उसे बहुत दर्द हो रहा था
    Question 42
    CBSEENHN8001219

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    बाज की ऐसी करुण चीख सुनकर साँप कुछ सिटपिटा-सा गया। एक क्षण के लिए उसके मन में उस आकाश के प्रति इच्छा पैदा हो गई जिसके वियोग में बाज इतना व्याकुल होकर छटपटा रहा था। उसने बाज से कहा-”यदि तुम्हें स्वतंत्रता इतनी प्यारी है तो इस चट्टान के किनारे से ऊपर क्यों नहीं उड़ जाने की कोशिश करते। हो सकता है कि तुम्हारे पैरों में अभी इतनी ताकत बाकी हो कि तुम आकाश में उड़ सकी। कोशिश करने में क्या हर्ज है?”
    बाज में एक नयी आशा जग उठी। वह दूने उत्साह से अपने घायल शरीर की घसीटता हुआ चट्टान के किनारे तक खींच लाया। खुले आकाश को देखकर उसकी आँखें चमक उठीं। उसने एक गहरी, लंबी साँस ली और अपने पंख फैलाकर हवा में कूद पड़ा।

    साँप के मन में एकाएक क्या इच्छा उत्पन्न हुई?


    • गुफा से बाहर जाने की
    • आकाश में उड़ने की
    • नदी के पास जाने की
    • बाज की मदद करने की

    Solution

    B.

    आकाश में उड़ने की
    Question 43
    CBSEENHN8001220

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    बाज की ऐसी करुण चीख सुनकर साँप कुछ सिटपिटा-सा गया। एक क्षण के लिए उसके मन में उस आकाश के प्रति इच्छा पैदा हो गई जिसके वियोग में बाज इतना व्याकुल होकर छटपटा रहा था। उसने बाज से कहा-”यदि तुम्हें स्वतंत्रता इतनी प्यारी है तो इस चट्टान के किनारे से ऊपर क्यों नहीं उड़ जाने की कोशिश करते। हो सकता है कि तुम्हारे पैरों में अभी इतनी ताकत बाकी हो कि तुम आकाश में उड़ सकी। कोशिश करने में क्या हर्ज है?”
    बाज में एक नयी आशा जग उठी। वह दूने उत्साह से अपने घायल शरीर की घसीटता हुआ चट्टान के किनारे तक खींच लाया। खुले आकाश को देखकर उसकी आँखें चमक उठीं। उसने एक गहरी, लंबी साँस ली और अपने पंख फैलाकर हवा में कूद पड़ा।

    साँप ने बाज को क्या सलाह दी?



    • आराम से बैठे रहो।
    • नदी में अपने पंख धो लो।
    • हिम्मत करके चट्टान के किनारे से ऊपर उड़ने की कोशिश कसे।
    • अब मेरे साथ गुफा में ही रहो।

    Solution

    C.

    हिम्मत करके चट्टान के किनारे से ऊपर उड़ने की कोशिश कसे।
    Question 44
    CBSEENHN8001221

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    बाज की ऐसी करुण चीख सुनकर साँप कुछ सिटपिटा-सा गया। एक क्षण के लिए उसके मन में उस आकाश के प्रति इच्छा पैदा हो गई जिसके वियोग में बाज इतना व्याकुल होकर छटपटा रहा था। उसने बाज से कहा-”यदि तुम्हें स्वतंत्रता इतनी प्यारी है तो इस चट्टान के किनारे से ऊपर क्यों नहीं उड़ जाने की कोशिश करते। हो सकता है कि तुम्हारे पैरों में अभी इतनी ताकत बाकी हो कि तुम आकाश में उड़ सकी। कोशिश करने में क्या हर्ज है?”
    बाज में एक नयी आशा जग उठी। वह दूने उत्साह से अपने घायल शरीर की घसीटता हुआ चट्टान के किनारे तक खींच लाया। खुले आकाश को देखकर उसकी आँखें चमक उठीं। उसने एक गहरी, लंबी साँस ली और अपने पंख फैलाकर हवा में कूद पड़ा।

    साँप बाज का उत्साह क्यों बड़ा रहा था?


    • उसके दर्द को कम करने के लिए
    • उसका मन दूसरी आेर लगाने के लिए
    • आकाश में उड़ने के प्रति उसकी छटपटाहट देखकर
    • उसे गुफा से बाहर निकालने के लिए

    Solution

    C.

    आकाश में उड़ने के प्रति उसकी छटपटाहट देखकर
    Question 45
    CBSEENHN8001222

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    बाज की ऐसी करुण चीख सुनकर साँप कुछ सिटपिटा-सा गया। एक क्षण के लिए उसके मन में उस आकाश के प्रति इच्छा पैदा हो गई जिसके वियोग में बाज इतना व्याकुल होकर छटपटा रहा था। उसने बाज से कहा-”यदि तुम्हें स्वतंत्रता इतनी प्यारी है तो इस चट्टान के किनारे से ऊपर क्यों नहीं उड़ जाने की कोशिश करते। हो सकता है कि तुम्हारे पैरों में अभी इतनी ताकत बाकी हो कि तुम आकाश में उड़ सकी। कोशिश करने में क्या हर्ज है?”
    बाज में एक नयी आशा जग उठी। वह दूने उत्साह से अपने घायल शरीर की घसीटता हुआ चट्टान के किनारे तक खींच लाया। खुले आकाश को देखकर उसकी आँखें चमक उठीं। उसने एक गहरी, लंबी साँस ली और अपने पंख फैलाकर हवा में कूद पड़ा।

    घायल बाज की आँखें खुले आकाश को देखकर क्यों चमक उठी?

    • क्योंकि उसे उड़ना बहुत पसंद था।
    • वह गुफा में बैठा-बैठा तंग आ गया था।
    • उसे साँप का साथ अच्छा न लगा था।
    • अब उसके घावों की पीड़ा कुछ कम हो गई थी।

    Solution

    A.

    क्योंकि उसे उड़ना बहुत पसंद था।
    Question 47
    CBSEENHN8001224

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    किंतु उसके टूटे पंखों में इतनी शक्ति नहीं थी कि उसके शरीर का बोझ सँभाल सकें। पत्थर-सा उसका शरीर लुढ़कता हुआ नदी में जा गिरा। एक लहर ने उठकर उसके पंखों पर जमे खून को धो दिया, उसके थके-माँदे शरीर को सफ़ेद फेन से ढक दिया, फिर अपनी गोद में समेटकर उसे अपने साथ सागर की ओर ले चली।

    बाज जब नदी में गिरा तो लहरों ने क्या किया?
    • उसके पंखों के खून को धो दिया और उसके थके माँदे शरीर को सफ़ेद झाग से ढ़क दिया।
    • उसे अपने-आप में समेट लिया।
    • उसे दूर आकाश की ऊँचाइयों तक पहुँचाने की कोशिश की।
    • उसके जख्मों को पानी से सहलाने का प्रयत्न किया।

    Solution

    A.

    उसके पंखों के खून को धो दिया और उसके थके माँदे शरीर को सफ़ेद झाग से ढ़क दिया।
    Question 48
    CBSEENHN8001225

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    किंतु उसके टूटे पंखों में इतनी शक्ति नहीं थी कि उसके शरीर का बोझ सँभाल सकें। पत्थर-सा उसका शरीर लुढ़कता हुआ नदी में जा गिरा। एक लहर ने उठकर उसके पंखों पर जमे खून को धो दिया, उसके थके-माँदे शरीर को सफ़ेद फेन से ढक दिया, फिर अपनी गोद में समेटकर उसे अपने साथ सागर की ओर ले चली।

    लहरें उसे सागर की ओर क्यों ले चलीं?
    • लहरों का बहाव सागर की ओर था।
    • उसकी वीरता से प्रसन्न होकर लहरें उसे असीम सागर की गहराइयों तक ले चलीं।
    • लहरें हर आने वाले को आसरा देती थी।
    • बाज ने उनसे आग्रह किया था।

    Solution

    B.

    उसकी वीरता से प्रसन्न होकर लहरें उसे असीम सागर की गहराइयों तक ले चलीं।
    Question 52
    CBSEENHN8001229

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “आकाश की असीम शून्यता में क्या ऐसा आकर्षंण छिपा है जिसके लिए बाज ने अपने प्राण गँवा दिए? वह खुद तो मर गया लेकिन मेरे दिल का चैन अपने साथ ले गया। न जाने आकाश में क्या खजाना रखा है? एक बार तों मैं भी वहाँ जाकर उसके रहस्य का पता लगाऊँगा चाहे कुछ देर के लिए ही हो। कम से कम उस आकाश का स्वाद तो चख लूँगा।” 

    साँप के दिल का चैन क्यों खो गया?
    • आकाश की ऊँचाइयाँ देखकर
    • अपने बंद गुफा के जीवन से दुखी होकर
    • बाज की आकाश की असीम शून्यता के प्रति चाह देखकर
    • अपने जीवन में बदलाव लाने की भावना जागृत होने पर

    Solution

    C.

    बाज की आकाश की असीम शून्यता के प्रति चाह देखकर
    Question 54
    CBSEENHN8001231

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “आकाश की असीम शून्यता में क्या ऐसा आकर्षंण छिपा है जिसके लिए बाज ने अपने प्राण गँवा दिए? वह खुद तो मर गया लेकिन मेरे दिल का चैन अपने साथ ले गया। न जाने आकाश में क्या खजाना रखा है? एक बार तों मैं भी वहाँ जाकर उसके रहस्य का पता लगाऊँगा चाहे कुछ देर के लिए ही हो। कम से कम उस आकाश का स्वाद तो चख लूँगा।” 

    साँप ने अपने-आप से क्या निर्णय लिया?
    • अब बंद गुफा में नहीं रहेगा।
    • एक बार अवश्य उड़ेगा और आकाश के रहस्य को जानेगा।
    • बाज से पक्की मित्रता निभाएगा।
    • नदी की लहरों के सहारे दूर जाएगा।

    Solution

    B.

    एक बार अवश्य उड़ेगा और आकाश के रहस्य को जानेगा।
    Question 56
    CBSEENHN8001233

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “सो उड़ने का यही आनंद है-भर पाया मैं तो! पक्षी भी कितने मूर्ख हैं। धरती के सुख से अनजान रहकर आकाश की ऊँचाइयों को नापना चाहते थे। किंतु अब मैंने जान लिया कि आकाश में कुछ नहीं रखा। केवल ढेर-सी रोशनी के सिवा वहाँ कुछ भी नहीं, शरीर को संभालने के लिए कोई स्थान नहीं, कोई सहारा नहीं। फिर वे पक्षी किस बूते पर इतनी डींगें हाँकते हैं, किसलिए धरती के प्राणियों को इतना छोटा समझते हैं। अब मैं कभी धोखा नहीं खाऊँगा, मैंने आकाश देख लिया और खूब देख लिया। बाज़ तो बड़ी-बड़ी बातें बनाता था, आकाश के गुण गाते थकता नहीं था। उसी की बातों में आकर मैं आकाश में कूदा था। ईश्वर भला करे, मरते-मरते बच गया। अब तो मेरी यह बात और भी पक्की हो गई है कि अपनी खोखल से बड़ा सुख और कहीं नहीं है। धरती पर रेंग लेता है, मेरे लिए यह बहुत कुछ है। मुझे आकाश की स्वच्छंदता से क्या लेना-देना? न वहाँ छत है, न दीवारें हैं, न रेंगने के लिए जमीन है। मेरा तो सिर चकराने लगता है। दिल काँप-काँप जाता है। अपने प्राणों को खतरे में डालना कहाँ की चतुराई है?” 

    साँप ने आकाश से गिर जाने पर पक्षियों को मूर्ख क्यों कहा?
    • उसने सोचा लोग आकाश की ऊँचाइयाँ क्यों पाते हैं जबकि वहाँ रेंगने हेतु जमीन नहीं।
    • क्योंकि वह स्वयं उड़ने में असफल रहा था।
    • वहाँ न छत है, न दीवारें और न धरती के विभिन्न सुख।
    • दिए गए सभी।

    Solution

    B.

    क्योंकि वह स्वयं उड़ने में असफल रहा था।
    Question 57
    CBSEENHN8001234

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “सो उड़ने का यही आनंद है-भर पाया मैं तो! पक्षी भी कितने मूर्ख हैं। धरती के सुख से अनजान रहकर आकाश की ऊँचाइयों को नापना चाहते थे। किंतु अब मैंने जान लिया कि आकाश में कुछ नहीं रखा। केवल ढेर-सी रोशनी के सिवा वहाँ कुछ भी नहीं, शरीर को संभालने के लिए कोई स्थान नहीं, कोई सहारा नहीं। फिर वे पक्षी किस बूते पर इतनी डींगें हाँकते हैं, किसलिए धरती के प्राणियों को इतना छोटा समझते हैं। अब मैं कभी धोखा नहीं खाऊँगा, मैंने आकाश देख लिया और खूब देख लिया। बाज़ तो बड़ी-बड़ी बातें बनाता था, आकाश के गुण गाते थकता नहीं था। उसी की बातों में आकर मैं आकाश में कूदा था। ईश्वर भला करे, मरते-मरते बच गया। अब तो मेरी यह बात और भी पक्की हो गई है कि अपनी खोखल से बड़ा सुख और कहीं नहीं है। धरती पर रेंग लेता है, मेरे लिए यह बहुत कुछ है। मुझे आकाश की स्वच्छंदता से क्या लेना-देना? न वहाँ छत है, न दीवारें हैं, न रेंगने के लिए जमीन है। मेरा तो सिर चकराने लगता है। दिल काँप-काँप जाता है। अपने प्राणों को खतरे में डालना कहाँ की चतुराई है?” 

    साँप ने आकाश के प्रति किस घटना को व्यक्त किया है?
    • वहाँ रुकने का आधार नहीं।
    • वहाँ केवल रोशनी है, शरीर को संभालने का कोई स्थान नहीं।
    • वहाँ केवल हवा ही हवा है।
    • वहाँ देखने को कुछ भी नहीं।

    Solution

    B.

    वहाँ केवल रोशनी है, शरीर को संभालने का कोई स्थान नहीं।
    Question 58
    CBSEENHN8001235

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “सो उड़ने का यही आनंद है-भर पाया मैं तो! पक्षी भी कितने मूर्ख हैं। धरती के सुख से अनजान रहकर आकाश की ऊँचाइयों को नापना चाहते थे। किंतु अब मैंने जान लिया कि आकाश में कुछ नहीं रखा। केवल ढेर-सी रोशनी के सिवा वहाँ कुछ भी नहीं, शरीर को संभालने के लिए कोई स्थान नहीं, कोई सहारा नहीं। फिर वे पक्षी किस बूते पर इतनी डींगें हाँकते हैं, किसलिए धरती के प्राणियों को इतना छोटा समझते हैं। अब मैं कभी धोखा नहीं खाऊँगा, मैंने आकाश देख लिया और खूब देख लिया। बाज़ तो बड़ी-बड़ी बातें बनाता था, आकाश के गुण गाते थकता नहीं था। उसी की बातों में आकर मैं आकाश में कूदा था। ईश्वर भला करे, मरते-मरते बच गया। अब तो मेरी यह बात और भी पक्की हो गई है कि अपनी खोखल से बड़ा सुख और कहीं नहीं है। धरती पर रेंग लेता है, मेरे लिए यह बहुत कुछ है। मुझे आकाश की स्वच्छंदता से क्या लेना-देना? न वहाँ छत है, न दीवारें हैं, न रेंगने के लिए जमीन है। मेरा तो सिर चकराने लगता है। दिल काँप-काँप जाता है। अपने प्राणों को खतरे में डालना कहाँ की चतुराई है?” 

    उसे अपनी खोखल क्यों अच्छी लगी?
    • वहाँ उसे मौसम के बदलाव में रहने का आसम था।
    • वहाँ वह रेंग सकता था, उसका जीवन भी सुरक्षित था।
    • वहां उसे कोई परेशान करने वाला नहीं था।
    • इनमें से कोई नहीं।

    Solution

    B.

    वहाँ वह रेंग सकता था, उसका जीवन भी सुरक्षित था।
    Question 59
    CBSEENHN8001236

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “सो उड़ने का यही आनंद है-भर पाया मैं तो! पक्षी भी कितने मूर्ख हैं। धरती के सुख से अनजान रहकर आकाश की ऊँचाइयों को नापना चाहते थे। किंतु अब मैंने जान लिया कि आकाश में कुछ नहीं रखा। केवल ढेर-सी रोशनी के सिवा वहाँ कुछ भी नहीं, शरीर को संभालने के लिए कोई स्थान नहीं, कोई सहारा नहीं। फिर वे पक्षी किस बूते पर इतनी डींगें हाँकते हैं, किसलिए धरती के प्राणियों को इतना छोटा समझते हैं। अब मैं कभी धोखा नहीं खाऊँगा, मैंने आकाश देख लिया और खूब देख लिया। बाज़ तो बड़ी-बड़ी बातें बनाता था, आकाश के गुण गाते थकता नहीं था। उसी की बातों में आकर मैं आकाश में कूदा था। ईश्वर भला करे, मरते-मरते बच गया। अब तो मेरी यह बात और भी पक्की हो गई है कि अपनी खोखल से बड़ा सुख और कहीं नहीं है। धरती पर रेंग लेता है, मेरे लिए यह बहुत कुछ है। मुझे आकाश की स्वच्छंदता से क्या लेना-देना? न वहाँ छत है, न दीवारें हैं, न रेंगने के लिए जमीन है। मेरा तो सिर चकराने लगता है। दिल काँप-काँप जाता है। अपने प्राणों को खतरे में डालना कहाँ की चतुराई है?” 

    क्या साँप का यह सब सोचना सही है?
    • सोचना सही था क्योंकि गुफा में मनचाहा जीवन बिता रहा था।
    • सोचना सही था क्योकि वह गुफा में हर मौसम की मार से बच जाता था।
    • उसका सोचना गलत था क्योंकि वह गुफा में रहकर कायरों का सा जीवन बिता रहा था।
    • सोचना सही था क्योंकि गुफा में उसे किसी प्रकार का कोई डर न था।

    Solution

    C.

    उसका सोचना गलत था क्योंकि वह गुफा में रहकर कायरों का सा जीवन बिता रहा था।
    Question 60
    CBSEENHN8001237

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “सो उड़ने का यही आनंद है-भर पाया मैं तो! पक्षी भी कितने मूर्ख हैं। धरती के सुख से अनजान रहकर आकाश की ऊँचाइयों को नापना चाहते थे। किंतु अब मैंने जान लिया कि आकाश में कुछ नहीं रखा। केवल देर-सी रोशनी के सिवा वहाँ कुछ भी नहीं, शरीर को संभालने के लिए कोई स्थान नहीं, कोई सहारा नहीं। फिर वे पक्षी किस बूते पर इतनी डींगें हाँकते हैं, किसलिए धरती के प्राणियों को इतना छोटा समझते हैं। अब मैं कभी धोखा नहीं खाऊँगा, मैंने आकाश देख लिया और खूब देख लिया। बाज तो बडी-बड़ी बातें बनाता था, आकाश के गुण गाते थकता नहीं था। उसी की बातों में आकर मैं आकाश में कूदा था। ईश्वर भला करे, मरते-मरते बच गया। अब तो मेरी यह बात और भी पक्की हो गई है कि अपनी खोखल से बड़ा सुख और कहीं नहीं है। धरती पर रेंग लेता है, मेरे लिए यह बहुत कुछ है। मुझे आकाश की स्वच्छंदता से क्या लेना-देना? न वहाँ छत है, न दीवारें हैं, न रेंगने के लिए जमीन है। मेरा तो सिर चकराने लगता है। दिल काँप-काँप जाता है। अपने प्राणों को खतरे में डालना कहाँ की चतुराई है?”

    साँप आकाश की ऊँचाइयों को न पा सका तो उसने कैसे संतोष किया?

    • मुझमें उड़ने की ताकत नहीं
    • काश! मेरे पंख होते
    • ऊँचाइयों को छूना व्यर्थ है।
    • मुझे आकाश की स्वच्छंदता से क्या लेना-देना? न वहाँ छत है, न दीवारें हैं, न रेंगने के लिए जमीन है।

    Solution

    D.

    मुझे आकाश की स्वच्छंदता से क्या लेना-देना? न वहाँ छत है, न दीवारें हैं, न रेंगने के लिए जमीन है।
    Question 62
    CBSEENHN8001239

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    हमारा यह गीत उन साहसी लोगों के लिए है जो अपने प्राणों को हथेली पर रखे हुए घूमते हैं।
    चतुर वही है जो प्राणों की बाज़ी लगाकर ज़िंदगी के हर खतरे का बहादुरी से सामना करे।
    ओ निडर बाज! शत्रुओं से लड़ते हुए तुमने अपना कीमती रक्त बहाया है। पर वह समय दूर नहीं है, जब तुम्हारे खून की एक-एक बूँद ज़िंदगी के अँधेरे में प्रकाश फैलाएगी और साहसी, बहादुर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी। 

    उनके गीत गाने का क्या कारण था?

    • बाज की मृत्यु हो जाने के कारण
    • नदी के जल से प्रभावित होकर
    • बाज की वीरता व साहस
    • अपनी मस्ती के कारण

    Solution

    C.

    बाज की वीरता व साहस
    Question 63
    CBSEENHN8001240

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    हमारा यह गीत उन साहसी लोगों के लिए है जो अपने प्राणों को हथेली पर रखे हुए घूमते हैं।
    चतुर वही है जो प्राणों की बाज़ी लगाकर ज़िंदगी के हर खतरे का बहादुरी से सामना करे।
    ओ निडर बाज! शत्रुओं से लड़ते हुए तुमने अपना कीमती रक्त बहाया है। पर वह समय दूर नहीं है, जब तुम्हारे खून की एक-एक बूँद ज़िंदगी के अँधेरे में प्रकाश फैलाएगी और साहसी, बहादुर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी। 

    बाज का स्वतत्रंता हेतु प्राण देना क्या संदेश देता है?
    • प्राणों की बाजी लगाकर जीवन के हर खतरे से जूझना चाहिए।
    • कभी मृत्यु से डरना नहीं चाहिए।
    • मन की इच्छा को कभी दबाकर नहीं रखना चाहिए।
    • दिए गए सभी।

    Solution

    D.

    दिए गए सभी।
    Question 64
    CBSEENHN8001241

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    हमारा यह गीत उन साहसी लोगों के लिए है जो अपने प्राणों को हथेली पर रखे हुए घूमते हैं।
    चतुर वही है जो प्राणों की बाज़ी लगाकर ज़िंदगी के हर खतरे का बहादुरी से सामना करे।
    ओ निडर बाज! शत्रुओं से लड़ते हुए तुमने अपना कीमती रक्त बहाया है। पर वह समय दूर नहीं है, जब तुम्हारे खून की एक-एक बूँद ज़िंदगी के अँधेरे में प्रकाश फैलाएगी और साहसी, बहादुर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी। 

    लहरों के गीत का भाव क्या था?
    • बाज की तरह साँप को भी होना चाहिए।
    • बाज की मृत्यु जिंदगी के अंधेरे में प्रकाश फैलाएगी और साहसी, बहादुर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी।
    • जीवन में केवल अपने बारे में सोचना चाहिए।
    • जीवन में सदा आगे बढ़ो।

    Solution

    B.

    बाज की मृत्यु जिंदगी के अंधेरे में प्रकाश फैलाएगी और साहसी, बहादुर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी।

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