Sponsor Area
इस कहानी में दो नायक हैं साँप और बाज। इन दोनों नायकों का लेखक ने कुशलता से चुनाव किया है। आकाश असीम है और बाज उस असीम का प्रतीक है जो स्वतंत्र भाव से आकाश की ऊँचाइयों को पा जाना चाहता है। दूसरी और साँप है जो अपनी ही बनाई सीमाओं में बंद है, उसने स्वयं ही अपने लिए परतंत्रता का दायरा कायम किया है। साथ ही लेखक ने यह भी दर्शाया है कि बाज वीर है घायल होने पर भी लंबी उड़ान की चाह रखता है जबकि साँप कायर है जो गुफा से बाहर निकलना ही नहीं चाहता।
इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि लेखक ने इन दोनों नायकों के माध्यम से स्वतंत्रता-परतंत्रता एवं वीरता-कायरता के भावों को प्रकट करना चाहा है।
यही कहानी बंदर और मगरमच्छ के द्वारा भी प्रस्तुत की जा सकती है क्योंकि बंदर स्वतंत्र व निरंतर विचरण करने वाला प्राणी है। उसके लिए कोई सीमा रेखा नहीं जबकि मगरमच्छ अपने सीमित दायरे में कभी धरती व कभी पानी में जीवन व्यतीत करता है, आलसी व धीमी गति से चलने वाला प्राणी है।
साँप अपने सीमित दायरे में केवल रेंगते हुए ही संतुष्ट था। आकाश की ऊँचाइयाँ व बाहर की स्वच्छंदता से उसे कुछ लेना-देना न था। वह उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता है और सोचता है कि उड़ने और रेंगने के बीच कौन-सा बड़ा अंतर है। सबके भाग्य में तो एक न एक दिन मरना लिखा है और मरकर सभी को मिट्टी मे ही मिल जाना है।
जब वह बाज के घायल होने पर भी उसकी उड़ने की असीम चाह देखता है तो उसके मन में भी इच्छा जागृत होती है कि वह भी देखे कि आकाश में ऐसा क्या है, जिसके वियोग में बाज इतना व्याकुल होकर छटपटा रहा है। तब उसने भी उड़ने की कोशिश की।
1. यदि तुम्हें स्वतंत्रता प्यारी है तो इस चट्टान के किनारे से ऊपर क्यों नहीं उड़ जाने की कौशिश करते।
2. साँप सोचने लगा कि बाज अभागा था जिसने आकाश की आजादी की प्राप्त करने हेतु अपने प्राणों की बाजी लगा दी।
3. तुम्हारे खून की एक-एक बूँद जिंदगी के अंधेरे में प्रकाश फैलाएगी और साहसी बहादुर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी।
लहरें बाज की वीरता और साहस के कार्यो के गीत गा रही थीं। जिसे सुनकर साँप के मन में भी अपनी कायरता के प्रति ग्लानि का भाव उत्पन्न हुआ होगा। अवश्य ही उसके मन में उड़ने की इच्छा जागृत हुई होगी।
साँप ने निश्चय ही गुफा से निकलकर असीम आकाश की ऊँचाइयों को पाने हेतु उड़ने का प्रयास किया होगा। अनेक बार असफल होकर अंत में सफलता पाई होगी। इसी प्रकार संसार में एक नए व कम मिलने वाले प्राणी उड़ने वाले साँप का जन्म हुआ होगा।
प्रकृति ने पक्षियों को पंख इसलिए दिए ताकि वे हवा में उड़ते हुए आकाश के विस्तार को देख सकें व उसकी ऊँचाइयों को पा सकें। पक्षी चहचहाते हुए, कलरव करते हुए जब उड़ते हैं तो उन्हें बहुत आनंद आता है। जबकि पंख होते हुए भी कुछ पक्षी जैसे बतख, शतुरमुर्ग आदि अधिक उड़ान नहीं भर पाते। उनका सुख व आनंद नाममात्र ही होता है।
सभी पक्षी स्वाभाविक क्रियाओं को भी आनंदपूर्वक ही पूरा करते हैं जैसे चिड़िया घोंसला बनाते हुए तिनका-तिनका एकत्रित करने में भी आनंदित होती है। पक्षी अपने बच्चों को दाना खिलाने व सुरक्षित स्थान देने में भी आनंद का ही अनुभव करते हैं।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि पक्षी भले ही लंबी उड़ान भरने में अधिक आनंदित होते हों लेकिन स्वाभाविक क्रियाएँ भी उन्हे आनंद प्रदान करती हैं।
यदि इस कहानी के नायक बंदर और मगरमच्छ होते तो कहानी निम्न संकेत बिंदुओं कै आधार पर होती-
● बंदर का एक बरगद के पेड़ पर रहना।
● मगरमच्छ का तालाब के किनारे निवास।
● बंदर का पेड़ों की डालियाँ फाँदना, लंबी छलाँगे मारना, अपने मन से दूर जंगलों में घूमकर आना, मन चाहे व मनभावन फल खाना।
● मगरमच्छ का घंटों एक ही स्थान पर पड़े रहना, छोटा-मोटा शिकार करना, कभी-कभार तालाब में जाना, सीमित दायरे में रहना।
● एक दिन बंदर का लंगूर द्वारा घायल हो जाना, बिल्कुल चल न पाना, थककर एक पेड़ के नीचे बैठ जाना।
● मगरमच्छ का वहीं पर बैठे होना। बंदर को देखकर सहानुभूति दिखाना व लंबी छलाँगों को बेकार बताना।
● बंदर का उसकी बातें सुनकर परेशान हो जाना व हर संभव प्रयत्न करना कि वहाँ से किसी तरह भागे और पेड़ों की डालियों पर जाकर बैठे।
● बंदर का जोर से पेड़ की डाली की ओर छलाँग लगाना।
● धप्प से नदी में गिर जाना।
● नदी की लहरों द्वारा आखों से ओझल हो जाना।
● मगरमच्छ का उस पर हैरान होना व उसे मूर्ख बताना, लेकिन यह सोचना कि पेड़ों की स्वच्छता कैसी होगी?
● मगरमच्छ द्वारा छलाँग लगाने का प्रयास लेकिन भारी शरीर का ऊपर न उठना और चोट खाकर गिरना।
● अपने सीमित दायरे को बेहतर कहना।
● नदी द्वारा बंदर की प्रशंसा का गीत गूँजना।
● मगरमच्छ का अपना-सा मुँह लेकर रह जाना।
1. वृद्ध की आखिरी घड़ी पास थी।
2. जंगल में गरमी के कारण कई जानवर अंतिम साँसें गिन रहे थे।
3. आकाश में टूटता तारा देखते ही देखते औखों से ओझल हो गया।
4. कम ज्ञान रखने वाले मनुष्य डींगें अधिक हाँकते हैं।
5. पिताजी द्वारा कीमती खिलौना लाने पर मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा।
1. द-दुखद, मानद।
2. प्रद-लाभप्रद, शिक्षाप्रद।
3. दाता-दानदाता, अन्नदाता।
4. दाई-दुखदाई, हर्षदाई।
Sponsor Area
B.
वीरता और कायरता केA.
आकाश की ऊँचाइयों को छूना ही अपना जीवन समझता है।B.
क्योंकि वह अपनी ही बनाई पराधीनता में कैद था।A.
घायल होने के कारण वह उड़ न पाया।A.
लहरों का गर्जन, आकाश में छिपती हुई पहाड़ियाँ, टेढ़ी-मेढ़ी चाल से नदी की तेज आवाज सुनता था।A.
क्योंकि साँप एक बंद कोठरी में अपने-आप कायम की गई पराधीनता में कैद था।B.
न तौ उसके मन में उड़ने की चाह थी और न उसे ईश्वर ने पंख दिए थे।Sponsor Area
A.
उसके पंखों के खून को धो दिया और उसके थके माँदे शरीर को सफ़ेद झाग से ढ़क दिया।B.
उसकी वीरता से प्रसन्न होकर लहरें उसे असीम सागर की गहराइयों तक ले चलीं।B.
बाज की मृत्यु जिंदगी के अंधेरे में प्रकाश फैलाएगी और साहसी, बहादुर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी।Sponsor Area
Sponsor Area