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चुनाव क्यों होते हैं, इस बारे में कोन-सा वाक्य ठीक नहीं है?
चुनाव लोगों को सरकार के कामकाज का फैसला करने का अवसर देते हैं।
लोग चुनाव में अपनी पसंद के उमीदवार का चुनाव करते हैं।
चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं।
लोग चुनाव से अपनी पसंद की नीतियाँ बना सकते हैं।
C.
चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं।
भारत के चुनाव लोकतांत्रिक हैं, यह बात बताने के लिए इनमें कोन-सा वाक्य सही कारण नहीं देता?
भारत में दुनिया के सबसे ज़्यादा मतदाता हैं।
भारत में चुनाव आयोग काफी शक्तिशाली है।
भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र का हर व्यक्ति मतदाता है।
भारत में चुनाव हारने वाली पार्टियाँ जनादेश स्वीकार कर लेती हैं।
A.
भारत में दुनिया के सबसे ज़्यादा मतदाता हैं।
निम्नलिखित में मेल ढूँढे:
A. समय-समय पर मतदाता सूची का नवीनीकरण आवश्यक है ताकि | (i) समाज के हर तबके का समुचित प्रतिनिधित्व हो सके। |
B. कुछ निर्वाचन-क्षेत्र अनु जाती और अनु जनजाति के लिए आरक्षित हैं ताकि | (ii) हर एक को अपनी प्रतिनिधि चुनने का समान अवसर मिले। |
C. प्रत्येक को सिर्फ़ एक वोट डालने का हक है ताकि | (iii) हर उम्मीदवार को चुनावों में लड़ने का समान अवसर मिले। |
D. सत्ताधारी दल को सरकारी वाहन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं क्योंकि | (iv) संभव है कुछ लोग उस जगह से अलग चले गए हों जहाँ उन्होंने पिछले चुनाव में मतदान किया था। |
A. समय-समय पर मतदाता सूची का नवीनीकरण आवश्यक है ताकि | (i) संभव है कुछ लोग उस जगह से अलग चले गए हों जहाँ उन्होंने पिछले चुनाव में मतदान किया था। |
B. कुछ निर्वाचन-क्षेत्र अनु जाती और अनु जनजाति के लिए आरक्षित हैं ताकि | (ii) समाज के हर तबके का समुचित प्रतिनिधित्व हो सके। |
C. प्रत्येक को सिर्फ़ एक वोट डालने का हक है ताकि | (iii) हर एक को अपनी प्रतिनिधि चुनने का समान अवसर मिले। |
D. सत्ताधारी दल को सरकारी वाहन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं क्योंकि | (iv) हर उम्मीदवार को चुनावों में लड़ने का समान अवसर मिले। |
इस अध्याय में वर्णित चुनाव सम्बन्धी सभी गतिविधियों की सूचि बनाएँ और इन्हें चुनाव में सबसे पहले किए जाने वाले काम से लेकर आखिर तक के क्रम में सजाएँ। इनमें से कुछ मामले हैं:
चुनाव घोषणा पत्र जारी करना, वोटों की गिनती, मतदाता सूची बनाना, चुनाव अभियान, चुनाव नतीजों की घोषणा, मतदान, पुनर्मतदान के आदेश, चुनाव प्रक्रिया की घोषणा, नामांकन दाखिल करना।
(i) मतदाता सूची का निर्माण
(ii) चुनाव कार्यक्रम की घोषणा
(iii) नामांकन पत्र दाखिल करना
(iv) चुनाव घोषणा-पत्र जारी करना
(v) चुनाव अभियान
(vi) मतदान
(vii) पुनर्मतदान का आदेश
(viii) मतगणना
(ix) चुनाव नतीजों की घोषणा
सुरेखा एक राज्य विधानसभा क्षेत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली अधिकारी है। चुनाव के इन चरणों में उसे किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?
चुनाव प्रचार
सुरेखा को यह देखना चाहिए कि चुनाव अभियान के दौरान सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा आचार संहिता का पालन किया जाना चाहिए।
सुरेखा एक राज्य विधानसभा क्षेत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली अधिकारी है। चुनाव के इन चरणों में उसे किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?
मतदान के दिन
मतदान के दिन सुरेखा को चाहिए कि वह इस बात का ध्यान रखे कि मतदाताओं को किसी भी तरह से वोट डालने से रोका तो नहीं जा रहा हैं। किसी तरह की धाँधली बाजी तो नहीं हो रही हैं। उससे जबरन बूथ पर कब्ज़ा करने आदि जैसी चीज़ों की रिपोर्ट तुरंत आयोग से करनी चाहिए।
सुरेखा एक राज्य विधानसभा क्षेत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली अधिकारी है। चुनाव के इन चरणों में उसे किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?
मतगणना के दिन
सुरेखा को वोटों की गिनती की निगरानी करनी चाहिए और उच्चतम वोट पाने वाले उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित किया जाना चाहिए।
नीचे दी गई तालिका बताती है कि अमेरिकी कांग्रेस के चुनावों के विजयी उम्मीदवारों में अमेरिकी समाज के विभिन्न समुदाय दो सदस्यों का क्या अनुपात था। ये किस अनुपात में जीते इसकी तुलना अमेरिकी समाज में इन समुदायों की आबादी के अनुपात से कीजिए। इसके आधार पर क्या आप अमेरिकी संसद के चुनाव में भी आरक्षण का सुझाव देंगे? अगर हाँ तो क्यों और किस समुदाय के लिए? अगर नहीं, तो क्यों?
अमेरिका प्रतिनिधि सभा में | अमेरिकी समाज में | |
अश्वेत | 8 | 13 |
हिस्पैनिक | 5 | 13 |
श्वेत | 86 | 70 |
अमेरिकी कांग्रेस में किसी भी समुदाय के लिए कोई आरक्षण नहीं होना चाहिए। वास्तव में आरक्षण, लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है, लोकतंत्र समानता के सिद्धांत पर आधारित है। प्रत्येक नागरिक को एक मताधिकार हो और हर किसी के मत का समान मोल हो। इसके अलावा, किसी भी समुदाय के लिए आरक्षण विवाद और गुटबाजी की भावना पैदा करता है।
यदि प्रतिनिधित्व जनसंख्या के प्रतिशत के अनुसार दिया जाना है तो आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति को अपनाना बेहतर होगा।
क्या हम इस अध्याय में दी गई सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित निष्कर्ष निकल सकते हैं? इनमें से सभी पर अपनी राय के पक्ष में दो तथ्य प्रस्तुत कीजिए।
भारत के चुनाव आयोग को देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करा सकने लायक पर्यापत अधिकार नहीं हैं।
यह कथन सच नहीं है। भारत का चुनाव आयोग बहुत शक्तिशाली है:
(i) चुनाव आयोग चुनावों की देखरेख, निर्देशन और नियंत्रण करता है।
(ii) यह आचार संहिता लागू करता है और किसी भी उम्मीदवार या पार्टी द्वारा उसका उल्लंघन किये जाने पर उससे दंडित करता है।
(i) भारत में गरीब, अशिक्षित और वंचित लोग समृद्ध और विशेषाधिकार वाले वर्गों की तुलना में बड़े अनुपात में वोट देते हैं।
(ii) पिछले कुछ सालों में चुनाव संबंधी गतिविधियों ने लोगों द्वारा बड़ी भागीदारी देखी है।
नहीं, यह कथन सही नहीं है:
(i) सत्ताधारी पार्टियों ने भारत में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नियमित रूप से चुनाव खो दिए हैं।
(ii) उम्मीदवार जो बहुत पैसा खर्च करने के लिए जाने जाते हैं अक्सर चुनाव खो देते हैं।
हमारे चुनावों को पूरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने के लिए कई सुधारों की आवश्यकता है:
(i) देश के कुछ इलाकों में आपराधिक पृष्ठभूमि और संबंधो वाले उमीदवार दूसरों को चुनाव मैदान से बहार करने और बड़ी पार्टियों के टिकट पाने में सफल होने लगे हैं। इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाने की आवश्यकता हैं।
(ii) अलग-अलग पार्टियों में कुछेक परिवारों का ज़ोर है और उनके रिश्तेदार आसानी से टिकट पा जाते हैं।
चिनप्पा को दहेज के लिए अपनी पत्नी को परेशान करने के जुर्म में सज़ा मिली थी। सतबीर को छुआछूत मानने का दोषी माना गया था। दोनों को अदालत ने चुनाव लड़ने की इजाज़त नहीं दी। क्या यह फ़ैसला लोकतांत्रिक चुनावों के बुनियादी सिद्धांतो के खिलाफ़ जाता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
यह निर्णय लोकतांत्रिक चुनावों के सिद्धांतों के खिलाफ नहीं है। अपराधियों को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। अदालत ने सही काम किया है। अदालत का आदेश कानून के प्रावधान के अनुसार है।
यहाँ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चुनावी गड़बड़ियों की कुछ रिपोर्टं दी गई हैं। क्या ये देश अपने यहाँ के चुनावों में सुधार के लिए भारत से कुछ बातें सीख सकते हैं? प्रत्येक मामले में आप क्या सुझाव देंगे ?
नाइजीरिया के एक चुनाव में मतगणना अधिकारी ने जान-बूझकर एक उम्मीदवार को मिले वोटों की संख्या बढ़ा दी और उसे जीता हुआ घोषित कर दिया। बाद में अदालत ने पाया कि दूसरे उमीदवार को मिले पाँच लाख वोटों को उस उमीदवार के पक्ष में दर्ज कर लिया गया था।
यह देश भारतीय मतगणना पद्धिति से सीख ले सकता है। हमारे यहाँ मतगणना के समय चुनाव में भाग लेने वाले सभी प्रतिनिधियों के पर्यवेक्षक मौजूद होते हैं तथा उनके सामने मतों की गणना की जाती है। इतना ही नहीं, किसी भी तरह का संदेह होने पर पुनमर्तगणना की भी व्यवस्था है।
हाँ, फिजी के लोग भारतीय चुनाव पद्धति से सीख ले सकता हैं -
(i) इस तरह की धमकियों से निपटने के लिए संवैधानिक तथा विधिक प्रावधान होने चाहिए तथा ऐसी शक्तिशाली एजेंसी होना चाहिए जो तत्काल दंडात्मक कार्रवाई कर सके।
(ii) यह प्रावधान होना चाहिए कि जो कोई पार्टी इस तरह के कार्यों में लिप्त पाई जाएगी, उसको चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया जायेगा।
यहाँ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चुनावी गड़बड़ियों की कुछ रिपोर्टं दी गई हैं। क्या ये देश अपने यहाँ के चुनावों में सुधार के लिए भारत से कुछ बातें सीख सकते हैं? प्रत्येक मामले में आप क्या सुझाव देंगे?
अमेरिका के हर प्रांत में मतदान, मतगणना और चुनाव संचालन की अपनी-अपनी प्रणालियाँ हैं। 2000 के चुनाव में फ्लोरिडा प्रांत के अधिकारियों ने जॉर्ज बुश के पक्ष में अनेक विवादस्पद फ़ैसलें लिए पर उनके फ़ैसलें को कोई भी नहीं बदल सका।
यू.एस.ए. में सभी राज्यों के लिए चुनाव प्रक्रिया में समानता की बहुत बड़ी आवश्यकता है। इस प्रयोजन के लिए, एक स्वतंत्र निर्वाचन आयोग की स्थापना होनी चाहिए। चुनावों को चुनाव आयोग द्वारा आयोजित किया जाना चाहिए।
भारत में चुनावी गड़बड़ियों से संबंधित कुछ रिपोर्टें यहाँ दी गई हैं। प्रत्येक मामले में समस्या की पहचान कीजिए। इन्हें दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है?
चुनाव की घोषणा होते ही मंत्री महोदय ने बंद पड़ी चीनी मिल को दोबारा खोलने के लिए वित्तीय सहायता देने की घोषणा की ।
मंत्री ने आचार संहिता का उल्लंघन किया है। इसलिए चुनाव आयोग द्वारा मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
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भारत में चुनावी गड़बड़ियों से संबंधित कुछ रिपोर्टें यहाँ दी गई हैं। प्रत्येक मामले में समस्या की पहचान कीजिए। इन्हें दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है?
विपक्षी दलों का आरोप था की दूरदर्शन और आकाशवाणी पर उनके बयानों और चुनाव अभियान को उचित जगह नहीं मिली।
(i) यह निष्पक्ष चुनाव संपन्न करने में बाधक है। इससे उन पार्टियों को जनता तक अपनी बात पहुँचाने का सामान अवसर प्राप्त नहीं हुआ है। परिणामस्वरूप मतदान के प्रभावित होने की आशंका है।
(ii) आयोग को चाहिए की अविलम्ब इसकी जाँच करवाए तथा सही पाए जाने पर उन पार्टियों को भी दूरदर्शन तथा रेडियो तक पर्याप्त पहुँच सुनिश्चित करने की व्यवस्था करें।
भारत में चुनावी गड़बड़ियों से संबंधित कुछ रिपोर्टें यहाँ दी गई हैं। प्रत्येक मामले में समस्या की पहचान कीजिए। इन्हें दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है?
चुनाव आयोग की जाँच से एक राज्य की मतदाता सूचि में २० लाख फ़र्ज़ी मतदाताओं के नाम मिले।
सभी फ़र्जी मतदाता के नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाने चाहिए। मतदाता सूची की अच्छी तरह से जांच और संशोधित किया जाना चाहिए और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
भारत में चुनावी गड़बड़ियों से संबंधित कुछ रिपोर्टें यहाँ दी गई हैं। प्रत्येक मामले में समस्या की पहचान कीजिए। इन्हें दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है?
एक राजनैतिक दाल के गुंडे बंदूकों के साथ घूम रहे थे, दूसरी पार्टियों के लोगों को मतदान में भाग लेने से रोक रहे थे और दूसरी पार्टी की चुनावी सभाओं पर हमले कर रहे थे।
आयोग को चाहिए की ऐसे तत्वों तथा संबंधित पार्टी का पता लगाकर उन पर उचित कार्रवाई करे। सभी उमीदवारों को समुचित सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाए। प्रशासन से विधि-व्यवस्था की चौकसी बढ़ाने के लिए कहा जाए।
जब यह अध्याय पढ़ाया जा रहा था तो रमेश कक्षा में नहीं आ पाया था। अगले दिन कक्षा में आने के बाद उसने अपने पिताजी से सुनी बातों को दोहराया। क्या आप रमेश को बता सकते हैं कि उसके इन बयानों में क्या गड़बड़ी हैं?
औरतें उसी तरह वोट देती हैं, जैसे पुरुष उसने कहते हैं, इसलिए उनको मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है।
महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया जाना चाहिए क्योंकि लोकतंत्र समानता के सिद्धांत पर आधारित है। महिला अपने आप से निर्णय लेने और अपनी पसंद के उम्मीदवारों का चयन करने में सक्षम हैं।
जब यह अध्याय पढ़ाया जा रहा था तो रमेश कक्षा में नहीं आ पाया था। अगले दिन कक्षा में आने के बाद उसने अपने पिताजी से सुनी बातों को दोहराया। क्या आप रमेश को बता सकते हैं कि उसके इन बयानों में क्या गड़बड़ी हैं?
पार्टी-पॉलिटिक्स से समाज में तनाव पैदा होता है। चुनाव में सबकी सहमति वाला फ़ैसला होना चाहिए, प्रतिद्वन्द्विता नहीं होनी चाहिए।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि पार्टी-पॉलिटिक्स समाज में तनाव पैदा करती है, लेकिन अभी भी चुनावी प्रतियोगिता लोगों के प्रतिनिधि को चुनने का सर्वोत्तम तरीका है।
चुनावी प्रतियोगिता मतदाताओं को अपनी पसंद के उम्मीदवार का चुनाव करने का मौका देता है।
यह कथन गलत है क्योंकि यह लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है। शैक्षिक योग्यता राजनीति में प्रासंगिक नहीं है। लोगों के प्रतिनिधि को लोगों की समस्याओं को समझने और उनके हितों का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता होना चाहिए।
यहां तक कि अगर शिक्षा प्रासंगिक हैं, तो इससे लोगों के निर्णय पर ही छोड़ देना चाहिए कि वे कितना महत्व शैक्षिक योग्यता को देना उचित समझते हैं।
इसके अलावा, यदि केवल स्नातकों को ही चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाती है तो 90 प्रतिशत से अधिक नागरिक चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होंगे।
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