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(i) असत्य, क्योंकि एक बिंदु से असंख्य रेखाएँ खींची जा सकती हैं।
(ii) असत्य, क्योंकि यह अभिगृहीत 5.1 का अंतर्विरोध करता है।
(iii) सत्य ( अभिगृहीत 2 )
(iv) सत्य, क्योंकि यदि एक वृत्त को दूसरे वृत्त पर अध्यारोपित करें तो वे संपाती होंगे। अत: इनके केंद्र और परिसीमाएँ संपाती होती हैं। इनकी त्रिज्याएँ भी संपाती होंगी।
(v) सत्य ( यूक्लिड का प्रथम अभिगृहीत )
निम्नलिखित पदों में से प्रत्येक की परिभाषा दीजिए। क्या इनके लिए कुछ ऐसे पद हैं, जिन्हें परिभाषित करने की आवश्यकता है? वे क्या हैं और आप इन्हें कैसे परिभाषित क्र पाएँगे?
(i) समांतर रेखाएँ (ii) लम्ब रेखाएँ
(iii) रेखाखंड (iv) वृत्त की त्रिज्या
(v) वर्ग
(i) समांतर रेखाएँ: वे रेखाएँ जो दोनों ओर बढ़ाये जाने पर किसी बिंदु पर न मिलें, वे समांतर रेखाएँ कहलाती हैं।
अपरिभाषित पद: बिंदु, सरल रेखा।
(ii) लम्ब रेखाएँ: दो रेखाएँ ( या रेखाखंड या किरणें ) लम्ब रेखाएँ कहलाती है यदि वे प्रतिच्छेद करें ओर समकोण बनाएं।
परिभाषित पद: घूर्णन, समांतर रेखा।
(iii) रेखाखंड: रेखा के उस भाग को, जिसके दो अन्त बिंदु हैं, रेखाखंड कहते हैं।
अपरिभाषित पद: रेखा, बिंदु।
(iv) वृत्त की त्रिज्या: एक तल में बिंदुओं का वह समूह जो एक स्थित बिंदु से समान दुरी पर है, एक वृत्त कहलाता है। इस स्थित बिंदु ओर वृत्त पर स्थित किसी बिंदु के बीच की दुरी को वृत्त की त्रिज्या कहते हैं जबकि स्थिर बिंदु को वृत्त का केन्द्र हैं।
(v) वर्ग चतुर्भुज जिस की चारों भुजाएँ बराबर हों और सारे कोण समकोण हों।
अपरिभाषित पद: कोण।
नीचे दी गई अभिधारणाओं पर विचार कीजिए:
(i) दो भिन्न बिंदु A और B दिए रहने पर, एक तीसरा बिंदु C ऐसा विद्यमान है जो A और B के बीचस्थित होता है।
(ii) यहाँ कम से कम ऐसे तीन बिंदु विद्यमान हैं कि वे एक रेखा पर स्थित नहीं हैं।
क्या इन अभिधारणाओं में कोई अपरिभाषित शब्द है? क्या ये अभिधारणाएँ अविरोधी हैं? क्या ये यूक्लिड की अभिधारणाओं से प्राप्त होती हैं? स्पष्ट कीजिए।
हाँ, ऐसे अनेकों अपरिभाषित शब्द हैं। ये संगत होते हैं, क्योंकि इनमें जो अलग-अलग स्थितियों का अध्ययन किया जाता है, अर्थात
(i) यदि दो बिंदुओं A और B दिए हुए हों, तो उनके बीच में स्थित एक बिंदु C होता हैं।
(ii) यदि A और B दिए हुए हों, तो आप एक ऐसा बिंदु C ले सकते हैं जो A और B से होकर जाने वाली रेखा पर स्थित नहीं होता।
यद्यपि वे अभिगृहित यूक्लिड की अभिगृहितों का अनुसरण नहीं करते। फिर भी ये अभिगृहित ( दिए हुए दो भिन्न बिंदुओं से होकर एक अद्वितीय रेखा खींची जा सकती है ) का अनुसरण करते हैं।
यदि दो बिंदुओं A और B के बीच एक बिंदु C ऐसा है कि AC = BC है, तो सिध्द कीजिए कि । एक आकृति खींच कर इसे स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 4 में, C रेखाखंड AB का एक मध्य बिंदु कहलाता है। सिद्ध कीजिए कि एक रेखाखंड का एक और केवल एक ही मध्य बिंदु होता है।
AC = BD ... (i)
AC = AB + BC ... (ii) ( बिंदु B, बिंदुओं A और C के बीच है )
BD = BC + CD ... (iii) ( बिंदु C, बिंदुओं B और D के बीच है )
(ii) और (iii) को (i) में प्रतिस्थापित करने पर,
AB + BC = BC + CD
⇒ AB = CD ( बराबरों में से बराबरों को घटाने पर )
यूक्लिड की अभिगृहितों की सूची में दिया हुआ अभिगृहीत 5 एक सर्वव्यापी सत्य क्यों माना जाता है? (ध्यान दीजिए की यह प्रश्न पाँचवीं अभिधारणा से संबंधित नहीं है।)
यूक्लिड की पाँचवीं अभिधारणा के अनुसार 'पूर्ण अपने भाग से बड़ा होता है' चूँकि संसार के किसी भी भाग में किसी भी वास्तु के लिए यह सत्य होता है। अत: इसे सार्वभौमिक सत्य माना जाता है।
आप यूक्लिड की पाँचवीं अभिधारणा किस प्रकार लिखेंगे ताकि वह सरलता से समझी जा सके?
यदि दो रेखाओं को कोई तीसरी तिर्यक रेखा इस प्रकार काटे कि एक ही ओर के अत: कोणों का योग से कम हो तो जिस तरफ अन्त: कोणों का योग
से कम होगा उसी ओर प्रथम दो रेखाएँ आगे बढ़ाने पर प्रतिच्छेद करेंगी।
यहाँ, AB तथा CD रेखा PQ के बाईं ओर प्रतिच्छेद करेंगें।
क्या यूक्लिड की पाँचवीं अभिधारणा से समांतर रेखाओं के अस्तित्व का औचित्य निर्धारित होता है? स्पष्ट कीजिए।
माना दो सरल रेखाओं m और n पर एक सरल रेखा l इस प्रकार पड़ती है कि l के एक ओर के अंत:कोणों का योग दो समकोण हो, तो यूक्लिड के पाँचवें अभिगृहीत के अनुसार यह रेखा l के इस ओर नहीं मिलेगी।
चूँकि रेखा l के दूसरे ओर के अंत:कोणों का योग भी दो समकोण होगा। अत: m और n दूसरी दिशा में भी बढ़ाने पर नहीं मिलेंगी।
अत: रेखाएँ l तथा m कभी नहीं मिलेंगी।
इस प्रकार ये रेखाएँ (m और n) समांतर होंगी।
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