क्या यूक्लिड की पाँचवीं अभिधारणा से समांतर रेखाओं के अस्तित्व का औचित्य निर्धारित होता है? स्पष्ट कीजिए।
माना दो सरल रेखाओं m और n पर एक सरल रेखा l इस प्रकार पड़ती है कि l के एक ओर के अंत:कोणों का योग दो समकोण हो, तो यूक्लिड के पाँचवें अभिगृहीत के अनुसार यह रेखा l के इस ओर नहीं मिलेगी।
चूँकि रेखा l के दूसरे ओर के अंत:कोणों का योग भी दो समकोण होगा। अत: m और n दूसरी दिशा में भी बढ़ाने पर नहीं मिलेंगी।
अत: रेखाएँ l तथा m कभी नहीं मिलेंगी।
इस प्रकार ये रेखाएँ (m और n) समांतर होंगी।



