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NCERT Solutions for Class 11 Term_policy Aroh Chapter 7 रजनी

रजनी Here is the CBSE Term_policy Chapter 7 for Class 11 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 11 Term_policy रजनी Chapter 7 NCERT Solutions for Class 11 Term_policy रजनी Chapter 7 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2025-26. You can save these solutions to your computer or use the Class 11 Term_policy.

Question 1
CBSEENHN11012089

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
आप भी महसूस करते है न ऐसा ?... तो फिर साथ दीजिए हमारा। अखबार यदि किसी इश्यू को उठा ले और लगातार उस पर चोट करता रहे तो फिर वह थोड़े से लोगों की बात नहीं रह जाती। सबकी बन जाती है... आँख मूंदकर नहीं रह सकता फिर कोई उससे। आप सोचिए जरा, अगर इसके खिलाफ कोई नियम बनता है तो कितने पेरेंट्स को राहत मिलेगी...कितने बच्चों का भविष्य सुधर जाएगा, उन्हें अपनी मेहनत का फल मिलेगा, माँ-बाप के पैसे का नहीं शिक्षा के नाम पर बचपन से ही उनके दिमाग में यह तो नहीं भरेगा कि पैसा ही सब कुछ है...वे...वे...
1. यह बात कौन, किससे, कब कह रहा है?
2. कोई बात कब सबकी बन जाती हैँ?
3. वक्ता के प्रयासों का लाभ किसे मिलेगा?

Solution

1. यह बात रजनी अखबार के संपादक को तब कह रही है जब वह रजनी के इश्यू को अपना समर्थन देने का भरोसा देते हैं। संपादक का कहना है कि वे (रजनी) अखबार वालों को अपने साथ पाएँगी।
2. रजनी का ऐसा कहना है एकके जब कोई अखबार किसी इश्यू को उठा लेता है अर्थात् अपने अखबार में जोर-शोर से छापता है और उस पर चोट करता है तब वह बात थोड़े से लोगों की नहीं रह जाती, बल्कि सबकी हो जाती है।
3. वक्ता अर्थात् रजनी के प्रयासों का अनेक पेरेंट्स को लाभ मिलेगा। उनके बच्चों का भविष्य सुधर जाएगा। बच्चों को अपनी मेहनत का फल मिल सकेगा।

Question 2
CBSEENHN11012090

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
देखो, तुम मुझे फिर गुस्सा दिला रहे हो रवि.....गलती करने वाला तो है ही गुनहगार, पर उसे बर्दाश्त करने वाला भी कम गुनहगार नहीं होता, जैसे लीला बेन और कांति भाई और हजारों-हजारों माँ-बाप। लेकिन सबसे बड़ा गुनहगार तो वह है जो चारों तरफ अन्याय, अत्याचार और तरह-तरह की धांधलियों को देखकर भी चुप बैठा रहता है, जैसे तुम। हमें क्या करना है, हमने कोई ठेका ले रखा तै दुनिया का। माई फुट, तुम जैसे लोगों के कारण ही तो इस देश में कुछ नहीं होता, हो भी नहीं सकता।
1. यह कथन किसका है और किसे कहा जा रहा है? प्रसगं बताइए।
2. वक्ता क्या बात समझाने का प्रयास कर रही है?.
3. वक्ता श्रोता पर क्या व्यंग्य करती है?

Easy

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