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NCERT Solutions for Class 11 Term_policy Aroh Chapter 5 गलता लोहा

गलता लोहा Here is the CBSE Term_policy Chapter 5 for Class 11 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 11 Term_policy गलता लोहा Chapter 5 NCERT Solutions for Class 11 Term_policy गलता लोहा Chapter 5 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2025-26. You can save these solutions to your computer or use the Class 11 Term_policy.

Question 1
CBSEENHN11012035

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
लंबे बेंटवाले हँसुवे को लेकर वह घर से इस उद्देश्य से निकला था कि अपने खेतों के किनारे उग आई काँटेदार झाडियों को काट-छांटकर साफ कर आएगा। बूढ़े वंशीधर जी के बूते का अब यह सब काम नहीं रहा। यही क्या, जन्म भर जिस पुरोहिताई के बूते पर उन्होंने घर-संसार चलाया था, वह भी अब वैसे कहां कर पाते हैं! यजमान लोग उनकी निष्ठा और संयम के कारण ही उन पर श्रद्धा रखते हैं, लेकिन बुढ़ापे का जर्जर शरीर अब उतना कठिन श्रम और व्रत-उपवास नहीं झेल पाता। सुबह-सुबह जैसे उससे सहारा पाने की नीयत से ही उन्होंने गहरा नि नि:श्वास लेकर कहा था- ‘आज गणनाथ जाकर चंद्रदत्त जी के लिए रुद्रीपाठ करना था, अब मुश्किल ही लग रहा है। यह दो मील की सीधी चढ़ाई अब अपने बूते की नहीं। एकाएक ना भी नहीं कहा जा सकता, कुछ समझ में नहीं आता!’

1. कौन, किस उद्देश्य से निकला था?
2. बूढ़े वंशीधर कौन हैं? उन्होंने अब तक क्या काम किया है?
3. उन्होंने गहरा निःश्वास छोड़ते हुए क्या कहा? यह उन्होंने किस नीयत से कहा था?

Solution

1. वंशीधर का बेटा मोहन एक लंबे बेंटवाले हँसुए को हाथ में लेकर इस उद्देश्य से घर से निकला था कि वह अपने खेतों के किनारे उग आई काँटेदार झाड़ियों को काट -छाँटकर साफ कर आएगा। अब उसके पिता के लिए यह काम करना संभव नहीं रह गया था।
2. बूढ़े वंशीधर मोहन के पिता हैं। वे पुरोहिताई का काम करते हैं। इसी काम के बलबूते पर उन्होंने जीवन- भर घर-संसार चलाया। यजमान उन पर निष्ठा और श्रद्धा रखते हैं। पर अब उनका शरीर बूढ़ा और कमजोर हो गया है। अब वे कठिन श्रम और व्रत-उपन्यास नहीं झेल पाते।
3. वंशीधर ने कहा कि आज उन्हें गणनाथ जाकर चंद्रदत्त जी के लिए रुद्रीपाठ करने जाना था, पर वे बुढापे के कारण वहाँ जा नहीं पा रहे हैं और मना करना भी संभव नहीं। वे क्या करें? उन्होंने यह इस नीयत से कहा ताकि महन का सहारा उन्हें मिल जाए।

Question 2
CBSEENHN11012036

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
‘पकड़ इसका कान, और लगवा इससे दस उठक-बैठक’, वे आदेश दे देते। धनराम भी उन अनेक छात्रों में से एक था जिसने त्रिलोक सिंह मास्टर के आदेश पर अपने हमजोली मोहन के हाथों कई बार बेंत खाए थे या कान खिंचवाए थे। मोहन के प्रति थोड़ी-बहुत ईर्ष्या रहने पर भी धनराम प्रारंभ से ही उसके प्रति स्नेह और आदर का भाव रखता था। इसका एक कारण शायद यह था कि बचपन से ही मन में बैठा दी गई जातिगत हीनता के कारण घनराम ने कभी मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं समझा बल्कि वह इसे मोहन का अधिकार ही समझता रहा था। बीच-बीच में त्रिलोक सिंह मास्टर का यह कहना कि मोहन एक दिन बहुत बड़ा आदमी बनकर स्कूल का और उसका नाम ऊँचा करेगा, घनराम के लिए किसी और तरह से सोचने की गुंजाइश ही नहीं रखता था।

1. कौन, किसको, क्या आदेश देते?
2. इस गद्याशं में किसके, किससे मार खाने का उल्लेख है?
3. धनराम मोहन के बारे में क्या सोचता था और क्यों?

Easy
Question 3
CBSEENHN11012037

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
धनराम की मंद बुद्धि रही हो या मन में बैठा हुआ डर कि पूरे दिन घोटा लगाने पर भी उसे तेरह का पहाड़ा याद नहीं हो पाया था। छुट्टी के समय जब मास्साब ने उससे दुबारा पहाड़ा सुनाने को कहा तो तीसरी सीडी तक पहुंचते-पहुंचते वह फिर लड़खड़ा गया था। लेकिन इस बार मास्टर त्रिलोकसिंह ने उसके लाए हुए बेंत का उपयोग करने की बजाय जबान की चाबुक लगा दी थी, ‘तेरे दिमाग में तो लोहा भरा है रे! विद्या का ताप कहाँ लगेगा इसमें?’ अपने थैले से पांच-छह दरातियाँ निकालकर उन्होंने घनराम को धार लगा लाने के लिए पकड़ा दी थीं। किअबों की विद्या का ताप लगाने की सामर्थ्य धनराम के पिता की नहीं थी। घनराम हाथ-पैर चलाने लायक हुआ ही था कि बाप ने उसे धौंकनी या सान लगाने के कामों में उलझाना शुरू कर दिया और फिर धीरे- धीरे हथौड़े से लेकर घन चलाने की विद्या सीखने लगा।

1. धनराम क्या याद नहीं कर सका और क्यों?
2. मास्टर त्रिलोकसिह ने घनराम को क्या सजा दी?
3. धनराम ने कौन-सी विद्या सीखी?

Easy
Question 4
CBSEENHN11012038

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
प्राइमरी स्कूल की सीमा लांघते ही मोहन ने छात्रवृत्ति प्राप्त कर त्रिलोसिंह मास्टर की भविष्यवाणी को किसी हद तक सिद्ध कर दिया तो साधारण हैसियत वाले यजमानों की पुरोहिताई करने वाले वंशीधर तिवारी का हौसला बढ़ गया और वे भी अपने पुत्र को पड़ा-लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का स्वप्न देखने लगे। पीढ़ियों से चले आते पैतृक धंधे ने उन्हें निराश कर दिया था। दान-दक्षिणा के बूते पर वे किसी तरह परिवार का आधा पेट भर पाते थे। मोहन पद्य-लिखकर वंश का दारिद्रय मिटा दे, यह उनकी हार्दिक इच्छा थी । लेकिन इच्छा होने भर से ही सब-कुछ नहीं हो जाता।

1. मास्टर त्रिलोसिहं की किस भविष्यवाणी को मोहन ने सच सिद्ध कर दिया और कैसे?
2. किसका और क्यों हौसला बढ़ गया?
3. उनकी क्या इच्छा थी?

Easy
Question 5
CBSEENHN11012039

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
वर्षा के दिनों में नदी पार करने की कठिनाई को देखते हुए वंशीधर ने नदी पर के गाँव में एक यजमान के घर पर मोहन का डेरा तय कर दिया था। घर के अन्य बच्चों की तरह मोहन खा-पीकर स्कूल जाता और छुट्टियों में नदी उतार पर होने पर गांव लौट आता था। संयोग की बात, एक बार छुट्टी के पहले दिन जब नदी का पानी उतार पर ही था और मोहन कुछ घसियारों के साथ नदी पार कर घर आ रहा था तो पहाड़ी के दूसरी और भारी वर्षा होने के कारण अचानक नदी का पानी बढ़ गया। पहले नदी की धारा में झाड़-झंखाड़ और पात-पतेल आने शुरू हुए तो अनुभवी घसियारों ने तेजी से पानी को काटकर आगे बढ़ने की कोशिश की लेकिन किनारे पहुँचते-न-पहुँचते मटमैले पानी का रेल। उन तक आ ही पहुंचा। वे लोग किसी प्रकार सकुशल इस पार पहुंचने में सफल हो सके। इस घटना के बाद वंशीधर घबरा गए और बच्चे के भविष्य को लेकर चिन्तित रहने लगे।

1. वंशीधर ने कहाँ किसका डेरा डाला और क्यों?
2. एक दिन क्या घटना घटी?
3. एक दिन क्या घटना घटी?

Easy
Question 6
CBSEENHN11012040

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
आठवीं. कक्षा की पढ़ाई समाप्त कर छुट्टियों में मोहन गांव आया हुआ था। जब वह लौटकर लखनऊ पहुंचा तो उसने अनुभव किया कि रमेश के परिवार के सभी लोग जैसे उसकी आगे की पड़ाई के पक्ष में नहीं हैं। बात घूम-फिरकर जिस ओर से उठती वह इसी मुद्दे पर थरूर खत्म हो जाती कि हजारों-लाखों बीए., एमए मारे-मारे बेकार फिर रहे हैं। ऐसी पढ़ाई से अच्छा तो आदमी कोई हाथ का काम सीख ले। रमेश ने अपने किसी परिचित के प्रभाव से उसे एक तकनीकी स्कूल में भर्ती कर। दिया। मोहन की दिनचर्या में कोई विशेष अंतर नहीं आया था। वह पहले की तरह स्कूल और घरेलू कामकाज में व्यस्त रहता। धीरे- धीरे डेढ़-दो वर्ष का यह समय भी बीत गया और मोहन अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए कारखानों ‘और फैक्टरियों के चक्कर लगाने लगा।

1. मोहन ने लखनऊ लौटकर क्या अनुभव किया?
2. मोहन को कहाँ दाखिल कराया गया?
3. मोहन की स्थिति क्या हो गई?

Easy

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