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निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें।
भारत के अत्यंत ऊष्ण एवं शुष्क तथा अत्यंत शीत व आर्द्र प्रदेशों में जनसंख्या का घनत्व निम्न है। इस कथन के दृष्टिकोण से जनसंख्या के वितरण में जलवायु की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
जनसंख्या के वितरण में जलवायु कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विषम व शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व काफी कम पाया जाता है, जैसे मरुस्थलीय क्षेत्र। इसी प्रकार उपयुक्त जलवायु वाले क्षेत्र में जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है, जैसे- उत्तर भारत के मैदान, डेल्टा और तटीय मैदान। यही कारण है कि लोग उपयुक्त जलवायु क्षेत्रों में निवास करते हैं।
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें:
भारत के किन राज्यों में विशाल ग्रामीण जनसंख्या है? इतनी विशाल ग्रामीण जनसंख्या केलिए उत्तरदायी एक कारण को लिखिए।
भारत की 68.84% जनसंख्या लगभग 6,35,588 गांवों में रहती है। हिमाचल प्रदेश की 89.96%, बिहार की 88.70%, असम की 85.92% तथा उड़ीसा की 83.32% जनसंख्या गांवों में रहती है। इन क्षेत्रों में रोजगार के लिए कृषि पर निर्भरता तथा प्राथमिक क्रियाओं में संलग्नता ही ग्रामीण जनसंख्या का एक उत्तरदायी कारण हैं।
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें:
भारत के कुछ राज्यों में अन्य राज्यों की अपेक्षा श्रम सहभागिता ऊँची क्यों है?
भारत के सन्दर्भ में यह बिलकुल सही है कि देश के विभिन्न सेक्टरों में श्रम सहभागिता दर काफी भिन्न हैं। इसका अभिप्राय हैं कि वहाँ की अधिकतर जनसंख्या कार्यशील हैं। उदाहरण के तौर पर हिमाचल प्रदेश और नागालैंड जैसे राज्यों में कृषकों की संख्या बहुत अधिक है। दूसरी ओर औध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कृषि मजदूरों की संख्या अधिक है।
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें:
'कृषि सेक्टर में भारतीय श्रमिकों का सर्वाधिक अंश संलग्न है।'' स्पष्ट कीजिए।
भारत की कुल श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग 58.2 प्रतिशत कृषक और कृषि मजदूर हैं; जबकि केवल 4.2 प्रतिशत श्रमिक घरेलू उद्योगों में लगे हैं और 37.6 प्रतिशत अन्य श्रमिक हैं जो गैर-घरेलू उद्योगों, व्यापार, वाणिज्य, विनिर्माण और मरम्मत तथा अन्य सेवाओं में कार्यरत हैं। इन आकंड़ों से स्पष्ट होता है कि भारतीय श्रमिकों का सर्वाधिक अंश कृषि सेक्टर में संलग्न है।
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।
भारत में जनसंख्या के घनत्व के स्थानिक वितरण की विवेचना कीजिए।
जनसंख्या घनत्व को प्रति इकाई क्षेत्र में व्यक्तियों की संख्या द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। भारत का जनसंख्या घनत्व एशिया के सघनतम देशों में तीसरे स्थान पर है जो 313 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी.है। भारत में कई राज्यों में जनसंख्या घनत्व भिन्न-भिन्न है जो अरुणाचल प्रदेश में 13 व्यक्ति, राजधानी नई दिल्ली में 9,340 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. है। उत्तरी भारत के राज्यों में जनसंख्या घनत्व उच्चतर है; जबकि प्रायद्वीपीय भारत के कई राज्यों में केरल (819) और तमिलनाडु (480) में ही उच्चतर घनत्व पाया जाता है।
असम, गुजरात, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, उड़ीसा जैसे राज्य मध्यम घनत्व के राज्य हैं। भारत के विभिन्न राज्यों में जनसंख्या घनत्व का वितरण इस प्रकार हैं:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें:
भारत की जनसंख्या के व्यावसायिक संघटन का विवरण दीजिए।
व्यावसायिक संघटन का अर्थ किसी व्यक्ति के खेती, विनिर्माण व्यापार, सेवाओं अथवा किसी भी प्रकार की व्यावसायिक क्रियाओं में लगे होने से है जिससे उससे आर्थिक लाभ प्राप्त होता हैं। आर्थिक स्तर की दृष्टि से भारत की जनसंख्या को तीन वर्गों में बाँटा जाता है, जिनके नाम हैं- मुख्य श्रमिक, सीमांत श्रमिक और अश्रमिक।
भारत की जनसंख्या के व्यावसायिक संघटन का अध्ययन करने से पता चलता है कि यहाँ द्वितीयक और तृतीयक सेक्टरों की अपेक्षा प्राथमिक सेक्टर में लगे श्रमिकों की संख्या अधिक है। कुल-श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग 58.2 प्रतिशत कृषक व कृषि मजदूर हैं। जबकि केवल 4.2 प्रतिशत श्रमिक घरेलू उद्योगों में लगे हैं तथा 37.6 प्रतिशत अन्य श्रमिक हैं जो गैर- घरेलू उद्योगों, व्यापार, वाणिज्य, विनिर्माण, मरम्मत व अन्य सेवाओं में कार्यरत हैं। देश में पुरुष श्रमिकों की संख्या स्त्री श्रमिकों की संख्या से तीनों सेक्टरों में अधिक है। महिला श्रमिकों की संख्या प्राथमिक सेक्टर में अपेक्षाकृत अधिक है।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि पिछले कुछ दशकों में भारत में कृषि सेक्टर के श्रमिकों के अनुपात में गिरावट दर्ज की जा रही है तथा द्वितीयक व तृतीयक सेक्टर में सहभागिता दर बढ़ी है। देश के विभिन्न सेक्टरों में श्रम सहभागिता दर में स्थानिक भिन्नता भी देखने को मिलती है, जैसे हिमाचल प्रदेश व नागालैंड में कृषकों की संख्या अधिक है, वहीं आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल तथा मध्य प्रदेश में कृषि मजदूरों की संख्या अधिक है। जबकि नगरीकृत क्षेत्रों में श्रमिकों का बहुत बड़ा अनुपात अन्य सेवाओं में संलग्न है।
सन् 2001 की जनगणना ने भारत की श्रमजीवी जनसंख्या को चार प्रमुख संवर्गो में बाँटा है :
1. कृषक
2. कृषि मजदूर
3. घरेलूऔद्योगिक श्रमिक
4. अन्य श्रमिक
भारत में श्रम-शक्ति का सेक्टर-वार संघटन, 2001
संवर्ग | महिला | |||
व्यक्ति | कुल श्रमिकों का प्रतिशत | पुरुष | महिला | |
प्राथमिक | 234088181 | 58.2 | 14,27,45,598 | 9,13,42,583 |
द्वितीयक | 16956942 | 4.2 | 87,44,183 | 82,12,759 |
तृतीयक | 151189601 | 37.6 | 12,35,24,695 | 27,66, 64,906 |
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