राजनीतिक सिद्धांत Chapter 2 स्वतंत्रता
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    NCERT Solution For Class 11 राजनीतिक विज्ञान राजनीतिक सिद्धांत

    स्वतंत्रता Here is the CBSE राजनीतिक विज्ञान Chapter 2 for Class 11 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 11 राजनीतिक विज्ञान स्वतंत्रता Chapter 2 NCERT Solutions for Class 11 राजनीतिक विज्ञान स्वतंत्रता Chapter 2 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 11 राजनीतिक विज्ञान.

    Question 1
    CBSEHHIPOH11021790

    स्वतंत्रता से क्या आशय है ? क्या व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता और राष्ट्र के लिए स्वतंत्रता में कोई संबंध है।

    Solution

    स्वतंत्रता शब्द को अंग्रेजी भाषा में लिबर्टी (Liberty) कहते हैं। लिबर्टी शब्द लैटिन भाषा के शब्द 'लिबर' (Liber) से निकला है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है 'बंधनों का अभाव' अर्थात् पूर्ण स्वतंत्रता अथवा किसी प्रकार के बंधनों का न होना। इस प्रकार स्वतंत्रता का अर्थ हुआ कि व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए और उस पर कोई बंधन नहीं होना चाहिए। परन्तु स्वतंत्रता का यह अर्थ ग़लत हैं। इसका वास्तविक अर्थ यह है कि व्यक्ति पर अन्यायपूर्ण तथा अनुचित प्रतिबंध नहीं होने चाहिए परन्तु उसे उन अवसरों की भी प्राप्ति होनी चाहिए जो उसके विकास में सहायक हैं।

    व्यक्तिगत स्वतंत्रता और राष्ट्रीय स्वतंत्रता में गहरा सम्बन्ध हैं। राष्ट्र व्यक्तियों का समहू होता है जो एक व्यक्ति के समान ही होता हैं। एक राष्ट्र जिसकी सरकार बाहरी प्रतिबंधों से मुक्त होती हैं, केवल वो ही सरकार अपने व्यक्तियों को स्वतंत्रता प्रदान कर सकती है। दूसरी तरफ, एक राष्ट्र केवल तभी स्वतंत्र होता है जब इसे अपने सिद्धांतों में से 'स्वतंत्रता' एक के रूप में प्राप्त होती है जो उसके लोगों को प्रदान की जाती है। राष्ट्रीय भी जीवित जीव की तरह कार्य करता है और व्यक्ति पर नियंत्रण रखता है। देश की हानि उसके देशवासियों की हानि होती है। राष्ट्र की स्वतंत्रता व्यक्ति की रचनाशीलता, संवेदनशीलता और क्षमताओं के भरपूर विकास को बढ़ावा देती है। यह विकास खेल, विज्ञान, कला, संगीत या अन्वेषण जैसे किसी भी क्षेत्र में हो सकता है। अत: हम कह सकते हैं कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता तभी सम्भव हैं, जब राष्ट्र स्वतंत्र हो। इस स्वतंत्रता के कारण ही व्यक्ति अपने विवेक और निर्णय की शक्ति का प्रयोग कर पाते हैं।  

    Question 2
    CBSEHHIPOH11021791

    सामाजिक प्रतिबंधों से क्या आशय है? क्या किसी भी प्रकार के प्रतिबंध स्वतंत्रता के लिए आवश्यक हैं ?

    Solution

    सामाजिक प्रतिबंधों से आशय सामाजिक बंधन एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सकारात्मक नियंत्रण से है। यह नियंत्रण कानून, रिति-रिवाज़, धर्म तथा न्यायिक निर्णयों के आधार पर लागू किए जाते हैं, ताकि समाज में सुख-शांति मौजूद रहें।यह बात सही है कि सभी प्रकार के प्रतिबंध स्वतंत्रता के लिए आवश्यक नहीं है उदाहरण के लिए स्वतंत्रता पर नकारात्मक प्रतिबंध नहीं होनी चाहिए।

    स्वतंत्रता से मुक्ति के वास्तविक अनुभव के लिए सामाजिक और कानूनी बंधन आवश्यक है। हमे कुछ प्रतिबंधों की तो जरूरत है, अन्यथा समाज अव्यवस्था की गर्त में पहुँच जाएगा:

    1. हमारे चारों ओर व्याप्त झगड़ों के कारण जैसे; गाड़ी चलाते समय क्रोध, पार्किंग में जगह के लिए झगड़ा,ज़मीन या मकान के लिए लड़ाई, किसी खास फिल्म को दिखाए जाने पर असहमति, इत्यादि को रोकने के लिए क़ानूनी प्रतिबंध की आवश्यकता हैं।
    2. समाज में हिंसा पर नियंत्रण और विवाद के निबटारे के लिए इन प्रतिबंधों की आवश्यकता पड़ती हैं।
    3. हमें कुछ विचार या जीवन शैली अस्वीकार्य या अवांछित लग सकती हैं। अत:आपसी विचार, विश्वास और मत के अंतरों को स्वीकार करने के लिए इन प्रतिबंधों की आवश्यकता पड़ती हैं।
    4. लोगो की स्वतंत्रता के लिए प्रतिरोधों का होना आवश्यक हैं क्योंकि बिना उचित प्रतिरोध या बंधन के समाज में आवश्यक व्यवस्था नहीं होगी जिससे लोगों की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है।
    5. जब तक हम एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करेंगे और दूसरे पर अपने विचार थोपने का प्रयास नहीं करेंगे तब तक हम आज़ादी के साथ और न्यूनतम प्रतिबंधों के साथ रहने में सक्षम रहेंगे।

    Question 3
    CBSEHHIPOH11021792

    नागरिकों की स्वतंत्रता को बनाए रखने में राज्य की क्या भूमिका है ?

    Solution

    नागरिकों की स्वतंत्रता को बनाए रखने में राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती हैं :

    1. आंतरिक सुरक्षा: राज्य सरकारों का कार्य राज्य में आंतरिक सुरक्षा, कानून और व्यवस्था को बनाए रखना होता है। आंतरिक सुरक्षा राज्य पुलिस के माध्यम से प्रबंधित की जाती है।
    2. शिक्षा: सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली प्रदान करना, स्कूल भवनों और कॉलेजों को बनाए रखना, शिक्षकों को रोज़गार उपलब्ध करना, विशेषाधिकार प्राप्त छात्रों (SC/ST) को सहायता प्रदान करना इत्यादि सभी राज्य के शिक्षा विभाग के अधीन आते हैं।
    3. अनेक कार्य जैसे कि किसानो को सर्वोत्तम कृषि पद्धति उपलब्ध कराना, आपातकालीन आपदाओं जैसे: बाढ़, सुखें इत्यादि के समय, धन-सम्बन्धी सहायता प्रदान करना एवं बीमारियों कि रोकथाम के लिए अन्य सहायता प्रदान करना ये सब कार्य राज्य सरकार द्वारा किए जाते हैं।
    4. परिवहन: प्रत्येक राज्य सरकार अपने राज्य में लोगो को सार्वजनिक परिवहन सेवा, जल-सेवा, बिजली-सेवा इत्यादि उचित दर से प्रदान करने का कार्य करती हैं।
    5. वित्त: राज्य विधायिका राज्य की वित्तीय शक्तियों को संभालती है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा सभी व्यय, कराधान और ऋण संबंधित अधिकार शामिल है। इसके पास धन विद्येयक को पेश करने की शक्ति है। इसका विभिन्न करों जैसे: सम्पति कर, बिक्री कर, मनोरंजन कर इत्यादि पर पूरा नियंत्रण हैं।
    6. राज्य द्वारा विभिन्न न्यायसंगत एवं उचित प्रतिबंधों को लागू किया जाता हैं ताकि कोई भी व्यक्ति, किसी अन्य नागरिक और उसकी स्वतंत्रता को हानि न पहुँचा सकें।

    Question 4
    CBSEHHIPOH11021793

    अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का क्या अर्थ है ? आपकी राय में इस स्वतंत्रता पर समुचित प्रतिबंध क्या होंगे ? उदाहरण सहित बताइये।

    Solution

    अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व्यक्ति की मौलिक आवश्यकता है जो प्रजातंत्र को सफल और उपयोगी बनाता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ है कि प्रत्येक नागरिक को भाषण देने तथा अपने विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता प्राप्त होती है। कोई भी नागरिक बोलकर या लिखकर अपने विचार प्रकट कर सकता है। उसे लिखने, कार्य करने, चित्रकारी करने, बोलने की आजादी होनी चाहिए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रतिबंधित नहीं होनी चाहिए। यह चर्चा के लिए एक अच्छा प्रसंग है।

    अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर समुचित प्रतिबंध: वैसे तो भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है, किन्तु साथ ही उस पर कुछ समुचित प्रतिबंध भी लगाए गए है जो कि समाज को सुचारु रूप से चलाने के लिए आवश्यक है। जैसे: अपमानजनक शब्द अथवा लेखा-दूषण और मानहानि, न्यायालय का अपमान करने के कारण, सदाचार एवं नैतिकता के आधार तथा राज्य की सुरक्षा के आधार पर। इसे निम्नलिखित दिए गए उदाहरणों द्वारा भी समझा जा सकता हैं:

    1. फिल्मों की सेंसरशिप भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक समुचित प्रतिबंध हैं। फिल्म का सेंसर बोर्ड फिल्म के कुछ एक भाग पर जो समाज में हिंसक भावनाएँ या कोई वाद-विवाद खड़ा कर सकता हैं अथवा किसी तरह की अश्लीलता फैलता हैं। उससे प्रतिबंध कर सकता हैं।  
    2. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी भी व्यक्ति को किसी के निजी मामलों में दखल देने की अनुमति नहीं देती।ऐसा एक उदाहरण इंग्लैंड में भी देखने को मिलता हैं जैसे: इंग्लैंड में जो भी राजपरिवार के लिए काम करता है वह राजमहल की आंतरिक बातों के बारे में न लिखने के लिए एक समझौते से बंधा होता है।

    Question 5
    CBSEHHIPOH11021794

    स्वतंत्रता की नकारात्मक और सकारात्मक अवधारणा में क्या अंतर है ?

    Solution

    स्वतंत्रता की नकारात्मक और सकारात्मक अवधारणा में अंतर निम्नलिखित हैं:

    स्वतंत्रता की नकारात्मक अवधारणा स्वतंत्रता की सकारात्मक अवधारणा
    1. स्वतंत्रता की नकारात्मक अवधारणा का अर्थ हैं बंधनों का न होना।अर्थात् व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार कार्य करने की छूट।   1. स्वतंत्रता की सकारात्मक अवधारणा का अर्थ बंधनों का आभाव नहीं हैं।  
    2. नकारात्मक स्वतंत्रता के अनुसार कानून व स्वतंत्रता परस्पर विरोधी हैं। कानून स्वतंत्रता की रक्षा नहीं अपितु उसे नष्ट ही करते हैं।   2. सकारात्मक स्वतंत्रता के अनुसार कानून व स्वतंत्रता परस्पर सहयोगी हैं। कानून स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं। 
    3. नकारात्मक स्वतंत्रता के अनुसार व्यक्तिगत हित और सामाजिक हित दोनों अलग-अलग होते हैं।   3. सकारात्मक स्वतंत्रता के अनुसार व्यक्ति के हित और समाज के हितों में कोई विरोध नहीं होता ।
    4. नकारात्मक स्वतंत्रता का तर्क यह स्पष्ट करता है कि व्यक्ति क्या करने से मुक्त हैं।  4. सकारात्मक स्वतंत्रता के तर्क 'कुछ करने की स्वंतत्रता' के विचार की व्याख्या से जुड़े हैं।
    5.नकारात्मक स्वतंत्रता का सरोकार अहस्तक्षेप केअनुलंघनीय क्षेत्र से है, इस क्षेत्र से बाहर समाज की स्थितियों से नहीं।  5. सकारात्मक स्वतंत्रता के पक्षधरों का मानना है कि व्यक्ति केवल समाज में ही स्वतंत्र हो सकता है, समाज से बाहर नहीं और इसीलिए वह इस समाज को ऐसा बनाने का प्रयास करते हैं, जो व्यक्ति के विकास का रास्ता साफ करे।

     

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