अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का क्या अर्थ है ? आपकी राय में इस स्वतंत्रता पर समुचित प्रतिबंध क्या होंगे ? उदाहरण सहित बताइये।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व्यक्ति की मौलिक आवश्यकता है जो प्रजातंत्र को सफल और उपयोगी बनाता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ है कि प्रत्येक नागरिक को भाषण देने तथा अपने विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता प्राप्त होती है। कोई भी नागरिक बोलकर या लिखकर अपने विचार प्रकट कर सकता है। उसे लिखने, कार्य करने, चित्रकारी करने, बोलने की आजादी होनी चाहिए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रतिबंधित नहीं होनी चाहिए। यह चर्चा के लिए एक अच्छा प्रसंग है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर समुचित प्रतिबंध: वैसे तो भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है, किन्तु साथ ही उस पर कुछ समुचित प्रतिबंध भी लगाए गए है जो कि समाज को सुचारु रूप से चलाने के लिए आवश्यक है। जैसे: अपमानजनक शब्द अथवा लेखा-दूषण और मानहानि, न्यायालय का अपमान करने के कारण, सदाचार एवं नैतिकता के आधार तथा राज्य की सुरक्षा के आधार पर। इसे निम्नलिखित दिए गए उदाहरणों द्वारा भी समझा जा सकता हैं:
- फिल्मों की सेंसरशिप भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक समुचित प्रतिबंध हैं। फिल्म का सेंसर बोर्ड फिल्म के कुछ एक भाग पर जो समाज में हिंसक भावनाएँ या कोई वाद-विवाद खड़ा कर सकता हैं अथवा किसी तरह की अश्लीलता फैलता हैं। उससे प्रतिबंध कर सकता हैं।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी भी व्यक्ति को किसी के निजी मामलों में दखल देने की अनुमति नहीं देती।ऐसा एक उदाहरण इंग्लैंड में भी देखने को मिलता हैं जैसे: इंग्लैंड में जो भी राजपरिवार के लिए काम करता है वह राजमहल की आंतरिक बातों के बारे में न लिखने के लिए एक समझौते से बंधा होता है।



