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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
आप भी महसूस करते है न ऐसा ?... तो फिर साथ दीजिए हमारा। अखबार यदि किसी इश्यू को उठा ले और लगातार उस पर चोट करता रहे तो फिर वह थोड़े से लोगों की बात नहीं रह जाती। सबकी बन जाती है... आँख मूंदकर नहीं रह सकता फिर कोई उससे। आप सोचिए जरा, अगर इसके खिलाफ कोई नियम बनता है तो कितने पेरेंट्स को राहत मिलेगी...कितने बच्चों का भविष्य सुधर जाएगा, उन्हें अपनी मेहनत का फल मिलेगा, माँ-बाप के पैसे का नहीं शिक्षा के नाम पर बचपन से ही उनके दिमाग में यह तो नहीं भरेगा कि पैसा ही सब कुछ है...वे...वे...
1. यह बात कौन, किससे, कब कह रहा है?
2. कोई बात कब सबकी बन जाती हैँ?
3. वक्ता के प्रयासों का लाभ किसे मिलेगा?
1. यह बात रजनी अखबार के संपादक को तब कह रही है जब वह रजनी के इश्यू को अपना समर्थन देने का भरोसा देते हैं। संपादक का कहना है कि वे (रजनी) अखबार वालों को अपने साथ पाएँगी।
2. रजनी का ऐसा कहना है एकके जब कोई अखबार किसी इश्यू को उठा लेता है अर्थात् अपने अखबार में जोर-शोर से छापता है और उस पर चोट करता है तब वह बात थोड़े से लोगों की नहीं रह जाती, बल्कि सबकी हो जाती है।
3. वक्ता अर्थात् रजनी के प्रयासों का अनेक पेरेंट्स को लाभ मिलेगा। उनके बच्चों का भविष्य सुधर जाएगा। बच्चों को अपनी मेहनत का फल मिल सकेगा।
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
देखो, तुम मुझे फिर गुस्सा दिला रहे हो रवि.....गलती करने वाला तो है ही गुनहगार, पर उसे बर्दाश्त करने वाला भी कम गुनहगार नहीं होता, जैसे लीला बेन और कांति भाई और हजारों-हजारों माँ-बाप। लेकिन सबसे बड़ा गुनहगार तो वह है जो चारों तरफ अन्याय, अत्याचार और तरह-तरह की धांधलियों को देखकर भी चुप बैठा रहता है, जैसे तुम। हमें क्या करना है, हमने कोई ठेका ले रखा तै दुनिया का। माई फुट, तुम जैसे लोगों के कारण ही तो इस देश में कुछ नहीं होता, हो भी नहीं सकता।
1. यह कथन किसका है और किसे कहा जा रहा है? प्रसगं बताइए।
2. वक्ता क्या बात समझाने का प्रयास कर रही है?.
3. वक्ता श्रोता पर क्या व्यंग्य करती है?
1. यह कथन रजनी का है। यह कथन वह अपने पति रवि को कह रही है। रजनी ट्यूशन के शिकार बच्चों की समस्या को उठाना चाह रही है तो उसका पति उससे कहता है कि क्या तुमने सारी दुनिया का ठेका ले रखा है। इस पर रजनी बिगड़ उठती है।
2. वक्ता (रजनी) यह समझाने का प्रयास कर रही है कि गलती करने वाला तो गुनहगार होता ही है, पर उसे सहन करने वाला भी कम गुनहगार नहीं होता है, अर्थात् यदि हम गलत बात को सहते हैं तो हम भी दोषी बनते हैं।
3. वक्ता अर्थात् रजनी श्रोता अर्थात् पति रवि पर यह व्यंग्य करती है कि तुम लोग अत्याचार को सहने के आदी हो चुके हो। तुम्हारी इसी कायरता के कारण देश में कुछ नहीं हो पाता अर्थात् अन्याय का विरोध नहीं हो पाता।
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
कैसी बात करती हो? मैं एक बार काट भी हूँ लेकिन अमित! अपने मुँह में डालने से पहले रसमलाई लेकर तुम्हारे फ्लैट में दौड़ता है। मैं कोई भी चीज घर में बनाऊँ या बाहर से लाऊँ, अमित जब तक तुम्हारे भोग नहीं लगा लेता, हम लोग खा थोड़े ही सकते हैं। रजनी आँटी तो हीरो हैं उसकी।
1. यह संवाद कौन, किसको कह रहा है?
2. संवाद का पूर्व प्रसगं बताइए।
3. अमित आंटी को क्या समझता है?>
1. यह संवाद अमित की माँ लीला का है। यह बात वह पड़ोसन रजनी से कह रही है।
2. इस संवाद का प्रसंग यह है कि अमित अपना रिजल्ट लेने स्कूल गया है। उसके पास होने की खुशी में रसमलाई मँगाई गई है। अभी अमित परीक्षाफल लेकर आया नहीं है। उसके आने पर ही पास होने पर मिठाई खिलाई जाएगी। यहाँ वही चर्चा चल रही है।
3. अमित आंटी को हीरो समझता है। वह मिठाई लेकर पहले टी रजनी के फ्लैट की ओर भागता है, फिर घर के लोग खा सकते हैं। अमित टी को खिलाए बिना स्वयं भी नहीं खाता।
रजनी ने अमित के मुद्दे को गंभीरता से लिया, क्योंकि -
वह अमित से बहुत स्नेह करती थी।
अमित उसकी मित्र लीला का बेटा था।
वह अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की सामर्थ्य रखती थी।
उसे अखबार की सुर्खियों में आने का शौक था।
D.
उसे अखबार की सुर्खियों में आने का शौक था।
जब रजनी डायरेक्टर ऑफ एजूकेशन के पास प्राइवेट ट्यूशन की समस्या लेकर जाती है और वह उनसे पूछती है कि इस मामले में उनका बोर्ड क्या कर रहा है? निदेशक (डायरेक्टर) महोदय इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेते और बड़े सहज भाव से लेते हुए उपर्युक्त उत्तर देते हैं। उनके विचार में ट्यूशन के काम में कुछ भी अनुचित प्रतीत नहीं होता।
हमें निदेशक महोदय का यह उत्तर बिल्कुल गलत लगता है। यह उत्तर तो चालू किस्म का प्रतीत होता है। उन्हें ट्यूशन को एक बीमारी मानकर तुरंत इस पर एक्शन लेने की बात कहनी चाहिए थी। ऐसा कहना तो ट्यूशन की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने वाली बात हुई, जिसे उचित नहीं कहा जा सकता।
(क) किसने किस प्रसंग में कही?
(ख) इससे कहने वाले की किस मानसिकता का पता चलता है।
(क) यह बात रजनी का पति हॉल में बैठकर रजनी का भाषण सुनते समय धीरे से फुसफुसाता है। रजनी टीचर्स से अपने हित के लिए संगठित होकर आदोलन चलाने को कह रही है।
(ख) इससे कहने वाले की इस मानसिकता का पता चलता है कि वे स्त्रियों द्वारा चलाए जा रहे आदोलनों को बहुत हल्के रूप में लेते हैं।
‘रजनी’ धारावाहिक की इस कड़ी की मुख्य समस्या क्या है? क्या होता अगर-
(क) अमित का पर्चा सचमुच खराब होता।
(ख) संपादक रजनी का साथ न देता।
इस कड़ी की मुख्य समस्या शिक्षा जगत में व्यवसायिकता का हावी होना है, जिसमें बच्चों को ट्यूशन कराने के लिए बाध्य किया जाता है और न कराने पर कम अंक दिए जाते हैं।
(क) यदि अमित का पर्चा सचमुच खराब होता तो यह समस्या उभर नहीं पाती।
(ख) संपादक यदि रजनी का साथ न देता तो यह समस्या इतनी ताकत से उभर नहीं पाती और सफलता संदिग्ध रहती।
इस संवाद के संदर्भ में हम गलती को बर्दाश्त करने वाले को ज्यादा गुनहगार मानते हैं, क्योंकि गलती का विरोध करने पर ही गुनहगार को अपनी गलती का अहसास होता है। कई बार गलती करने वाला अपने गुनाह की भयंकरता को समझ भी नहीं पाता, अत: विरोध करना आवश्यक है। हमें अन्याय को बिकुल बर्दाश्त नहीं करना चाहिए।
स्त्री के चरित्र की बनी बनाई धारणा से रजनी का चेहरा किन मायनों में अलग है?
स्त्री के चरित्र की बनी बनाई धारणा यह है कि वह सहनशील होती है। वह हर बात को सह जाती है। वह अपने प्रति किए गए अन्याय का विरोध नहीं करती।
रजनी का चेहरा कई मायनों में अलग है। यद्यपि उसके अपने साथ कोई अन्याय नहीं हुआ,फिर भी समाज-सेवा की दृष्टि से अन्याय का सशक्त ढंग से विरोध करती है। उसमें संगठन शक्ति है। वह पति को भी खरी-खरी सुनाने से नहीं चूकती। वह उच्च अधिकारियों को भी व्यंग्य भरी भाषा में खींचती है।
पाठ के अंत में मीटिंग के स्थान का विवरण कोष्ठक में दिया गया है। यदि इसी दृश्य को फिल्माया जाए तो आप कौन-कौन से निर्देश देंगे?
पाठ के अंत में मीटिंग के स्थान पर विवरण कोष्ठक में इस प्रकार दिया गया है-
(मीटिंग का स्थान। बाहर कपड़े का बैनर लगा हुआ है। बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं और भीतर जा रहे हैं, लोग खुश हैं, लोगों में जोश है। विरोध और विद्रोह का पूरा माहौल बना हुआ है। दृश्य कटकर अंदर जाता है। हॉल भरा हुआ है। एक ओर प्रेस वाले बैठे हैं, इसे बाकायदा, फोकस करना है। एक महिला माइक पर से उतरकर नीचे आती है। हॉल में तालियों की गड़गडाहट। अब मंच पर से उठकर रजनी माइक पर आती है। पहली पंक्ति में रजनी के पति भी बैठे हैं।)
‣ हम इस दृश्य को फिल्माने के लिए निम्नलिखित निर्देश देंगे-
- स्टेज के पीछे बैनर लगाया जाए, जिस पर मीटिंग का एजेंडा लिखा हो।
- स्टेज पर मेज-कुरसी तथा माइक की व्यवस्था की जाए।
- स्टेज के सामने पर्याप्त संख्या में दर्शक/श्रोता जुटाए जाएँ।
- माइक पर रजनी को बड़े नाटकीय अंदाज में आना चाहिए।
- बीच-बीच में तालियाँ बजती रहनी चाहिए।
इस पटकथा में दृश्य-संख्या का उल्लेख नहीं है। मगर गिनती करें तो सात दृश्य हैं। आप किस आधार पर इन दृश्यों को अलग करेंगे?
पटकथा में दृश्य-संख्या का उल्लेख न होने पर भी कोई अंतर नहीं पड़ेगा। लीला कं घर का दृश्य, स्कूल के हैडमास्टर के कार्यालय का दृश्य, रजनी के घर का दृश्य, निदेशक के कार्यालय का दृश्य, संपादक के कार्यालय का दृश्य, हॉल के दृश्यों को इसमें शामिल किया गया है। हम स्वयं नंबर डालकर भी इन्हें अलग कर सकते हैं।
निम्नलिखित वाक्यों के रेखांकित अंश में जो अर्थ निहित हैं, उन्हें स्पष्ट करते हुए लिखिए-
(i) वरना तुम तो मुझे काट ही देतीं।
(ii) अमित जब तक तुम्हारे भोग नहीं लगा लगा लेता, हम लोग खा थोडे ही सकते हैं।
(iii) बस-बस, मैं समझ गया।
(i) ‘यहाँ काट देतीं’ में यह अर्थ है कि आमंत्रितों की सूची से नाम निकाल देतीं। (यह वाक्य रजनी वेन संदर्भ में है)
(ii) अमित खाने की चीज तब तक नहीं खाता जब तक उसे अपनी आंटी को न खिला ले। उसके बाद ही अमित के माता-पिता खा सकते हैं।
यहाँ ‘भोग लगाना’ से आशय है-चखाना, खिलाना।
‘थोड़े ही’ से आशय ‘नहीं’ से है।
(iii) ‘बस-बस’ से आशय अब ज्यादा करने की जरूरत नहीं है। इतना कहने से ही बात समझ में आ गई।
‣ पाठ से कोड मिक्सिंग के उदाहरण:-
1. नाइंटी फाइव तो तेरे पक्के हैं।
2. हाफ ईयरली के बाद सात लड़के आ गए।
3. सिक्सथ पोजीशन आई है।
कोड स्विचिंग के उदाहरण
1 व्हॉट डू यू मीन 2. आई मीन बांट आई से
आपने दूरदर्शन या सिनेमा हॉल में अनेक चलचित्र देखें होंगे। पर्दे पर चीजें जिस सिलसिलेवार ढंग से चलती हैं उसमें पटकथा का विशेष योगदान होता है। पटकथा कई महत्त्वपूर्ण संकेत देती है, जैसे-
∙ कहानी/कथा,
∙ संवादों की विषय-वस्तु,
∙ संवाद अदायगी का तरीका
∙ आस-पास का वातावरण/दृश्य
∙ दृश्य का बदलना
यह काम विद्यार्थी अपनी रुचि अनुसार करें।
इस पुस्तक के अपने पसंदीदा पाठ के किसी अंश को पटकथा में रूपातरित कीजिए।
यह काम विद्यार्थी अपनी रुचि अनुसार करें।
रजनी ने संपादक से क्या काम करने का आग्रह किया?
रजनी ने संपादक से आग्रह करते हुए कहा कि एक काम और कीजिए। 25 तारीख को हम लोग पेरेंट्स की एक मीटिंग कर रहे हैं, राइट-अप के साथ इसकी सूचना भी दे दीजिए तो सब लोगों तक खबर पहुँच जाएगी। व्यक्तिगत तौर पर तो हम मुश्किल से सौ-सवा सौ लोगों से संपर्क कर पाए हैं......वह भी रात-दिन भाग-दौड़ करके। आप अधिक-से-अधिक लोगों के आने के आग्रह के साथ सूचना दीजिए।
ट्यूशन की शिकायत को निदेशक ने किस रूप में लिया और क्या कहकर टाल दिया?
रजनी द्वारा ट्यूशन की शिकायत करने पर निदेशक ने उसे गंभीरता से नहीं लिया उसने यह कहकर इसे टाल दिया कि इसमें धंधे की क्या बात है? जब किसी का बच्चा कमजोर होता है तभी उसके माँ-बाप ट्यूशन लगवाते हैं। अगर लगे कि कोई टीचर लूट रहा है तो उस टीचर से न लें ट्यूशन, किसी और के पास चले जाएँ....यह कोई मजबूरी तो है नहीं।
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निदेशक द्वारा हैडमास्टर द्वारा एक्शन लेने की बात पर रजनी गुस्से में निदेशक से क्या कहती है?
दरशन के प्रश्न पर टीचर के विरुद्ध एक्शन लेने की जिम्मेदारी निदेशक हैडमास्टर पर डालकर अपना पल्ला झाडू लेते हैं। इस पर रजनी को क्रोध आ जाता है। वह कहती है- “क्या खूब! आप कहते हैं कि हैडमास्टर को एक्शन लेना चाहिए.... हैडमास्टर कहते है कि मैं कुछ नहीं कर सकता. तब करेगा कौन? मैं पूछती हूँ कि ट्यूशन के नाम पर चलने वाले इस घिनौने रैकेट को तोड़ने के लिए दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए आपको, आपके बोर्ड को।?”
जब निदेशक अपने पास अधिक इंपोर्टेट मैटर होने की दुहाई देते हैं और नई शिक्षा प्रणाली पर सेमिनार करने की बात कहते हैं तब रजनी क्या व्यंग्य करती है?
निदेशक के बहाने सुनकर रजनी निदेशक पर व्यंग्य करते हुए कहती है- “ओह, इंपोर्टेट मैटर्स, नई शिक्षा प्रणाली। अरे पहले इस शिक्षा प्रणाली के छेदों को तो रोकिए वरना बच्चों के भविष्य के साथ-साथ आपकी नई शिक्षा प्रणाली भी छनकर गड्ढे में चली जाएगी।”
अपना प्रस्ताव स्वीकृत होने पर रजनी को कैसा लगा?
अपना प्रस्ताव स्वीकृत होने पर रजनी को बहुत प्रसन्नता हुई। वह बोली- “तो मान लिया गया हमारा प्रस्ताव......बिल्कुल जैसा का तैसा और बन गया यह नियम। मैं तो कहती हूँ कि अगर डटकर मुकाबला किया जाए तो कौन-सा ऐसा अन्याय है, जिसकी धज्जियाँ न बिखेरी जा सकें।
हैडमास्टर ने रजनी की शिकायत को बहुत हल्के ढंग से लेते हुए क्या उत्तर दिया?
हैडमास्टर ने रजनी की बात को बहुत हल्के ढंग से लेते हुए कहा कि आप भी कमाल करती हैं, बच्चे ने कहा और आपने मान लिया। अरे, हर बच्चा घर जाकर यही कहता है कि उसने पेपर बहुत अच्छा किया है और उसे बहुत अच्छे नंबर मिलेंगे। अगर हम इसी तरह कपियों दिखाने लग जाएँ तो यहाँ तो पेरेंट्स की भीड़ लगी रहे सारे समय। इसीलिए तो ईयरली एक्जाम्स की कपियों न दिखाने का नियम बनाया गया है स्कूलों मैं।
रजनी ने गुस्से में हैडमास्टर को क्या कहा?
रजनी ने गुस्से में हैडमास्टर से कहा कि यदि आप कुछ नहीं कर सकते तो मेहरबानी करके यह कुर्सी छोड़ दीजिए। क्योंकि यहाँ पर कुछ कर सकने वाला आदमी चाहिए। जो ट्यूशन वेन नाम पर चलने वाली छेदों को रोक सके.... मालूम और बेगुनाह बच्चों को ऐसे टीचर्स वेन शिकंजों से बचा सके जो ट्यूशन न लेने पर बच्चों वेन नंबर काट लेते हैं... और आप हैं कि कापियां न दिखाने के नियम से उनके सारे गुनाह ढक देते हैं।
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