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कवि पाश के जीवन एवं साहित्य का परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का नाम लिखिए।
कवि पाश का मूल नाम अवतारसिंह संधू है। उनका जन्म 1950 में तलवंडी के सलेम गाँव (जिला जालंधर-पंजाब) में हुआ था। मृत्यु 1988 ई. में हुई। पाश समकालीन पंजाबी साहित्य के महत्वपूर्ण कवि जाने जाते हैं। मध्यवर्गीय किसान परिवार में जन्मे पाश की शिक्षा अनियमित ढंग से स्नातक तक हुई। 1967 में पाश बंगाल के नक्सलवादी आंदोलन से जुड़े और विद्रोही कविता का नया सौंदर्य-विधान विकसित कर उसे तीखा किंतु सृजनात्मक तेवर दिया। पाश की कविताएं विचार और भाव के सुंदर संयोजन से बनी गहरी राजनीतिक कविताएँ हैं, जिनमें लोक-संस्कृति और परंपरा का गहरा बोध मिलता है। पाश जनसामान्य की घटनाओं पर आउटसाइडर की तरह प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते बल्कि इनकी कविताओं में वह व्यथा, निराशा और गुस्सा नजर आता है जो गहरी संपृक्तता के बिना संभव नहीं है।
पाश ने जनचेतना फैलाने के लिए अनेक साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया और सिआड़, हेमज्योति, हाँक, एंटी-47 आदि पत्रिकाओं का संपादन किया। कुछ समय तक अमेरिका में रहे। परिवर्तनकारी आदोलनों में सक्रिय होने के कारण इन्हें जेल भी जाना पड़ा। पाश कविता का उपयोग हथियार की तरह करते हैं। यही कारण है कि यह योद्धा कवि अलगाववादी ताकतों के खिलाफ लड़ते हुए ही शहीद हो गया। यहाँ ली गई कविता सबसे खतरनाक का मूल पंजाबी से अनुवाद चमन लाल ने किया है।
प्रमुख रचनाएँ: लौह कथा, उड़दें, बाजा मगर, साडै समिया बिच, लड़ेंगे साथी।
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती
बैठे-बिठाए पकड़े जाना-बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़े जाना-बुरा तो है
पर सबसे खतरनाक नहीं होता
कपट के शोर में
सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो है
किसी जुगनू की लौ में पढ़ना-बुरा तो है
मुट्ठियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना-बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता
प्रसंग: प्रस्तुत काव्याशं पंजाबी कवि पाश द्वारा रचित ‘सबसे खतरनाक’ से अवतरित है। यह कविता मूल-रूप से पंजाबी में रची गई है। इसका हिन्दी में अनुवाद चमनलाल ने किया है। इस कविता में कवि ने दिनो-दिन अधिकाधिक नृशंस और क्रूर होती जा रही स्थितियों को उसकी विद्रूपताओं के साथ चित्रित किया है। कवि तटस्थ रहने के प्रति अपनी असहमति जताता है।
व्याख्या-कवि व्यंग्यात्मक ढंग से पुलिस की कार्य-प्रणाली का उल्लेख करते हुए कहता है कि पुलिस की मार खतरनाक तो होती है, पर सबसे अधिक खतरनाक नहीं होती। मेहनत की कमाई का लुट जाना भी इसी श्रेणी में आता है। किसी के साथ गद्दारी करना अथवा लोभवश मुट्ठी गरम करना भी खतरनाक है, पर उतना खतरनाक नहीं जितना अन्य बातें।
इसी प्रकार बिना किसी कारण के पुलिस पकड़ ले जाए तो यह बुरी बात अवश्य है। जब हम सहमकर चुप हो जाते हैं और प्रतिरोध नहीं करते, तब भी बुरा होता है, पर यह स्थिति भी सबसे ज्यादा खतरनाक नहीं होती।
कई अन्य बातें भी बुरी हैं, जैसे- धोखे के शोर-शराबे में सच का गला घोंट देना और चुप रह जाना बुरा है। जुगनू के प्रकाश में पढ़ना भी बुरा है। इसी प्रकार विवशता प्रकट करते हुए अपनी मुट्ठियां भींचकर रह जाना और वक्त को निकालते जाना भी बुरी बात है। यद्यपि ये सब बातें बुरी हैं, पर सबसे अधिक खतरनाक नहीं है। और कई बातें ऐसी हैं जो बहुत ज्यादा खतरनाक हैं। उनसे बचा जाना चाहिए।
विशेष- 1. ‘बैठे बिठाए’ में अनुप्रास अलंकार है।
2. सरल एवं सुबोध भाषा का प्रयोग है।
सबसे खतरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का सब सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर घर आना
सबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना
सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो
आपकी निगाह में रुकी होती है
प्रसंग: प्रस्तुत काव्याशं पाश द्वारा रचित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से अवतरित है। कवि कई बातों को बुरा बताकर भी उन्हें सबसे खतरनाक नहीं मानता। अब वह उन बातों को बताता है जो सबसे अधिक खतरनाक हैं।
व्याख्या-कवि का कहना है कि सबसे खतरनाक यह बात होती है कि व्यक्ति में मुर्दे जैसी शांति का भर जाना। ऐसी स्थिति में व्यक्ति की विरोध शक्ति समाप्त हो जाती है। इस दशा में व्यक्ति निष्क्रिय और निर्जीव हो जाता है। उसकी तड़पन समाप्त हो जाती है और वह सब कुछ सहन करता चला जाता है। प्रतिकूलताओं से जूझने की उसकी शक्ति समाप्त हो जाती है। जब व्यक्ति एक बँध बंधाए रूटीन के जीवन में जीने लगता है अर्थात् घर से निकलकर काम पर जाना और काम से लौटकर घर आ जाना तब यह स्थिति भी सबसे खतरनाक होती है। इसमें व्यक्ति की स्थिति को बदलने की क्षमता चुक जाती है। तब हम कोई सपने नहीं देखते, हमारे सपने मर जाते हैं अर्थात् ऊँचा उठने, आगे बढ़ने की कल्पना दम तोड़ देती है। यह स्थिति भी बहुत खतरनाक है।
समय की गति का रुक जाना भी बहुत खतरनाक होता है। इस दशा में कलाई की घड़ी की सुइयाँ तो चलती हैं, पर हमारी निगाह रुक जाती है। हम दूर तक देखने की क्षमता खो बैठते हैं। ऐसी स्थिति में आगे बढ़ने की लालसा ही मर जाती है। जीवन एक बँध ढर्रे पर चलने लगता है। यह स्थिति अत्यंत खतरनाक है।
विशेष-कवि अन्य खतरों से बड़ा उस खतरे को मानता है जिसमें व्यक्ति अपनी प्रतिरोधक क्षमता को खोकर सभी स्थितियों को स्वीकार करने लगता है। तब उसका विकास रुक जाता है।
सबसे खतरनाक वह आँख होती है
जो सबकुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है
जिसकी नजर दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है
जो चीजों से उठती अंधेपन की भाप पर ढुलक जाती है
जो रोजमर्रा के कम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलट-फेर में खो जाती है।
सबसे खतरनाक वह चाँद होता है
जो हर हत्याकांड के बाद
वीरान हुए रंगनों में चढ़ता है
पर आपकी आँखों को मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ पाश द्वारा रचित पंजाबी कविता ‘सबसे खतरनाक’ के हिन्दी अनुवाद से अवतरित हैं। कवि उस स्थिति पर विचार करता है जो सबसे खतरनाक हो सकती है।
व्याख्या-कवि की दृष्टि में जिस आँख में कोई सपना नहीं होता और सबकुछ देखकर भी अनजान बनी रहती है, वह किसी भी स्थिति को देखकर तटस्थ बनी रहती है। उसकी प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो गई जान पड़ती है। जब लोग दुनिया को प्रेम- भाव से चूमना भूल जाते हैं। उन पर किसी बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ता अर्थात् वे लोग संवेदनहीन हो जाते हैं। ऐसे लोग एक बने बनाए ढर्रे पर जीवन गुजारते रहते हैं। उनका जीवन लक्ष्यहीन हो जाता है। वे एक ही जिंदगी को रोज-रोज दुहराते हैं। उनमें कोई नवीनता दिखाई नहीं देती। यह स्थिति सबसे अधिक खतरनाक होती है।
कवि उस चाँद को भी सबसे खतरनाक बताता है जो प्रत्येक हत्याकांड के बाद वीरानी में भी गिन की ऊँचाई पर चढ़ता है। ऐसा चाँद आपकी आँखों में चुभना चाहिए, पर नहीं चुभता।
कवि का भाव यह है कि यह दुनिया दिनोंदिन क्रूर और नृशंस होती जा रही है और इसका विरोध करने की शक्ति हमारी क्षीण होती चली जा रही है। हम तटस्थता का भाव ओढ़े हुए हैं। यही स्थिति सबसे अधिक खतरनाक है। हमें अन्याय के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए।
विशेष- 1. प्रतीकात्मकता एवं लाक्षणिकता का समावेश हुआ है। खि का जमी बर्फ होना, लक्ष्यहीन दुहराव, चांद का वीरान आँगनों में चढ़ना आदि)
2. सरल एवं सुबोध भाषा का प्रयोग किया गया है।
सबसे खतरनाक वह गीत होता है
आपके कानों तक पहुँचने के लिए
जो मरसिए पड़ता है
आतंकित लोगों के दरवाजों पर
जो गुंडे की तरह अकड़ता है
सबसे खतरनाक वह रात होती है
जो जिंदा रूह के आसमानों पर ढलती है
जिसमें सिर्फ उल्लू बोलते और हुआँ हुआँ करते गीदड़
हमेशा के अँधेरे बंद दरवाजों-चौगाठों पर चिपक जाते हैं
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ पाश द्वारा रचित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से अवतरित हैं। इसमें कवि सबसे खतरनाक स्थिति की और संकेत करता है।
व्याख्या-कवि उस गीत को सबसे खतरनाक बताता है जो हमारे कानों तक पहुँचने के लिए शोक—गीत का रूप ले लेता है। जिन लोगों को नृशंसता और क्रूरता के बलबूते पर आतंकित किया जाता है, वहाँ यह गीत अकड़ दिखाता है। कहीं मरसिए पढ़ना और कहीं अकड़ना। यह दोहरापन खतरनाक स्थिति की ओर संकेत है।
इसी प्रकार कवि उस रात को सबसे खतरनाक बताता है जहाँ उल्लू बोलते हैं और गीदड़ हुआँ-हुआँ करते हैं। यह सुनसान और भयावह वातावरण की ओर संकेत है। दरवाजों और चौखटों पर अंधकार अर्थात् त्रासद स्थिति चिपककर रह जाती है।
विशेष- 1. ‘मरसिए’, ‘जिंदा रूह’, ‘खतरनाक’ जैसे उर्दू शब्दों का प्रयोग किया गया है।
2. भाषा में प्रतीकात्मकता का समावेश है।
सबसे खतरनाक वह दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए
और उसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती।
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ पाश द्वारा रचित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से अवतरित हैं। कवि सबसे खतरनाक स्थिति की ओर सकेत करते हुए कहता है-
व्याख्या-सबसे खतरनाक उस दिशा को मानना चाहिए जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए अर्थात् जहाँ आत्मा के सवाल बेमानी हो जाते हैं। जब हम आत्मा की आवाज अनसुनी कर देते हैं तब ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है। उसकी मुर्दा जैसी स्थिति हम पर कहीं कोई प्रभाव छोड़ जाए, तो वह स्थिति भी खतरनाक होती है। ये सभी विद्रूपताएँ उत्पन्न करने वाली स्थितियाँ सबसे अधिक खतरनाक होती हैं।
कवि फिर स्पष्ट करता है कि मेहनत का लुट जाना, पुलिस की मार पड़ना, गद्दारी करना तथा लोभ के वशीभूत हो जाना खतरनाक होते हुए भी सबसे अधिक खतरनाक स्थितियाँ नहीं हैं। सबसे खतरनाक स्थिति वह होती है जब स्थिति को बदलने की हमारी इच्छा मर जाए और भविष्य को उज्ज्वल बनाने के सपने गुम हो जाएँ। हमारे अंदर प्रतिकूल परिस्थितियों से टकराने की भावना होनी चाहिए।
विशेष- 1. कवि प्रतीकात्मक रूप में कई बातें कह जाता है, जैसे-
आत्मा का सूरज डूब जाना। कवि लाक्षणिकता का भी आश्रय लेता है।
2. भाषा सरल एवं सुबोध है।
कवि ने किस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना?
कवि ने इस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना है, क्योंकि इन क्रियाओं में व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है, वह पूरी तरह से नष्ट नहीं होती। ये सभी स्थितियाँ खतरनाक होते हुए भी बदली जा सकती हैं, अत: सबसे अधिक खतरनाक नहीं हैं। इनसे भी बहुत अधिक खतरनाक कई अन्य बातें हैं।
'सबसे खतरनाक' शब्द के बार-बार दोहराए जाने से कविता-कथ्य अधिक प्रभावशाली ढंग से हमारे सामने आता है। हम ‘खतरनाक’ और ‘सबसे खतरनाक’ में अंतर जान जाते हैं। कविता और भी प्रभावशाली ढंग से कहने में समर्थ हो जाती है।
कवि ने कविता में कई बातों को ‘बुरा है’ न कहकर ‘बुरा तो है’ कहा है। ‘तो’ ‘प्रयोग से कथन की भंगिमा में क्या बदलाव आया है, स्पष्ट कीजिए?
कवि ने कई बातों के लिए ‘बुरा तो है’ का प्रयोग किया है। इसमें ‘तो’ शब्द पर बल है। इससे कथन की भंगिमा में यह बदलाव आया है कि यह खतरनाक की श्रेणी में होते हुए भी अन्य सबसे खतरनाक बातों से अलग है। अर्थात् इस ‘तो’ के प्रयोग से बुरेपन की धार कम हो जाती है। इससे तुलनात्मक स्थिति का भी पता चल जाता है।
जब किसी व्यक्ति में मुर्दे जैसी शांति समा जाए अर्थात् वह किसी भी स्थिति पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर न करे, भले ही वह स्थिति विपरीत ही क्यों न हो। ऐसी तटस्थता निश्चय ही सबसे खतरनाक स्थिति है।
‘हमारे सपनों का मर जाना’ उस स्थिति की ओर संकेत करता है, जिसमें हम अपने सुनहरे भविष्य की कल्पना को खो बैठते हैं। हम प्रगति के सपने लेने तक छोड़ देते हैं और यथास्थिति को स्वीकार कर लेते हैं। इस स्थिति में संघर्ष का अभाव रहता है। इन दोनों बातों में पर्याप्त संगति है। ये दोनों स्थितियाँ सबसे अधिक खतरनाक हैं।
'घड़ी' शब्द में यह व्यंजना है कि वह समय सबसे खतरनाक होता है जो आगे बढ़ने के स्थान पर एक बिंदु पर आकर रुक जाता है। यह ‘ठहराव’ उस घड़ी को सूचित करता है। ‘घड़ी’ समय बताने का यंत्र भी है। जब व्यक्ति की आगे बढ़ने की चाह समाप्त हो जाती है तब उसे ‘रुकी घड़ी’ कहा जाता है।
वह चाँद सबसे खतरनाक क्यों होता है, जो हर हत्याकांड के बाद/आपकी आँखों में मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है?
हत्याकांड के लिए जिम्मेदार व्यक्ति हमारी आँखो में चुभना चाहिए। हमें उससे बदला लेने का संकल्प करना चाहिए। पर जब हम हत्याकांड के प्रति निष्क्रिय और तटस्थ हो जाते हैं तब हमें वह हत्यारा बुरा प्रतीत नहीं होता वह व्यक्ति सबसे अधिक खतरनाक होता है।
कवि ने मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती से कविता का आरंभ करके फिर इसी से अंत क्यों किया?
कवि जिस पंक्ति से कविता आरंभ करता है, उसी से कविता का अंत करता है।
कवि खतरनाक और सबसे खतरनाक स्थिति का अंतर चिह्नित करना चाहता है। पहले एक स्थिति बता देता है, फिर दूसरी स्थिति सामने लाता है। निष्कर्ष रूप में पहली स्थिति को दोहरा देता है।
कवि द्वारा उल्लिखित बातों के अतिरिक्त समाज में अन्य किन बातों को आप खतरनाक मानते हैं?
कवि द्वारा उल्लिखित बातों के अतिरिक्त हम निम्नलिखित बातों को खतरनाक मानते हैं:
1. आतंकवादी आक्रमण के समय बचकर छिप जाना।
2. सड़क पर पड़े दुर्घटनाग्रस्त आदमी की मदद न करना।
3. संकटग्रस्त मित्र की सहायता से जी चुराना।
4. समाज द्वारा स्त्रियों को अपमानित करना, बलात्कार का शिकार बनाना।
समाज में मौजूद खतरनाक बातों को समाप्त करने के लिए आपके क्या सुझाव हैं?
समाज में मौजूद खतरनाक बातों को समाप्त करने के लिए हमारे सुझाव ये हैं:
1. लोगों को साहसी बनना होगा।
2. पुलिस और शासन को क्रियाशील होना पड़ेगा।
3. अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने वालों को समाज में प्रशंसा एवं पुरस्कार मिलना चाहिए।
4. हमें संवेदनशील बनना होगा।
‘सबसे खतरनाक’ कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
इस कविता में कवि समाज में बढ़ती जा रही उस खौफनाक स्थिति की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करना चाहता है, जिसमें नृशंसता और क्रूरता बढ़ती चली जा रही है। हम इतने निष्क्रिय और तटस्थ होते चले जा रहे हैं कि प्रतिकूलताओं से संघर्ष करने की हमारी संकल्प-शक्ति क्षीण होती चली जा रही है। हम पथराई आँखों से सभी प्रकार का अन्याय देखते और झेलते हैं, पर तटस्थता बनाए रखते हैं, किसी भी प्रकार का प्रतिरोध दर्ज नहीं कराते। ऐसे में आत्मा के सवाल बेमानी हो जाते हैं। कवि उस स्थिति को सबसे अधिक खतरनाक मानता है, जिसमें प्यास के मर जाने तथा बेहतर भविष्य के सपने गुम हो जाते हैं। कवि चाहता है कि हम अन्याय का डटकर प्रतिरोध करें और तटस्थ भाव को त्यागें।
क्या-क्या स्थितियाँ बुरी होते हुए भी सबसे खतरनाक नहीं हैं?
निम्नलिखित स्थितियाँ बुरी होते हुए भी सबसे खतरनाक नहीं हैं-
(1) मेहनत की लूट होना
(2) पुलिस की मार पड़ना
(3) बैठे-बिठाए पकड़े जाना
(4) सहमी हुई चुप्पी का होना
(5) सही आवाज का दब जाना
(6) विवशतावश समय को काटते जाना
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दी गयी कविता सबसे खतरनाक बातें क्या-क्या हैं?
सबसे खतरनाक बातें ये हैं-
(1) मुर्दे जैसी शांति का होना
(2) तड़पकर सबकुछ सह जाना
(3) सपना (कल्पना) का मर जाना
(4) समय की घड़ी का एक बिंदु पर ठहर जाना
(5) सबकुछ अन्याय देखकर भी अनदेखा करना
(6) रोजमर्रा के जीवन-क्रम को दोहराते चले जाना
(7) बुराई का आँखों में न गड़ना।
(8) आत्मा का सूरज डूब जाना अर्थात् आत्मा का मर जाना।
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