Aroh Chapter 18 अक्क महादेवी
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    NCERT Solution For Class 11 Hindi Aroh

    अक्क महादेवी Here is the CBSE Hindi Chapter 18 for Class 11 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 11 Hindi अक्क महादेवी Chapter 18 NCERT Solutions for Class 11 Hindi अक्क महादेवी Chapter 18 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 11 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN11012315

    अक्क महादेवी का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए।

    Solution

    अक्क महादेवी का जन्म 12 वीं सदी में कर्नाटक के उउडुतरीनामक गाँव (जिला शिवमोगा) में हुआ था। इतिहास में वीर शैव आदोलन से जुड़े कवियों, रचनाकारों की एक लंबी सूची है। अक्क महादेवी इस आदोलन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कवयित्री थीं। चन्नमल्लिकार्जुन देव (शिव) इनके आराध्य थे। कवि वसवन्ना इनके गुरू थे। कन्नड़ भाषा में अक्क शब्द का अर्थ बहिन होता हें।

    अक्क महादेवी अपूर्व सुंदरी थीं। एक बार वहाँ का स्थानीय राजा इनका अद्भुत - अलौकिक सौंदर्य देखकर मुग्ध हो गया तथा इनसे विवाह हेतु इनके परिवार पर दबाव डाला। अक्क महादेवी ने विवाह के लिए राजा के सामने तीन शर्त रखीं। विवाह के बाद राजा ने उन शर्तो का पालन नहीं किया, इसलिए महादेवी ने उसी क्षण राज-परिवार को छोड़ दिया। पर अक्क ने जो इसके आगे किया, वह भारतीय नारी के इतिहास की एक विलक्षण घटना बन गई, जिससे उनके विद्रोही चरित्र का पता चलता है। सबसे चौंकाने और तिलमिला देने वाला तथ्य यह है कि अक्क ने सिर्फ राजमहल नहीं छोड़ा, वहाँ से निकलते समय पुरुष वर्चस्व के विरुद्ध अपने आक्रोश की अभिव्यक्ति के रूप में अपने वस्त्रों को भी उतार फेंका। वस्त्रों को उतार फेंकना केवल वस्त्रों का त्याग नहीं बल्कि एकांगी मर्यादाओं और केवल स्त्रियों के लिए निर्मित नियमों का तीखा विरोध था। स्त्री केवल शरीर नहीं है, इसके गहरे बोध के साथ महावीर जैन आदि महापुरुषों के समक्ष खड़े होने का प्रयास था। इस दृष्टि से देखें तो मीरा की पंक्ति तन की आस कबहू नहीं कीनी ज्यों रणमाँही सूरो अक्क पर पूर्णत चरितार्थ होती है।

    अक्क के कारण शैव आदोलन से बड़ी संख्या में स्त्रियाँ (जिनमें अधिकांश निचले तबकों से थीं) जुड़ी और अपने संघर्ष और यातना को कविता के रूप में अभिव्यक्ति दी। स्वयं अक्क भी निचले तबके से ही आई थीं।

    इस प्रकार अक्क महादेवी की कविता पूरे भारतीय साहित्य में इस क्रांतिकारी चेतना का पहला सर्जनात्मक दस्तावेज है और सम्पूर्ण स्त्रीवादी आदोलन के लिए एक अजस्र प्रेरणास्त्रोत भी।

    Question 2
    CBSEENHN11012320

    वचनों की सप्रसंग व्याख्या करें:

    हे भूख! मत मचल
    प्यास, तड़प मत
    हे नींद! मत सता
    क्रोध, मचा मत उथल-पुथल
    हे मोह! पाश अपने ढील
    लोभ, मत ललचा
    हे मद! मत कर मदहोश
    हे मद! मत कर मदहोश
    ईर्ष्या, जला मत
    ओ चराचर! मत एक अवसर
    आई हूँ संदेश लेकर चन्न मल्लिकार्जुन का

    Solution

    ‍‍रस्तुत वचन शैव आंदोलन से जुड़ी कवयित्री अक्क महादेवी द्वारा रचित है। कर्नाटक में जन्मी इस कवयित्री ने चन्न मल्लिकार्जुन अर्थात् शिव की आराधना की। यह ‘वचन’ मूल रूप से अंग्रेजी में रचा गया है और इसका हिन्दी अनुवाद केदारनाथ सिंह ने किया है। इस वचन में कवयित्री इंद्रियों पर नियत्रंण का सदेश देती जान पड़ती है। उसका ढंग उपदेशात्मक न होकर प्रेमभरा मनुहार है।
    व्याख्या-कवयित्री भूख से न मचलने के लिए कहती है और प्यास से कहती है कि तू तड़प मत। भूख-प्यास मचल-तड़प कर व्यक्ति की साधना में बाधा पहुँचाती हैं, अत: साधक को भूख-प्यास पर नियंत्रण करना आवश्यक है। नींद भी व्यक्ति को सताती है और क्रोध की प्रवृत्ति भी उसके मन में उथल-पुथल मचाती है। इनसे बचना साधक के लिए आवश्यक है। लोभ व्यक्ति को ललचाकर चित कर देता है। नशा भी व्यक्ति को उन्मत्त बना देता है। ईर्ष्या की भावना व्यक्ति को जलाती है। कवयित्री इससे बचने के लिए कहती है। कवयित्री जड़ और चेतन प्राणियों को सावधान करते हुए कहती है कि वह भगवान शिव का संदेश लेकर आई है। हमें इस पावन अवसर को चूकना नहीं चाहिए।
    भावार्थ यह है कि हमें प्रभु भक्ति के लिए अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण करना आवश्यक है। व्यक्ति भूख-प्यास, नींद, क्रोध, मोह-मद, ईर्ष्या आदि कुप्रवृत्तियों के वशीभूत होकर भगवान शिव से दूर होता चला जाता है। अत: इन पर नियंत्रण आवश्यक है।

    Question 3
    CBSEENHN11012326

    वचनों की सप्रसंग व्याख्या करें :

    हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
    मँगवाओ मुझसे भीख
    और कुछ ऐसा करो
    कि भूल जाऊँ अपना घर पूरी तरह
    झोली फैलाऊँ और न मिले भीख
    कोई हाथ बढ़ाए कुछ देने को
    तो वह गिर जाए नीचे
    और यदि मैं झुकूँ उसे उठाने
    तो कोई कुत्ता आ जाए
    और उसे झपटकर छीन ले मुझसे।

    Solution

    प्रसंग- प्रस्तुत ‘वचन’ कर्नाटक की प्रसिद्ध भक्त कवयित्री अक्का महादेवी द्वारा रचित है। यह वचन मूल रूप से अग्रेजी में लिखा गया है और इसका हिन्दी में अनुवाद केदारनाथ सिंह ने किया है। इस वचन में कवयित्री ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव व्यक्त करती है। वह भौतिक वस्तुओं के प्रयोग से स्वयं को बचाए रखना चाहती है। वह अपने ‘अहं’ को गलाना चाहती है ताकि वह निस्पृह स्थिति में आ जाए।

    व्याख्या-कवयित्री अपने प्रभु को जूही के फूल के समान कोमल बताती है। लेकिन कठोर एवं अभावग्रस्त जीवन बिताने की कामना करती है। वह चाहती है कि उसके ईश्वर उससे भीख मँगवाने जैसा तुच्छ कार्य तक करवाएँ। उसे इसमें कोई ऐतराज नहीं होगा। वह भगवान से ऐसा कुछ चमत्कार करने को कहती है जिससे वह अपने घर को भूल जाए अर्थात् घर की मोह-ममता उसे सता न सके।’ वह इस स्थिति के लिए भी तैयार है कि जब वह दूसरों से भीख पाने के लिए अपनी झोली फैलाए और उसे भीख मिले ही नहीं। यदि? कोई मुझे कुछ देना भी चाहे तो वह मुझ तक न पहुँचकर बीच में ही गिर जाए। यदि मैं उस नीचे गिरी वस्तु को उठाने के लिए नीचे झुकूँ तो अचानक कोई कुत्ता आकर झपट्टा मार दे और उस वस्तु को मुझसे छीनकर ले भागे।

    भाव यह है कि कवयित्री भौतिक वस्तुओं के अभाव को सहर्ष झेलने को तैयार है। वह तो केवल ईश्वर की अनुकम्पा की कामना करती है। उपर्युक्त वर्णित स्थितियाँ उसके अहंकार को पूरी तरह नष्ट कर देंगी, अत: वरण करने योग्य हैं।

    Question 4
    CBSEENHN11012328

    लक्ष्य-प्राप्ति में इंद्रीयाँ बाधक होती हैं-इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए।

    Solution

    लक्ष्य की प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं-यह कथन बिल्कुल सत्य है। इंद्रियाँ व्यक्ति को विषय-वासनाओं के जाल में उलझाती हैं। इंद्रियों का सुख व्यक्ति को भ्रमित करता है। उसे इन चीजों में आनंद आता जाता है और वह ईश्वर-प्राप्ति के लक्ष्य में पिछड़ता चला जाता है। कोई भी लक्ष्य तब तक नहीं पाया जा सकता जब तक इंद्रियों पर नियंत्रण न हो जाए। यही कारण है कि हमारे ऋषि-मुनि घर गृहस्थ को त्यागकर तप करने जाते रहे हैं। यदि व्यक्ति में प्रबल कामना हो तो वह घर में रहकर भी इंद्रियों पर काबू पा सकता है और लक्ष्य-प्राप्ति की ओर अग्रसर हो सकता है।

    Question 5
    CBSEENHN11012329

    ‘ओ चराचर! मत चूक अवसर’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    ‘ओ चराचर! मत चूक अवसर’ पंक्ति का आशय यह है कि जब व्यक्ति को इंद्रियों की दासता से मुक्ति का अवसर मिले, उसे इसका भरपूर लाभ उठाना चाहिए।

    कवयित्री भगवान शिव का संदेश लेकर आती है और लोगों को यह अवसर प्रदान करती है कि वे इंद्रियों की दासता से मुक्ति प्राप्त कर लें। अवसर पर चूक जाने वाला व्यक्ति जीवन- भर पछताता है।

    Question 6
    CBSEENHN11012331

    ईश्वर के लिए किस दृष्टांत का प्रयोग किया गया है? ईश्वर और उसके साम्य का आधार बताइए।

    Solution

    ईश्वर के लिए जूही के फूल के दृष्टांत का प्रयोग किया गया है। ईश्वर और उसके साम्य का आधार उसकी सुंदरता, कोमलता एवं महक है। जूही का फूल अपनी सुंदरता से सबका मन मोह लेता है। उसकी कोमलता एवं महक भी देखते बनती है। ईश्वर में भी ये सभी गुण विद्यमान हैं। वह हमें अपनी ओर आकर्षित करता है।

    Question 7
    CBSEENHN11012332

    ‘अपना घर’ से क्या तात्पर्य है? इसे भूलने की बात क्यों कही गई है?

    Solution

    ‘अपना घर’ से तात्पर्य है-मोह ममता का संसार। व्यक्ति इस घर के आकर्षण-जाल में उलझकर रह जाता है और ईश्वर-प्राप्ति के लक्ष्य में पिछड़ जाता है। कवयित्री इस घर अर्थात् मोह-ममता को मूलने की बात कह रही है ताकि वह निस्पृह भाव से अपने आराध्य शिव की उपासना कर सके और उसे पा सके।

    Question 8
    CBSEENHN11012333

    दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई है और क्यों?

    Solution

    सरे वचन में ईश्वर से यह कामना की गई है कि वह ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न कर दे जिनमें पड़कर उसका अहंकार गलकर समाप्त हो जाए। वह दूसरों से मिलने वाली वस्तु तक से वंचित हो जाए। उसकी झोली खाली ही रह जाए। ये स्थितियाँ उसे वास्तविकता के धरातल पर ला खड़ा करेंगी और उसका अहंकार मिट जाएगा तथा उसे शिव की प्राप्ति हो जाएगी।

    Question 9
    CBSEENHN11012336

    क्या अक्क महादेवी को ‘कन्नड़ की मीरा’ कहा जा सकता है? चर्चा करें।

    Solution

    हाँ, अक्क महादेवी को ‘कन्नड़ की मीरा’ कहा जा सकता है, क्योंकि दोनों में पर्याप्त समानता है। दोनों ईश्वर- भक्ति में सर्वस्व त्याग पर बल देती हैं और अपने जीवन में इसका पालन करती हैं। महादेवी ने तो वस्त्र तक उतार फेंके, दोनों कवयित्री विवाह के बंधन में देर तक बँधकर न रह सकीं। हाँ, अंतर यह है कि मीरा की भक्ति कृष्ण के प्रति थी और अक्क महादेवी की भक्ति शिव के प्रति है। दोनों में पूर्ण समर्पण भाव है।

    Question 10
    CBSEENHN11012337

    हे भूख! मत मचल
    प्यास, तड़प मत
    हे नींद! मत सता
    क्रोध, मचा मत उथल-पुथल
    हे मोह! पाश अपने ढील
    लोभ, मत ललचा
    हे मद! मत कर मदहोश
    हे मद! मत कर मदहोश
    ईर्ष्या, जला मत
    ओ चराचर! मत एक अवसर
    आई हूँ संदेश लेकर चन्न मल्लिकार्जुन का 

    दिये गये वचन का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
     

    Solution

    अक्क महादेवी ने प्रथम वचन में इंद्रियों के निग्रह पर रह दिया है। उनका यह बल उपदेशात्मक न होकर प्रेम भरा मनुहार है। वे भूख-प्यास से व्यथित नहीं होना चाहती और मद-मोह से भी स्वयं को पृथक् रखना चाहती हैं। ईश्वर-प्राप्ति के लिए क्रोध और ईर्ष्या भावना का भी त्याग करना पड़ता है। कवयित्री भगवान शिव का संदेश सभी लोगों को सुनाना चाहती है।

    Question 11
    CBSEENHN11012338

    हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
    मँगवाओ मुझसे भीख
    और कुछ ऐसा करो
    कि भूल जाऊँ अपना घर पूरी तरह
    झोली फैलाऊँ और न मिले भीख
    कोई हाथ बढ़ाए कुछ देने को
    तो वह गिर जाए नीचे
    और यदि मैं झुकूँ उसे उठाने
    तो कोई कुत्ता आ जाए
    और उसे झपटकर छीन ले मुझसे।

    दिये गये वचन का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    दूसरे वचन में कवयित्री अपना ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण व्यक्त करती है। ईश्वर- भक्त को प्रभु की अनुकम्पा पाने के लिए भौतिक वस्तुओं के सुख- भोग से स्वयं को पृथक् रखना चाहिए। इस वचन में कवयित्री ऐसी निस्पृह स्थिति की कामना करती है जिसमें उसका ‘स्व’ अथवा ‘अहंकार’ पूरी तरह से नष्ट हो जाए। वह अभावग्रस्त जीवन जीकर संतुष्ट रहेगी। इससे ईश्वर-प्राप्ति सुगम हो जाएगी।

    Question 13
    CBSEENHN11012342

    निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

    हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
    मँगवाओ मुझसे भीख


    Solution

    इन काव्य पंक्तियों में कवयित्री अपने ईश्वर को जूही के फूल जैसा बताती है। इस प्रयोग में ईश्वर में जूही के फूल की सुंदरता, कोमलता एवं सुगंध का साम्य देखा गया है। कवयित्री ‘अहं’ को गलाने के लिए भीख मँगवाने जैसा काम करवाने का अनुरोध करती है। कवयित्री की निस्पृह भावना भी अभिव्यक्त होती है।

    -प्रथम पंक्ति में उपमा अलंकार का प्रयोग हुआ है।

    -‘मँगवाओ मुझसे’ में ‘म’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।

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