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अक्क महादेवी

Question
CBSEENHN11012328

लक्ष्य-प्राप्ति में इंद्रीयाँ बाधक होती हैं-इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए।

Solution

लक्ष्य की प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं-यह कथन बिल्कुल सत्य है। इंद्रियाँ व्यक्ति को विषय-वासनाओं के जाल में उलझाती हैं। इंद्रियों का सुख व्यक्ति को भ्रमित करता है। उसे इन चीजों में आनंद आता जाता है और वह ईश्वर-प्राप्ति के लक्ष्य में पिछड़ता चला जाता है। कोई भी लक्ष्य तब तक नहीं पाया जा सकता जब तक इंद्रियों पर नियंत्रण न हो जाए। यही कारण है कि हमारे ऋषि-मुनि घर गृहस्थ को त्यागकर तप करने जाते रहे हैं। यदि व्यक्ति में प्रबल कामना हो तो वह घर में रहकर भी इंद्रियों पर काबू पा सकता है और लक्ष्य-प्राप्ति की ओर अग्रसर हो सकता है।

Some More Questions From अक्क महादेवी Chapter

क्या अक्क महादेवी को ‘कन्नड़ की मीरा’ कहा जा सकता है? चर्चा करें।

हे भूख! मत मचल
प्यास, तड़प मत
हे नींद! मत सता
क्रोध, मचा मत उथल-पुथल
हे मोह! पाश अपने ढील
लोभ, मत ललचा
हे मद! मत कर मदहोश
हे मद! मत कर मदहोश
ईर्ष्या, जला मत
ओ चराचर! मत एक अवसर
आई हूँ संदेश लेकर चन्न मल्लिकार्जुन का 

दिये गये वचन का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
 

हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
मँगवाओ मुझसे भीख
और कुछ ऐसा करो
कि भूल जाऊँ अपना घर पूरी तरह
झोली फैलाऊँ और न मिले भीख
कोई हाथ बढ़ाए कुछ देने को
तो वह गिर जाए नीचे
और यदि मैं झुकूँ उसे उठाने
तो कोई कुत्ता आ जाए
और उसे झपटकर छीन ले मुझसे।

दिये गये वचन का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।

इन काव्य-पंक्तियों में व्यक्ति को लोभ, मद, मोह तथा ईर्ष्या की भावना त्यागने का संदेश दिया गया है। ये वासनाएँ व्यक्ति को ईश्वर-प्राप्ति के लक्ष्य से भटकाती हैं, अत: त्याज्य हैं। कवयित्री अवसर न चूकने की बात भी कहती है। कवयित्री भगवान शिव का संदेश लोगों को बताती है।

-‘मद मत कर मदहोश’ में ‘म’ वर्ण की आवृत्ति है, अत: अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।

-‘चन्न मल्लिकार्जुन’ शब्द का प्रयोग ‘शिव’ के लिए हुआ है। इससे कवयित्री का शैव-प्रेम प्रकट होता है।

-भाषा सरल एवं सुबोध है।

निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
मँगवाओ मुझसे भीख