आत्मत्राण

Question

'आत्मत्राण' कवित में कवि की प्रार्थना से क्या संदेश मिलता है? अपने शब्दों में लिखिए।

Answer

'आत्मत्राण' कविता रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखित कविता है। आत्मत्राण कविता में कवि मनुष्य को भगवान के प्रति विश्वास बनाए रखने का संदेश देता है। वह प्रभु से प्रार्थना करता है कि चाहे कितना कठिन समय हो या कितनी विपदाएँ जीवन में हों। परन्तु हमारी आस्था भगवान पर बनी रहनी चाहिए। उनके अनुसार जीवन में थोड़ा-सा दुख आते ही, मनुष्य का भगवान पर से विश्वास हट जाता है। कवि भगवान से प्रार्थना करता है कि ऐसे समय मैं आप मेरे मन में अपने प्रति विश्वास को बनाए रखना। उनके अनुसार भगवान पर विश्वास ही उन्हें सारी विपदाओं व कठिनाइयों से उभरने की शक्ति देता है। दूसरे वह (भगवान) मनुष्य को विषम परिस्थितियों में निडर होकर लड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। उनके अनुसार भगवान में वे शक्तियाँ हैं कि वह असंभव को संभव को बना सकते हैं। परन्तु कवि भगवान से प्रार्थना करते हैं कि परिस्थितियाँ कैसी भी हो, वह उनसे स्वयं आमना-सामना करें। भगवान मात्र उसका सहयोग करे। 

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Some More Questions From आत्मत्राण Chapter

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
'विपदाओं से मुझे बचाओं, यह मेरी प्रार्थना नहीं' - कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है? 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है?

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
अंत में कवि क्या अनुनय करता है? 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
'आत्मत्राण' शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।  

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप प्रार्थना के अतिरिक्त और क्या-क्या प्रयास करते हैं? लिखिए। 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
क्या कवि की यह प्रार्थना आपको अन्य प्रार्थना गीतों से अलग लगती है? यदि हाँ, तो कैसे? 

निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-  
नत शिर होकर सुख के दिन में
तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में।

निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-  
हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचना रही
तो भी मन में ना मानूँ क्षय।

निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-  
तरने की हो शक्ति अनामय
मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।

Q12'आत्त्मत्राण' शीर्षक का अर्थ बताते हुए उसकी सार्थकता, ​कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।