मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया

Question

उन्नीसवीं सदी में भारत में मुद्रण-संस्कृति के प्रसार का इनके लिए क्या मतलब था-

गरीब जनता


Answer

गरीब जनता: 19 वीं सदी के मद्रास के चौराहों पर बेची जा रही थीं, जिसके चलते गरीब लोग भी बाज़ार से उन्हें खरीदने की स्थिति में आ गए थे। सार्वजनिक पुस्तकालयों के खुलने के कारण गरीब जनता की पुस्तकों तक पहुँच आसान हो गई। आमिर लोग शहरों, कस्बों या संपन्न गाँवों में पुस्तकालय खोलने में अपनी शान समझते थे।

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