उमाशंकर जोशी
रोपाई क्षण की
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती।
किसी क्षण विशेष में बीज की रोपाई होने का ही यह परिणाम है कि फसल कटाई की स्थिति तक जा पहुँचती है। इसी प्रकार विचार या भाव का मन में उत्पन्न होना ही उसे रसानुभूति की स्थिति तक ले जाता है। यह रस धारा अनंत काल तक चलने वाली कटाई से भी कम नहीं होती अर्थात् साहित्यिक रचना कालजयी होती है। उसे असंख्य पाठकों द्वारा बार-बार पड़े जाने पर उसका महत्त्व कम नहीं होता। वह लुटते रहने पर भी कम नहीं होती अर्थात् साहित्य का रस कभी चुकता नहीं।
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अंधड किसका प्रतीक है? वह क्या कर जाता है?
पौधों के फलों का काव्य-सृजन से क्या संबंध स्थापित किया गया है?
नभ में पाँती-बँधे बगुलों के पंख,
चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें।
कजरारे बादलों की छाई नभ छाया,
तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया।
हौले हौले जाती मुझे बाँध निज माया से।
उसे कोई तनिक रोक रक्खो।
वह तो चुराए लिए जातीं मेरी आँखें
नभ में पाँती-बँधी बगुलों की पाँखें।
कवि ने आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते सफेद बगुलों की तुलना किससे की है?
‘वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें’-काव्य-पंक्ति के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कवि की आँखें कौन और किस प्रकार चुराए लिए जा रहा है?
‘उसे कोई तनिक रोक रक्खो’-काव्य-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना कहने में क्या अर्थ निहित है?
रचना के संदर्भ में अँधड़ और बीज क्या है?
शब्द के अंकुर फूटे
पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।
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