फिराक गोरखपुरी
शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर क्या भाव व्यंजित करना चाहता है?
शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर यह भाव व्यंजित करना चाहता है कि जो संबंध बादलों की घटा का बिजली के साथ है, वही संबंध भाई का बहन के साथ है। राखी कोई साधारण वस्तु नहीं है। इसके लच्छे बिजली चमक की तरह रिश्तों की पवित्रता को व्यंजित करते हैं। बिजली चमककर किसी सत्य का उद्घाटन कर जाती है, इसी प्रकार राखी के लच्छे भी चमककर संबंधों के उत्साह का उद्घाटन कर जाते हैं। शायर ने रक्षाबंधन के त्योहार का रोचक वर्णन किया है। रक्षाबंधन के कच्चे धागे ऐसे हैं जैसे बिजली के लच्छे। रक्षाबंधन सावन मास में आता है। सावन मास में बादल होते हैं। घटा का जो संबंध बिजली से है वही संबंध भाई का बहन से है। कवि कहना चाहता है कि यह पवित्र बंधन बिजली की तरह चमकता है।
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फिराक गोरखपुरी का जीवन-परिचय एवं साहित्यिक परिचय दीजिए तथा रचनाओं का उल्लेख भी कीजिए।
हाथों पे बुलाती है उसे गोद-भरी
रह-रह के हवा में जो लोका देती है
गूँज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी।
कवि और कविता का नाम लिखिए।
कौन, किसे, कहाँ लिए खड़ी है?
माता अपनी संतान को किस प्रकार खिला रही हें?
बच्चा क्या करता है?
उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके
किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को
जब घुटनियों में ले के है पिन्हाती कपड़े।
माँ बच्चे के लिए क्या-क्या काम करती है?
बच्चा कब अपनी माँ के मुँह को प्यार से देखता है?
चीनी के खिलौने जगमगाते लावे
वो रूपवती मुखड़े पॅ इक नर्म दमक
बच्चे के घरौंदे में जलाती है दिए
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