दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें
दीपावली की शाम घर पुते और सजे
चीनी के खिलौने जगमगाते लावे
वो रूपवती मुखड़े पॅ इक नर्म दमक
बच्चे के घरौंदे में जलाती है दिए
प्रसंग: प्रस्तुत रुबाई उर्दू के मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी द्वारा रचित है। इसमें दीवाली के त्योहार पर घर में खुशी के माहौल का चित्रण है।
व्याख्या: शायर बताता है कि दीवाली के अवसर पर घरों की पुताई की जाती है और उन्हें सजाया जाता है। दीवाली की शाम को इन पुते-सजे घरों में मिठाई के नाम पर चीनी के बने खिलौने आते हैं (चीनी के मीठे खिलौने) रोशनी भी जगमगाती है। इस अवसर पर माँ के रूपवती मुखड़े पर एक नरम-सी दमक आ जाती है। वह बच्चे के बनाए घर में दिए जलाती है। जब माँ बच्चे के घरोंदे में दिए जलाती है तो दिए की झिलमिलाती रोशनी की दमक माँ के मुखड़े की चमक को एक नई आभा प्रदान कर देती है।
विशेष: 1. दीवाली की शाम का यथार्थ चित्रण किया गया है।
2. ‘रूपवती मुखड़ा’ और ‘नर्म दमक’-विलक्षण प्रयोग है।