शमशेर बहादुर सिंह
कविता के किन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि उषा, कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्दचित्र है?
कविता के निम्नलिखित उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि ‘उषा’ कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्द-चित्र है-
राख से लीपा हुआ चौका।
बहुत काली सिल।
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक मलना।
किसी की गौर झिलमिल देह का हिलना।
Sponsor Area
शमशेर बहादुर सिंह के जीवन एवं साहित्य का परिचय देते हुए उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
भोर का नभ,
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है।)
बहुत काली सिल
जरा से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो।
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने।कवि ने प्रातःकालीन आसमान की तुलना किससे की है?
कवि ने भोर के नभ की तुलना किससे की है और क्यों?
कवि काली सिल और लाल केसर के माध्यम से क्या कहना चाहता है?
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक मल दी हो किसी ने -स्पष्ट करो।
किसी की गौर, झिलमिल देह जैसे
हिल रही हो।
और .........
जादू टूटता है इस उषा का अब:
सूर्योदय हो रहा है।
कवि ने नीले जल में झिलमिलाते गौर वर्ण शरीर किसे कहा है?
उषा का जादू कब टूटता है?
इस काव्यांश में किस स्थिति का चित्रण हुआ है?
Sponsor Area
Sponsor Area