गजानन माधव मुक्तिबोध
गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सब
यह विचार-वैभव सब
दृढ़ता यह, भीतर की सरिता यह अभिनव सब
मौलिक है, मौलिक है
इसलिए कि पल-पल में
जो कुछ भी जाग्रत है अपलक है-
संवेदन तुम्हारा है!!
जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है
जितना भी उँड़ेलता हूँ, भर-भर फिर आता है
दिल में क्या झरना है?
मीठे पानी का सोता है
भीतर वह, ऊपर तुम
मुसकाता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर
मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है।
A. कवि के दिल में झरना या मीठे पानी का स्त्रोत वस्तुत: क्या है? उस झरने की क्या विशेषता है? | (i) कवि के हृदय में झरना या मीठे पानी का स्रोत वस्तुत: प्रेम-भावनाएँ हैं। उस झरने की विशेषता यह है कि यह कभी खाली नहीं होता। कवि जितना इसे बाहर निकालने का प्रयास करता है, उतना यह पुन: भर जाता है। |
B. ‘गरबीली गरीबी’ और ‘भीतर की सरिता’ से कवि का क्या अभिप्राय है? कवि ने इनको ‘मैलिक’ क्यों कहा है? | (ii) कवि आत्मसम्मानी है। उसे अपनी गरीबी पर गर्व है। कवि ने इसे मौलिक इसलिए कहा है कि उसके जीवन की अनुभूतियों में कोई बनावट-मिलावट नहीं है। वे सभी मौलिक हैं। |
C. कवि का रिश्ता किसके साथ है? उस रिश्ते को कवि ने किस रूप में कल्पित किया हैं? | (iii) कवि का रिश्ता अपनी प्रियतमा के साथ है। इस रिश्ते को कवि हृदय की गहराइयों से मानता है। कवि अपने हृदय से प्रेम को जितना उडेलता है, उसका मन उतना ही प्रेममय होता चला जाता है। |
D. ‘भीतर वह, ऊपर तुम’ से कवि का ससंकेत-किसकी ओर है? किसी का खिलता हुआ चेहरा उसको किस तरह आनंदित कर रहा है? | (iv) कवि के भीतर हृदय में प्रेम का झरना है और ऊपर वह प्रिय है। प्रिय का मुसकराता चेहरा कवि को आनंदित कर जाता है। |
A. कवि के दिल में झरना या मीठे पानी का स्त्रोत वस्तुत: क्या है? उस झरने की क्या विशेषता है? | (i) कवि के हृदय में झरना या मीठे पानी का स्रोत वस्तुत: प्रेम-भावनाएँ हैं। उस झरने की विशेषता यह है कि यह कभी खाली नहीं होता। कवि जितना इसे बाहर निकालने का प्रयास करता है, उतना यह पुन: भर जाता है। |
B. ‘गरबीली गरीबी’ और ‘भीतर की सरिता’ से कवि का क्या अभिप्राय है? कवि ने इनको ‘मैलिक’ क्यों कहा है? | (ii) कवि आत्मसम्मानी है। उसे अपनी गरीबी पर गर्व है। कवि ने इसे मौलिक इसलिए कहा है कि उसके जीवन की अनुभूतियों में कोई बनावट-मिलावट नहीं है। वे सभी मौलिक हैं। |
C. कवि का रिश्ता किसके साथ है? उस रिश्ते को कवि ने किस रूप में कल्पित किया हैं? | (iii) कवि का रिश्ता अपनी प्रियतमा के साथ है। इस रिश्ते को कवि हृदय की गहराइयों से मानता है। कवि अपने हृदय से प्रेम को जितना उडेलता है, उसका मन उतना ही प्रेममय होता चला जाता है। |
D. ‘भीतर वह, ऊपर तुम’ से कवि का ससंकेत-किसकी ओर है? किसी का खिलता हुआ चेहरा उसको किस तरह आनंदित कर रहा है? | (iv) कवि के भीतर हृदय में प्रेम का झरना है और ऊपर वह प्रिय है। प्रिय का मुसकराता चेहरा कवि को आनंदित कर जाता है। |
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कवि ने सहर्ष क्या स्वीकार किया है?
कवि ने इसे क्यों स्वीकार कर लिया है?
यह कविता क्या प्रेरणा देती है?
प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें
गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सब
यह विचार-वैभव सब
दृढ़ता यह, भीतर की सरिता यह अभिनय सब
मौलिक है, मौलिक है,
इसलिए कि पल-पल में
जो कुछ भी जागृत है, अपलक है-
संवेदन तुम्हारा है!!
कवि किस-किसको मौलिक मानता है और क्यों?
इन पर किसकी संवेदना का प्रभाव है?
इस कविता पर किस बाद का प्रभाव झलकता है?
जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है
दिल में क्या झरना है?
मीठे पानी का सोता है
भीतर वह, ऊपर तुम
मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर
मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है।
कवि अपने दिल की तुलना किससे करता है और क्यों?
ऊपर कौन है?
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