हरिवंशराय बच्चन
निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
हो जाए न पथ में रात कहीं,
मंजिल भी तो है दूर नहीं -
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है।
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
नीड़ों से झोंक रहे होंगे -
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!A. प्रस्तुत काव्यांश में प्रकृति की परिवर्तनशीलता के दृश्य का अपने शब्दों में चित्रण कीजिए। | (i) प्रकृति की परिवर्तनशीलता का दृश्य: दिन ढल चुका है, रात होने वाली है। पथिक जल्दी-जल्दी चलकर शीघ्र घर पहुंच जाना चाहता है। पक्षियों के बच्चे घोंसले से झाँक रहे है। |
B. पंथी कौन है? वह पथ में जल्दी-जल्दी क्यों चलना चाहता है? | (ii) पंथी मंजिल की ओर बढ़ने वाला कवि है। वह जल्दी-जल्दी इसलिए चलना चाहता है ताकि वह अपनी मंजिल तक पहुँच सके। यह मंजिल उसका जीवन भी हो सकती है। |
A. प्रस्तुत काव्यांश में प्रकृति की परिवर्तनशीलता के दृश्य का अपने शब्दों में चित्रण कीजिए। | (i) प्रकृति की परिवर्तनशीलता का दृश्य: दिन ढल चुका है, रात होने वाली है। पथिक जल्दी-जल्दी चलकर शीघ्र घर पहुंच जाना चाहता है। पक्षियों के बच्चे घोंसले से झाँक रहे है। |
B. पंथी कौन है? वह पथ में जल्दी-जल्दी क्यों चलना चाहता है? | (ii) पंथी मंजिल की ओर बढ़ने वाला कवि है। वह जल्दी-जल्दी इसलिए चलना चाहता है ताकि वह अपनी मंजिल तक पहुँच सके। यह मंजिल उसका जीवन भी हो सकती है। |
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कवि इस संसार में अपना जीवन किस प्रकार से बिताता है?
उन्मादों में अवसाद लिए फिरता हूँ,
जो मुझको बाहर हँसा, रुलाती भीतर,
मैं, हाय 2 किसी की याद लिए फिरता हूँ,
कर यत्न मिटे सब, सत्य किसी ने जाना?
नादान वहीं है, हाय, जहाँ पर दाना!
फिर छू न क्या जग, जो इस पर भी सीखे?
मैं सीख रहा हूँ, सीखा ज्ञान भुलाना!
कवि कैसा उन्माद लिए फिरता है? इसका उसे क्या प्रतिफल मिलता है?
कवि किस मन: स्थिति में जी रहा है और क्यों?
कवि इस संसार के बारे में क्या बताता है?
कौन व्यक्ति मूर्ख है और क्यों?
प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?
मैं और, और जग और, कहाँ का नाता,मैं बना-बना कितने जग रोज मिटाता;
जग जिस पृथ्वी पर जोड़ा करता वैभव,
मैं प्रति पग से उस पृथ्वी को ठुकराता!
मैं निज रोदन में राग लिए फिरता हूँ,
शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ,
हों जिस पर भूपोंके प्रासाद निछावर,
मैं वह खंडहर का भाग लिए फिरता हूँ।
कवि के अनुसार उसका और संसार में क्या नाता है?
कवि और संसार में क्या विरोधी स्थिति है?
कवि का रोदन किस प्रकार का है?
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