कबीर
कबीर को क्यों कहना पड़ा ‘आगि दोऊ घर लागी’?
कबीर का आविर्भाव ऐसे समय में हुआ जब समाज में धार्मिक आडम्बरों का साम्राज्य था। हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही धार्मिक आडम्बरों के शिकार हो रहे थे और समाज मानवताविहीन दिशा की ओर अग्रसर था। हिन्दू लोग मूर्ति पूजा, तिलक, माला, जाप आदि अनेक पाखण्डों में लिप्त थे, और मुसलमान कुरान का पाठ करते, नमाज पड़ते, चेले बनाते, कब्र पर दीया जलाने का उपदेश देते थे। इन दोनों में से किसी को सच्चा आत्मबोध नहीं था। धार्मिक आडम्बरों में दोनों ही एक से बढ्कर एक थे; अत: कबीर को कहना पड़ा- ‘आगि दोऊ घर लागी’।
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कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है? इसके समर्थन में उन्होंने क्या तर्क दिए है?
मानव शरीर का निर्माण किन पाँच तत्त्वों से हुआ है?
“जैसे बाड़ी काष्ठ ही का, अगिनि न काटे, कोई।
सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई।।”
-इसके आधार पर बताइए कि कबीर की दृष्टि में ईश्वर का क्या स्वरूप है?
कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है?
कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है?
कबीर ने नियम और धर्म का पालन करने वाले लोगों की किन कमियों की ओर संकेत किया है?
अज्ञानी गुरूओं की शरण में जाने पर शिष्यों की क्या गति होती है?
बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं ( आत्म) को पहचानने की बात किन पंक्तियों में कही गई है? उन्हें अपने शब्दों में लिखे।
अन्य संत कवियों नानक, दादू और रैदास के ईश्वर संबंधी विचारों का संग्रह करें और उन पर एक परिचर्चा करें।
कबीर के पदों को शास्त्रीय संगीत और लोग संगीत दोनों में लयबद्ध भी किया गया है। जैसे-कुमारगंधर्व, भारती बंधु और प्रल्हाद सिंह टिप्पाणियाँ आदि द्वारा गाए गए पद। इनके कैसेट्स अपने पुस्तकालय के लिए मंगवाएं और पाठ्य-पुस्तक के पदों को भी लयबद्ध करने का प्रयास करें।
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