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कबीर

Question
CBSEENHN11012184

बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं ( आत्म) को पहचानने की बात किन पंक्तियों में कही गई है? उन्हें अपने शब्दों में लिखे।

Solution

निम्नलिखित पंक्तियों में बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं (आत्मा) को पहचानने की बात कही गई है, अपने शब्दों में-कबीर ने ये बाह्याडंबर बताए हैं-पत्थर पूजा, कुरान पढ़ना, शिष्य बनाना, तीर्थ-व्रत, टोपी-माला पहनना, छापा-तिलक लगाना आदि।

कबीर के मन में ये सब बाह्याडंबर हैं, इनसे दूर रहना चाहिए। स्वयं (आत्म) को पहचानना चाहिए। यही ईश्वर का; स्वरूप है। आत्मा का ज्ञान सच्चा ज्ञान है।।

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“जैसे बाड़ी काष्ठ ही का, अगिनि न काटे, कोई।

सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई।।”

-इसके आधार पर बताइए कि कबीर की दृष्टि में ईश्वर का क्या स्वरूप है?

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बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं ( आत्म) को पहचानने की बात किन पंक्तियों में कही गई है? उन्हें अपने शब्दों में लिखे।

अन्य संत कवियों नानक, दादू और रैदास के ईश्वर संबंधी विचारों का संग्रह करें और उन पर एक परिचर्चा करें।

कबीर के पदों को शास्त्रीय संगीत और लोग संगीत दोनों में लयबद्ध भी किया गया है। जैसे-कुमारगंधर्व, भारती बंधु और प्रल्हाद सिंह टिप्पाणियाँ आदि द्वारा गाए गए पद। इनके कैसेट्स अपने पुस्तकालय के लिए मंगवाएं और पाठ्य-पुस्तक के पदों को भी लयबद्ध करने का प्रयास करें।

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