बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं ( आत्म) को पहचानने की बात किन पंक्तियों में कही गई है? उन्हें अपने शब्दों में लिखे।
निम्नलिखित पंक्तियों में बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं (आत्मा) को पहचानने की बात कही गई है, अपने शब्दों में-कबीर ने ये बाह्याडंबर बताए हैं-पत्थर पूजा, कुरान पढ़ना, शिष्य बनाना, तीर्थ-व्रत, टोपी-माला पहनना, छापा-तिलक लगाना आदि।
कबीर के मन में ये सब बाह्याडंबर हैं, इनसे दूर रहना चाहिए। स्वयं (आत्म) को पहचानना चाहिए। यही ईश्वर का; स्वरूप है। आत्मा का ज्ञान सच्चा ज्ञान है।।