अन्य संत कवियों नानक, दादू और रैदास के ईश्वर संबंधी विचारों का संग्रह करें और उन पर एक परिचर्चा करें।
अन्य संत कवियों के पदों का संकलन
रैदास
1. जिहि कुल साधु वैसनो होड़।
बरन अबरन रंक नहीं ईस्वर, विमल बासु जानिए जग सोइ।।
बधन बैस सूद अस खत्री डोम चंडाल मलेच्छ किन सोइ।
होई पुनीत भगवंत भजन ते आपु तारि तारै कुल दोइ।।
धनि सु गार्ड धनि धनि सो ठाऊँ, धनि पुनीत कुटँब सभ लोइ।
जिनि पिया सार-रस, तजे आन रस, होड़ रसमगन, डारे बिषु खोइ।।
पंडित सूर छत्रपति राजा भगत बराबरि औरु न कोई।
जैसे पुरैन पात जल रहै समीप भनि रविदास जनमे जगि ओइ।।
2. ऐसी लाज तुझ बिनु कौन करै।
गरीबनिवाजु गुसैयाँ, मेरे माथे छत्र धरै।।
जाकी ‘छोति जगत की लागै, तापर तुही ढरै।
नीचहिं ऊँच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै!
नामदेव, कबीर, तिलोचन, सधना, सैनु तरै।
कहि रविदास सुनहु रे संतो, हरि-जीउ ते सभै सरै।।
2. ऐसी लाज तुझ बिनु कौन करै।
गरीबनिवाजु गुसैयाँ, मेरे माथे छत्र धरै।।
जाकी ‘छोति जगत की लागै, तापर तुही ढरै।
नीचहिं ऊँच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै!
नामदेव, कबीर, तिलोचन, सधना, सैनु तरै।
कहि रविदास सुनहु रे संतो, हरि-जीउ ते सभै सरै।।