आत्मत्राण

Question

निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-  
नत शिर होकर सुख के दिन में
तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में।

Answer

इन पंक्तियों में कवि कहना चाहता है कि वह सुख के दिनों में भी सिर झुकाकर ईश्वर को हर पल श्रद्धा भाव से याद रखना चाहता है, वह एक पल भी ईश्वर को भुलाना नहीं चाहता। कवि दुख-सुख दोनों में ही प्रभु को सम भाव से याद करना चाहते हैं। 

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Some More Questions From आत्मत्राण Chapter

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
'विपदाओं से मुझे बचाओं, यह मेरी प्रार्थना नहीं' - कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है? 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है?

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
अंत में कवि क्या अनुनय करता है? 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
'आत्मत्राण' शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।  

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप प्रार्थना के अतिरिक्त और क्या-क्या प्रयास करते हैं? लिखिए। 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
क्या कवि की यह प्रार्थना आपको अन्य प्रार्थना गीतों से अलग लगती है? यदि हाँ, तो कैसे? 

निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-  
नत शिर होकर सुख के दिन में
तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में।

निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-  
हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचना रही
तो भी मन में ना मानूँ क्षय।

निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-  
तरने की हो शक्ति अनामय
मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।

Q12'आत्त्मत्राण' शीर्षक का अर्थ बताते हुए उसकी सार्थकता, ​कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।