आत्मत्राण
कवि का कहना है कि हे ईश्वर मैं यह नहीं कहता कि मुझ पर कोई विपदा न आए, मेरे जीवन में कोई दुख न आए बल्कि मैं यह चाहता हूँ कि मुझमें इन विपदाओं को सहने की शक्ति दें ताकि आत्म-विश्वास के साथ निर्भीक होकर हर परिस्थितियों का सामना करने का साहस मुझ में आ जाए।
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'आत्मत्राण' कवित में कवि की प्रार्थना से क्या संदेश मिलता है? अपने शब्दों में लिखिए।
'आत्मत्राण' कविता के द्वारा कवि क्या कहना चाहता है? उसका संदेश स्पष्ट कीजिए।
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