ऋतुराज - कन्यादान
माँ ने बेटी को शिक्षा दी कि वह केवल शारीरिक सुंदरता, सुंदर कपड़ों और गहनों की प्राप्ति की ओर ही ध्यान न दे। उसे चाहिए कि वह समाज में आए परिवर्तन को खुली आँखों से देखे और अपने भीतर हिम्मत और साहस को बटोरें। उसके हृदय का साहस और अधिकारों के प्रति जागरूकता ही उसके जीवन को नई दिशा देंगे। इसी से उसके जीवन को रक्षा होगी।
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पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की’
इन पंक्तियों को पढ़कर लड़की की जो छबि आपके सामने उभर कर आ रही है, उसे शब्दबद्ध कीजिए।
मैं लौटुंगी नहीं
मै एक जगी हुई स्त्री हूँ
मैंने अपनी राह देख ली है
अब मैं लौटूँगी नहीं
मैंने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं
सोने के गहने तोड़कर फेंक दिए हैं
भाइयो! मैं अब वह नहीं हूँ जो पहले थी
मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ
मैंने अपनी राह देख ली है।
अब मैं लौटूँगी नहीं
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