गिरिजाकुमार माथुर - छाया मत छूना
देह का सुख मन के सुख से प्राप्त करने की ओर संकेत किया गया है। धन-वैभव से देह के लिए सुख बटोरे जा सकते हैं पर वास्तविक सुख तभी प्राप्त होते हैं जब मन पूर्ण रूप से संतुष्ट हो; उसमें सुख का भाव छिपा हो।
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भाव स्पष्ट कीजिये
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
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