गिरिजाकुमार माथुर - छाया मत छूना
कवि ने छायावादी काव्यधारा से प्रभावित होकर अपनी कविता में विशेषणों का विशिष्ट प्रयोग किया है, जैसे-
(i) सुरंग सुधियां = यादों की विविधता और मोहक सुंदरता की विशिष्टता।
(ii) छवियों की चित्र--गंध = सुंदर रूपों में मादक गंध की विशिष्टता।
(iii) तन-सुगंध = सुगंध के साकार रूप की विशिष्टता।
(iv) जीवित-क्षण = समय की सकारात्मकता की विशिष्टता।
(v) शरण-बिंब = जीवन में आधार बनने की विशिष्टता।
(vi) यथार्थ कठिन = जीवन की कठोर वास्तविकता की विशिष्टता।
(vii) दुविधा-हत साहस = साहस होते हुए भी दुविधाग्रस्त रहने की विशिष्टता।
(viii) शरद्-रात = रात में शरद् ऋतु की ठंडक की विशिष्टता।
(ix) रस-वसंत = वसंत ऋतु में मधुर रस के अहसास की विशिष्टता।
Sponsor Area
Sponsor Area
Sponsor Area