नागार्जुन - यह दंतुरित मुसकान

Question

मिट्‌टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है? 

Answer

मिट्‌टी के अपने स्वाभाविक गुण-धर्म को छोड़ देने से जीवन की सहज कल्पना नहीं की जा सकती। यदि मिट्‌टी फसल उगाने का गुण-धर्म त्याग दे तो हमारा जीवन असंभव-सा हो जाएगा क्योंकि सभी प्राणियों का जीवन फसल पर ही निर्भर करता है। मांसाहारियों के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी भूमिका अति महत्त्वपूर्ण हो सकता है। हमें इसे प्रदूषित होने से बचा सकते हैं। इस में मिलाए जाने वाले रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, खरपतवार नाशियों के स्थान पर प्राकृतिक पदार्थों को उपयोग कर सकते हैं। इसमें मिलने वाले औद्‌योगिक अपशिष्ट पदार्थो की रोकथाम कर सकते हैं।

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बच्चे से कवि की मुलाकात का जो शब्द-चित्र उपस्थित हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

आप जब भी किसी बच्चे से पहली बार मिलें तो उसके हाव-भाव, व्यवहार आदि को सूक्ष्मता से देखिए और उस अनुभव को कविता या अनुच्छेद के रूप में लिखिए।

कवि के अनुसार फसल क्या है?

कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। बे आवश्यक तत्त्व कौन-कौन से हैं?

फसल को ‘हाथों से स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर क्या व्यक्त करना चाहता है?

भाव स्पष्ट कीजिए-
रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!

कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्‌टी का गुण-धर्म कहा है-
मिट्‌टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?

कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्‌टी का गुण-धर्म कहा है-
वर्तमान जीवन शैली मिट्‌टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?

मिट्‌टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?

मिट्‌टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?