सूर्यकांत त्रिपाठी निराला - उत्साह
कवि ने बसंत में प्रकृति की शोभा का सुंदर उल्लेख किया है। ऐसा लगता है जैसे इस ऋतु में सुंदरता प्रकृति के कण-कण में समा-सी जाती है। प्रकृति के कोने-कोने से अनूठी-सी सुगंध भर जाती है जिससे कवियों की कल्पना ऊँची उड़ान लेने लगती है। चाह कर भी प्रकृति की सुंदरता से आँखें हटाने की इच्छा नहीं होती। नैसर्गिक सुंदरता के प्रति मन बंध कर रह जाता है। जगह-जगह रंग-बिरंगे और सुगंधित फूलों की शोभा दिखाई देने लगती है।
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