Question
कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
Solution
अज्ञात सत्ता रूपी कवि के प्रियतम प्रभु फागुन की सुंदरता के कण-कण में व्याप्त है। उनकी श्वास के द्वारा प्रकृति का कोना-कोना सुगंध से आपूरित था। वही कवि के मन में तरह-तरह की कल्पनाएँ भरते थे। उनमें विशेष आकर्षण था जिससे कवि अपनी आँख नहीं हटाना चाहता। उसकी दृष्टि हट ही नहीं रही है।