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सूर्यकांत त्रिपाठी निराला - उत्साह

Question
CBSEENHN10001688

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
बादल, गरजो! -
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले घुँघराले,
बाल कल्पना के-से पाले,
विद्युत्-छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज्र छिपा,   नूतन कविता
     फिर भर दो - 
     बाद, गरजो!
विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के धन!
तप्त धरा, जल से फिर
   शीतल कर दो -
   बादल, गरजो !

कविता में निहित भावार्थ स्पष्ट कीजिए?



Solution
कवि ने बादलों को पास और पीड़ित लोगों के कष्टों को दूर कर उनकी इच्छाओं-आकांक्षाओं को पूरा करने का आग्रह भरा आह्वान किया है और साथ ही साथ बादलों को नई कल्पना और नए अंकुर के लिए विध्वंस, विप्लव और क्रांति चेतना को संभव करने वाला माना है। बादल ही धरती को हरा-भरा बनाते हैं और कवि को कविता करने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।

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फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?

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पाठ में संकलित निराला की कविताओं के आधार पर विद्रोह के स्वर को स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर उसकी सप्रसंग व्याख्या कीजिये:
बादल, गरजो! -
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले घुँघराले,
बाल कल्पना के-से पाले,
विद्युत्-छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज्र छिपा,   नूतन कविता
     फिर भर दो - 
     बाद, गरजो!
विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के धन!
तप्त धरा, जल से फिर
   शीतल कर दो -
   बादल, गरजो !



निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
बादल, गरजो! -
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले घुँघराले,
बाल कल्पना के-से पाले,
विद्युत्-छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज्र छिपा,   नूतन कविता
     फिर भर दो - 
     बाद, गरजो!
विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के धन!
तप्त धरा, जल से फिर
   शीतल कर दो -
   बादल, गरजो !

कविता में निहित भावार्थ स्पष्ट कीजिए?



निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
बादल, गरजो! -
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले घुँघराले,
बाल कल्पना के-से पाले,
विद्युत्-छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज्र छिपा,   नूतन कविता
     फिर भर दो - 
     बाद, गरजो!
विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के धन!
तप्त धरा, जल से फिर
   शीतल कर दो -
   बादल, गरजो!

कवि ने किसका आहवान किया है और क्यों?