Question
‘अट नहीं रही’ में विद्यमान रहस्यवादिता को स्पष्ट कीजिए।
Solution
निराला जी को प्रकृति के कण-कण में परमात्मा की अज्ञात सत्ता दिखाई देती है। वह उसका रहस्य जानना चाहता है पर जान नहीं पाता। उसे यह तो प्रतीत होता है कि प्रकृति के परिवर्तन के पीछे कुछ-न-कुछ तो अवश्य है। वह ईश्वर ही हो सकता है जो परिवर्तन का कारण बनता है।
कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो।
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।
कवि निराला को प्रकृति के कण-कण में ईश्वरीय सत्ता की छवि के दर्शन होते हैं। उन्हें प्रकृति के चल में छिपे उसी का रूप दिखाई देता है।