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सूर्यकांत त्रिपाठी निराला - उत्साह

Question
CBSEENHN10001685

‘अट नहीं रही’ में विद्यमान रहस्यवादिता को स्पष्ट कीजिए।

Solution

निराला जी को प्रकृति के कण-कण में परमात्मा की अज्ञात सत्ता दिखाई देती है। वह उसका रहस्य जानना चाहता है पर जान नहीं पाता। उसे यह तो प्रतीत होता है कि प्रकृति के परिवर्तन के पीछे कुछ-न-कुछ तो अवश्य है। वह ईश्वर ही हो सकता है जो परिवर्तन का कारण बनता है।
कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो।
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।

कवि निराला को प्रकृति के कण-कण में ईश्वरीय सत्ता की छवि के दर्शन होते हैं। उन्हें प्रकृति के चल में छिपे उसी का रूप दिखाई देता है।

 

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छायावाद की एक खास विशेषता है- अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।

कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?

प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?

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इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य -शिल्प की विशेषताएँ लिखिए।

होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।

फागुन में गाए जाने वाले गीत जैसे होरी, फाग आदि गीतों को जानिए।

‘अट नहीं रही’ के आधार पर बसंत ऋतु की शोभा का उल्लेख कीजिए।

‘अट नहीं रही’ में विद्यमान रहस्यवादिता को स्पष्ट कीजिए।

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