Question
जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही कभी किसी प्राकृतिक सौंदर्य को देख कर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए।
Solution
झूम उठे तरुवर उपवन में
छाई हरियाली कानन में
लता पल्लवित पाणि-युगल में
लिए खड़ी उपहार-सुमन।
किसी की स्मृति से हर्षित मन?
फूल खिले फूले न समाते
मोद-भरे मधु गंध उड़ाते
सौरभ-निधि का भार उठाए
बह चला मंद-मंद पवन।
किसकी स्मृति से हर्षित मन?
मधुपावली सुवाद्य बजाती
कोकिल कूहू तान सुनाती
विहग मंडली हर्ष जनाती
हो गए जन-मन रत नर्तन।
किसकी स्मृति से हर्षित मन?
हर्ष-तरंग उठी मानस में
नव संचार हुआ साहस में
झंकृति से मानस--वीणा की
सकल हुआ रोमांचित तन।
किसकी स्मृति से हर्षित मन? -डॉ० रत्न चंद्र शर्मा से आभार सहित।