जयशंकर प्रसाद - आत्मकथ्य
कवि के जीवन में चाहे अभाव थे, दुःख थे, पीड़ा थी पर फिर भी उसे कोई प्रेम करने वाला था। कवि उस प्रेम-भाव को जग ज़ाहिर नहीं करना चाहता था। वह उसे नितांत अपना मानता था इसलिए वह मधुर चाँदनी की उस उज्जल कहानी को दूसरों के लिए नहीं गाना चाहता था।
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