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जयशंकर प्रसाद - आत्मकथ्य

Question
CBSEENHN10001588

आप अपना आत्मकथ्य पद्‌य या गद्‌य में लिखिए।

Solution
मेरा आत्मकथ्य अभी किसी के लिए भी महत्वपूर्ण नहीं हो सकता। न तो अभी मैंने यथार्थ जीवन की राह में कदम बढ़ाए हैं और न ही मैं अपनी शिक्षा पूरी कर पाया हूँ। केवल पंद्रह वर्ष की आयु है अभी मेरी। मेरा जन्म जिस परिवार में हुआ है वह मध्यवर्गीय है। पिता जी की सरकारी नौकरी से प्राप्त होने वाली आय कठिनाई से जीवन गुजारने योग्य सुविधाएँ परिवार को प्रदान करती है। मेरे माता-पिता अपना पेट काटकर हम तीन भाई-बहनों का पेट भरते हैं, हमें पढ़ाते-लिखाते हैं। स्वयं पुराना और घिसा-पिटा पहन कर भी हमें नया लेकर देने का प्रयत्न करते हैं। उन्होंने हमें अच्छे संस्कार दिए हैं और कभी किसी के सामने हाथ न फैलाने की शिक्षा दी है। अपनी पढ़ाई-लिखाई के साथ मुझे व्यायाम करने और कुश्ती लड़ने का शौक है। मैं अपने स्कूल की ओर से कई बार कुश्ती प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुका हूँ और मैंने स्कूल के लिए कई पुरस्कार जीते हैं। पढ़ाई में मैं अच्छा हूँ। अपनी कक्षा में पहला या दूसरा स्थान प्राप्त कर लेता हूँ जिस कारण अपने माता-पिता के साथ-साथ अपने अध्यापकों की आँखों का भी तारा हूँ। मेरे सहपाठियों और मेरे मुहल्ले के लड़की को मेरे साथ खेलना और बातें करना अच्छा लगता है। ईश्वर के प्रति मेरी अटूट आस्था है।

Some More Questions From जयशंकर प्रसाद - आत्मकथ्य Chapter

आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों?

कोई भी अपनी आत्मकथा लिख सकता है। उसके लिए विशिष्ट या बड़ा होना जरूरी नहीं। हरियाणा राज्य के गुड़गांव में घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली बेबी हालदार की आत्मकथा बहुतों के द्वारा सराही गई। आत्मकथात्मक शैली में अपने बारे में कुछ लिखिए।

श्री जयशंकर प्रसाद ने ‘आत्मकथ्य’ नामक कविता की रचना क्यों की थी?

कवि अपने जीवन के किस प्रसंग को जग जाहिर नहीं करना चाहता था और क्यों?

कवि ने अपनी कथा को भोली क्यों कहा है?

आप अपना आत्मकथ्य पद्‌य या गद्‌य में लिखिए।

 निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर उसकी सप्रसंग व्याख्या कीजिये:
मधुप गुन-गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी,
मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज धनी।
इस गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास
यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य-मलिन उपहास
तब भी कहते हो-कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती।
तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती।

 

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
मधुप गुन-गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी,
मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज धनी।
इस गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास
यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य-मलिन उपहास
तब भी कहते हो-कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती।
तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती।

अवतरण में निहित भाव स्पष्ट करें।

 

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
मधुप गुन-गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी,
मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज धनी।
इस गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास
यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य-मलिन उपहास
तब भी कहते हो-कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती।
तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती।

मधुप’ में विद्‌यमान प्रतीकात्मकता लिखिए?


 

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
मधुप गुन-गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी,
मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज धनी।
इस गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास
यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य-मलिन उपहास
तब भी कहते हो-कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती।
तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती।

‘पत्तियों का मुरझाना’ किसे स्पष्ट करता है?