मेघ आए
कविता में मेघ को 'पाहुन' के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्त्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या कारण नजर आते हैं, लिखिए।
'अतिथि देवो भव' यह शब्द अक्सर हमारे भारत देश में सुनाई पड़ता हैं। जिसका अर्थ हैं अतिथि को देवता तुल्य मानना। किन्तु आज के बदलते परिवेश और समाज इस परम्परा में काफी परिवर्तन आ रहे हैं। आज का मनुष्य केवल अपने बारे में ही सोचने लगा हैं। उसके पास दूसरों को देने के लिए समय तथा इच्छा का अभाव हो चला है। इसके कई कारण है जैसे - पाश्चात्य संस्कृति की और बढ़ता झुकाव, संयुक्त परिवारों का टूटना, शहरीकरण, महँगाई और व्यस्तता इत्यादि। परिणामस्वरूप यह परम्परा धीरे-धीरे कम होती जा रही है।
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मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
मेघों के लिए 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात क्यों कही गई है?
कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए।
कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन कीजिए।
कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में मेहमान (दामाद) के आने का जो रोचक वर्णन किया है, उसे लिखिए।
काव्य-सौंदर्य लिखिए -
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
वर्षा के आने पर अपने आसपास के वातावरण में हुए परिवर्तनों को ध्यान से देखकर एक अनुच्छेद लिखिए।
कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है? पता लगाइए।
कविता में मेघ को 'पाहुन' के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्त्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या कारण नजर आते हैं, लिखिए।
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