दिये जल उठे - मधुकर उपाध्याय

Question

पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि- 'कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है। अपने शब्दों में लिखिए। 

Answer

स्वतन्त्रता संग्राम किसी व्यक्ति विशेष से संबधित नहीं था। विदेशी शासन के अत्याचार बढ़ते जा रहे थे। उनके लिए कानून के दायरे में रह कर काम करना असंभव था। कैसी भी कठिन परिस्थिति हो भारतीयों को उनका सामना करना आता था। वह आपसी से कार्य करने में निपुण थे। एक के पीछे एक पंक्ति बनाकर खड़े हो जाते थे और आशा के दीपक जलने लगते थे। विदेशी शासन थोड़ी सी आवाज बुलंद करने वालों को जेल में डाल दिया करते थे परन्तु पटेल की दृढ़ संकल्प शक्ति के सामने उनकी तकनीक सफल नहीं हुई। पटेल के रोब से पुलिस वालों को मोटर-गाड़ी रोकनी पड़ी थी गाँधी जी की आवाज ने सोने पर सुहागा का काम किया। देशभर में आजादी की लहर दौड़ गई। गाँधी जी के मिलन और सूझ-बूझ ने कठिन परिस्थितियों पर काबू पाकर लोगों के हृदय में स्थान बना लिया।

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Some More Questions From दिये जल उठे - मधुकर उपाध्याय Chapter

“मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।” यहाँ पटेल के कथन का आशय उद्धरत् पाठ के सदंर्भ में स्पष्ट कीजिए?

“इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखे”- गाँधीजी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में कहा?

पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि- 'कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है। अपने शब्दों में लिखिए। 

महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए?

“यह धर्मयात्रा है चलकर पूरी करूँगा”-  गाँधीजी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है?

गाँधी जी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी इन बात से सहमत नहीं थे कि गाँधी कोई काम अचानक और चुपके से करेंगे फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम उठाए?

गाँधीजी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर क्यों खड़े रहे?

सरदार पटेल की गिरफ़्तारी पर देशवासी सुब्धं क्यों हो उठे?

दरवार लोग कौन थे?

गाँधी जी ने किस राज को राक्षसी राज कहा और क्यों?

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