दिये जल उठे - मधुकर उपाध्याय

Question

“इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखे”- गाँधीजी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में कहा?

Answer

रास में गाँधी जी का भव्य स्वागत किया गया। दरबार समुदाय के लोग इसमें सबसे आगे थे। दरबार गोपालदास और रविशंकर महाराज वहाँ मौजूद थे। उन्होंने अपने भाषण में दरवारों का खासतौर पर उल्लेख किया है। ये रियासतदार होते हैं। इन्हें साहबी भी कहा गया है। ऐशो आराम की जिंदगी भी एक तरह का राजपाट था। दरबार सभी कुछ छोड्‌कर यहाँ बस गए थे। कभी गाँधी जी ने कहा था कि इनसे त्याग और साहस की परिभाषाएँ सीखनी चाहिए। धैर्य, त्याग और साहस के द्वारा ही अंग्रेजी शासन को बाहर खदेड़ा जा सकता है।

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“मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।” यहाँ पटेल के कथन का आशय उद्धरत् पाठ के सदंर्भ में स्पष्ट कीजिए?

“इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखे”- गाँधीजी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में कहा?

पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि- 'कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है। अपने शब्दों में लिखिए। 

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“यह धर्मयात्रा है चलकर पूरी करूँगा”-  गाँधीजी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है?

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