दिये जल उठे - मधुकर उपाध्याय
गाँधी जी सत्य व अहिंसा के पुजारी थे। झूठ बोलकर और चोरी से काम करना उनकी शैली में नहीं था। उनकी व्यक्तित्व की विशेषताओं से वरिष्ठ अधिकारी भी परिचित थे। ब्रिटिश शासकों में एक ऐसा वर्ग भी था जिसे लग रहा था गाँधी जी और उनके सत्याग्रही नदी के किनारे अचानक पहुँचकर नमक बनाकर कानून तोड़ देंगे। समुंद्री पानी नदी तट पर काफी नमक छोड़ जाता है जिसकी रखवाली के लिए चौकीदार रखे जाते हैं। वे मानते ही नहीं हैं कि कोई काम गाँधी जी अचानक या चुपके से करेंगे। इसके भी नदी के तट से सारे नमक के भंडार हटा दिए गए और उन्हें नष्ट करा दिया गया। ताकि इसका खतरा ही न रहे। जी द्वारा बनाई गई योजना ने बरिष्ठ अधिकारियों को हैरानी में डाल दिया।
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