नये इलाके में - अरुण कमल
खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ।
भाव पक्ष- कवि कहता है कि देश की प्रसिद्ध अगरबत्तियाँ इस गंदी. तंग, बदबूदार गली में बनती है। इन्हीं गंदे मुहल्लों में रहने वाले गंदे लोग सुगंधित केवड़ा, गुलाब, पोस्ता और रात-रानी की सुगंध वाली महकती अगरबत्तियाँ बनाते हैं। यद्यपि वे खुद दुनिया भर की गंदगी के बीचोंबीच रहते हैं और जीते हैं किन्तु अपने हाथों से दुनिया को महकाने वाली खुशबूदार अगरबत्तियाँ बनते हैं। इस प्रकार वे स्वयं गंदे रहकर भी खुशबू बाँटते हैं। ये ही श्रमिक खुशबू पैदा करते हैं। खुशबूदार अगरबत्तियाँ बनाते हैं और सुगंध बिखेरते हैं।
Sponsor Area
Sponsor Area
Sponsor Area