नये इलाके में - अरुण कमल
भाव पक्ष- लोगों के जीवन में खुशबू बिखेरने वाले हाथ भयावह स्थितियों में जीवन बिता रहे हैं। जीवन की इसी दशा का वर्णन करते हुए कवि कहते हैं कि जो मजदूर खुशबूदार अगरबत्तियाँ बनाते हैं और सारे संसार को खुशबू से महका देते हैं, उनमें बूढ़े-बुढ़ियाँ भी है। जिनके हाथों की नसें उभर चुकी है या जिनके हाथों के नाखून काम करते-करते घिस चुके हैं। अगरबत्तियाँ बनाने वालों में वे नन्हें बालक-बालिकाएँ भी हैं जिनके हाथ पीपल के पत्तों के समान कोमल हैं उनमें नवयुवतियाँ भी हैं। जिनके हाथ जूही के फूल की डाली के समान खुशबूदार हैं। इनमें काम की अधिकता के कारण गंदे हाथों वाले और कटे हाथों वाले हाथ मजदूर भी है और अपने मालिक, पति या पिता की मार खाए हुए हाथ भी हैं। कुछ मजदूर ऐसे हैं, ‘जिनके हाथों में घाव हो चुका है।’ फिर भी वे काम किए जा रहे हैं। इतनी विपत्तियों के बावजूद ये काम करते चले जा रहे हैं।
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