निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये: यहाँ रोज़ कुछ बन रहा है रोज़ कुछ घट रहा है यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया जैसे वसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँ जैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ अब यही है उपाय कि हर दरवाज़ा खटखटाओ और पूछो-क्या यही है वो घर? समय बहुत कम है तुम्हारे पास आ चला पानी ढहा आ रहा अकास शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर।
कवि को स्मृति का भरोसा नहीं रहा। क्योंकि
पुरानी यादों वाली निशानियाँ बदल चुकी है।
लोग बदल चुके है।
पुरानी यादों के सहारे जीना कायरता है।
पुरानी यादों वाली स्थितियाँ और निशानियाँ बदल चुकी हैं।
Answer
Multi-choise Question
D.
पुरानी यादों वाली स्थितियाँ और निशानियाँ बदल चुकी हैं।
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