नये इलाके में - अरुण कमल
‘खुशबू रचते हैं हाथ’ में निहित विडंबना को प्रकट कीजिए।
खुशबू रचने वाले हाथ आर्थिक अभावों में गंदी गलियों में रहते हैं जहाँ छोटी-छोटी गालियाँ, नालों व कूड़े के ढेर हैं। अगरबत्तियाँ बनाने वाले नगरों, कस्बों और बस्तियों से दूर गंदे स्थानों पर रहकर तरह-तरह की सुगंधों से युक्त अगरबत्तियाँ बनाते हैं। स्वयं ऐसे बदबूदार वातावरण में रहकर दूसरे लोगों को खुशबूदार अगरबत्तियाँ प्रदान करते हैं। अपने आप को इन गरीब मजदूरों से दूर रख सभ्य समाज के लोग जब अगरबत्तियाँ जलाते हैं, परमात्मा को प्रसन्न करने की कामना करते हैं या अपने वातवरण को सुगंधित बनाने के लिए इनका उपयोग करते हैं तो कभी नहीं सोचते कि इन्हें बनाने वाले कौन हैं? कैसे हैं? किस हालत में रहते हैं।
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