अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन

Question

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

प्रस्तुत कविता के रचयिता कौन है?
  • हरिऔध जी
  • हरि शर्मा
  • अजिभाभ बच्चन
  • हरिवंशराय बच्चन

Answer

D.

हरिवंशराय बच्चन

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Some More Questions From अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन Chapter

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये - 
तू न थमेगा कभी
तू न मुड़ेगा कभी

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये - 
चल रहा मनुष्य है
अश्र-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ।

इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए 

जीवन संघर्ष का ही नाम है ‘इस कथन की मीमांसा कीजिए।

कवि किस दृश्य को महान मानता है?

कवि ने मानव से किस बात की शपथ लेने का आग्रह किया है और क्यों?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

प्रस्तुत कविता के रचयिता कौन है?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

वृक्ष किसका बोध कराते हैं?